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पर्यटन स्थलों में ईको-टूरिज्म का पालन अवश्य किया जाना चाहिए: उपराष्ट्रपति

देश-विदेश

उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडु ने वैश्विक तापमान के स्तर को सीमित करने के लिए सभी देशों से समेकित प्रयास करने का आग्रह किया, ताकि छोटे द्वीप और उनकी अवर्णनीय सुंदरता बरकरार रहे और द्वीपवासियों के आवास विस्थापित न हों।

छोटे द्वीपों पर जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव को लेकर अपनी गहरी चिंता व्‍यक्‍त करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह अनुचित है कि छोटे द्वीप जिनका कुल उत्सर्जन का प्रतिशत न्यूनतम है, बड़े राष्ट्रों की लापरवाही की कीमत चुकाते हैं। उन्होंने कहा, ’’समुद्र का बढ़ता स्तर, तूफान, बाढ़ और तटीय कटाव दुनिया भर के विभिन्न द्वीपों के निवासियों के लिए एक बड़ा खतरा है।’’

लक्षद्वीप द्वीप समूह के अपने दो दिवसीय आधिकारिक दौरे के समापन पर उपराष्ट्रपति ने यात्रा के अपने अनुभव साझा करते हुए एक फेसबुक पोस्ट लिखा। लक्षद्वीप के द्वीपों में भारत का विशेष रहस्य होने का जिक्र करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, ’’फिरोजा नीले पानी के विशाल विस्तार, ताड़ के पेड़ों की छतरी, सफेद रेत के किनारों और साफ नीले आसमान से घिरा होना हर्ष की बात है।’’

पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ-साथ समुद्र तटीय पर्यावरण की रक्षा के लिए लक्षद्वीप प्रशासन के निरंतर प्रयासों की सराहना करते हुए, उपराष्ट्रपति ने अन्य पर्यटन स्थलों से लक्षद्वीप के दृष्टिकोण का अनुकरण करने और इको टूरिज्म को अंगीकार करने का आग्रह किया। उपराष्ट्रपति ने पर्यटकों से स्थानीय लोगों और प्रकृति की भलाई को ध्यान में रखते हुए जिम्मेदारी से यात्रा करने की अपील की। उन्होंने द्वीपों को स्वच्छ रखने में लक्षद्वीप के लोगों की भूमिका के लिए उनकी सराहना की।

लक्षद्वीप क्षेत्र में मछली उत्पादन में सतत वृद्धि की तरफ इशारा करते हुए उपराष्ट्रपति ने इस क्षेत्र को लगातार समर्थन देने के लिए प्रशासन द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा, ’’मत्स्य क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए हमारे वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं को नैतिक जिम्मेदारी के साथ मत्स्य ग्रहण के लिए मछली पकड़ने की ऊर्जा सक्षम पद्धति विकसित करनी चाहिए।’’

भारत की प्राकृतिक विविधता की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, ’’हम इस बात से इनकार नहीं कर सकते हैं कि पर्यटन के मामले में भारत के पास हर चीज सर्वोत्तम है। चाहे वह आकर्षक हिमालय हो, राजस्थान में स्थापत्य के अद्भुत दृश्य हों, हिमाचल प्रदेश में पूरी तरफ साफ झीलें, उत्तराखंड में आध्यात्म का द्वार, गोवा के अविश्वसनीय समुद्र तट, केरल के शांत अप्रवाही जल, मध्य प्रदेश में वन्यजीव अभयारण्य, पूर्वोत्तर के चाय बगान और पहाड़ियों का आकर्षक नजारा हो या कच्छ के रण की प्राकृतिक सुंदरता।’’

उपराष्ट्रपति ने हर किसी से पूरे भारत में दूर-दूर तक यात्रा करने का आग्रह किया ताकि हमारी उत्कृष्ट मातृभूमि की विविध और सुंदर छवियों का बेहतर अनुभव किया जा सके। उन्होंने कहा, ’’लेकिन याद रहे, जब आप यात्रा करें तब आप इस बात का ध्यान अवश्य रखें कि पर्यावरण के किसी भी स्वरूप को नुकसान पहुंचाए बिना यात्रा करें।’’

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