नई दिल्ली: महत्वपूर्ण वृहद आर्थिक पैमानों पर गुजरात का त्वरित विकास बड़ा ही प्रभावशाली रहा है और समग्र आर्थिक विकास में यह अग्रणी रहा है, लेकिन जीएसटी अब भी बड़ी चुनौतियों में से एक है। यह बात गुजरात के दौरे पर आए 15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष श्री एन के सिंह ने अहमदाबाद में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कही। वित्त आयोग विशेषकर गुजरात के ऋण-जीडीपी अनुपात को घटाकर लगभग 20 प्रतिशत के स्तर पर लाए जाने के प्रयासों से काफी प्रभावित है, जैसा कि नए एफआरबीएम अधिनियम में निर्दिष्ट किया गया है। वित्त आयोग गुजरात के राजकोषीय घाटे के तीन प्रतिशत के मानक से काफी नीचे आ जाने से भी प्रभावित है। श्री सिंह ने कहा कि गुजरात का पूंजीगत खर्च बढ़ाता जा रहा है और यह पूरी तरह से उन प्रमुख आर्थिक पैमानों के अनुरूप है, जो दीर्घकालिक आर्थिक विकास में उल्लेखनीय योगदान देते हैं।
वित्त आयोग के अध्यक्ष ने अपनी टिप्पणियों में गुजरात राज्य के समक्ष मौजूद कुछ चुनौतियों का उल्लेख किया जिनमें से यह प्रमुख है:
गुजरात के समक्ष एक बड़ी चुनौती जीएसटी संग्रह है। जब केन्द्र सरकार की ओर से जीएसटी भरपाई के रूप में मिल रही 14 प्रतिशत गारंटी समाप्त हो जाएगी तो गुजरात को जीएसटी संग्रह के अनुमानों पर गंभीरता से गौर करना होगा और कर में उछाल एक मुद्दा हो सकता है।