नई दिल्ली: विभिन्न संगठनों/संस्थानों द्वारा हाल ही में कराये गये चुनाव के दौरान इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों के साथ छेड़छाड़ की कथित शिकायतों ने निर्वाचन आयोग की इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों के बारे में भी गलत धारणा भी बना दी है। यह पाया गया है कि निर्वाचन आयोग के अधिकार क्षेत्र के बारे में कई लोगों के दिमाग में भ्रम है। हम एक बार फिर इस मौके पर स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि भारतीय निर्वाचन आयोग स्थानीय निकाय चुनाव (नगर निगम, पंचायत इत्यादि) नहीं कराता है, ये चुनाव राज्य चुनाव आयोग द्वारा संचालित होते हैं। देश में विभिन्न संगठनों/संस्थानों द्वारा चुनाव कराने और उसके लिए अपनाए गए विभिन्न प्रोटोकॉल और प्रक्रियाओं के लिए निर्वाचन आयोग जिम्मेदार नहीं है।
निर्वाचन आयोग को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों की शुद्धता, उसके किसी प्रकार से विकृत नहीं होने की प्रवृत्ति और विश्वसनीयता पर पूरा भरोसा है। आयोग के इस भरोसे का आधार तकनीकी एवं प्रशासनिक प्रोटोकॉल और सुरक्षात्मक प्रक्रियाएं हैं जो ईवीएम्स और वीवीपैट्स को निर्माण, परिवहन, संग्रहण, चुनाव और मतगणना प्रक्रिया के दौरान किसी भी तरह की छेड़छाड़ से बचाने के लिए अपनाए जाते हैं।
वर्ष 2017 तक बेंगलुरु की भारती इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और हैदराबाद की इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड को ही आयोग राज्य निर्वाचन आयोग और अन्य सगंठनों को ईवीएम्स की आपूर्ति करने की मंजूरी दी गई थी। (अगस्त 2006 में जारी आज्ञा पत्र संलग्न है)
पुराने ईवीएम्स को आयोग द्वारा निर्धारित कड़े प्रोटोकॉल के तहत नष्ट करने के लिए बीईएल/ईसीआईएल को भेजा गया है।
निर्वाचन आयोग सिंगल पोस्ट ईवीएम्स का ही इस्तेमाल करता है जिसमें एक पद के लिए ही मत डाला जा सकता है। कहा गया है कि डुसु चुनाव में मल्टी पोस्ट ईवीएम्स को इस्तेमाल किया गया है जो तकनीकी तौर पर निर्वाचन आयोग द्वारा इस्तेमाल सिंगल पोस्ट ईवीएम से पूरी तरह अलग है।
निर्वाचन आयोग यह बताना चाहता है कि ईसीआई-ईवीएम्स में उपलब्ध तकनीकी और प्रशासनिक सुरक्षा तंत्र अन्य संगठनों/संस्थानों द्वारा इस्तेमाल की गई ईवीएम्स में नहीं होगा।
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