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समाज के विकास के लिए शिक्षा को ऐसी आधारशिला रखनी चाहिए जो मजबूत आचार नीति और नैतिक मूल्‍यों पर आधारित हो : उपराष्‍ट्रपति

देश-विदेश

नई दिल्ली: उपराष्‍ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने कहा है कि समाज के विकास के लिए शिक्षा को ऐसी आधारशिला रखनी चाहिए जो मजबूत आचार नीति और नैतिक मूल्यों पर आधारित हो ताकि शांति सुनिश्चित हो सके और जीवन में संतुष्टि मिल सके।

    समाज में चारों तरफ नैतिक मूल्‍यों और आचार नीति में गिरावट पर चिंता व्‍यक्‍त करते हुए श्री नायडू ने कहा कि अनुचित प्रचलनों को पूरी तरह रोका जाना चाहिए और ऐसे बदलाव के लिए स्‍कूल सर्वश्रेष्‍ठ स्‍थल हैं।

    भुवनेश्‍वर में आज साईं इंटरनेशनल स्‍कूल के 10वें स्‍थापना दिवस पर व्‍याख्‍यान देते हुए उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि शिक्षा ऐसी होनी चाहिए, जो आने वाली पीढ़ी को ज्ञान और विवेक के साथ अधिकार संपन्‍न बनाए, साथ ही उसमें सामाजिक, नैतिक, आचार नीति और आध्‍यात्मिक मूल्‍यों का समावेश हो ।

   उन्‍होंने कहा कि यह सबसे महत्‍वपूर्ण है कि नागरिकों, अन्‍य जीवित वस्‍तुओं के प्रति आपका दृष्टिकोण क्‍या है तथा पर्यावरण की रक्षा करने और समाज की बेहतरी के प्रति आपकी प्रतिबद्धता क्‍या है।

   श्री नायडू ने छात्रों के मन में स्वेच्छा से काम करने की भावना पैदा करने पर जोर दिया। उन्‍होंने छात्रों को सलाह दी कि वे जीवन के गुण और स्‍वेच्‍छा से कार्य करने की भावना लाने के लिए एनसीसी,एनएसएस, स्‍काउट और गाइड जैसे संगठनों में शामिल हों।

   राष्‍ट्रपिता महात्‍मा गांधी द्वारा बताई गई सात सामाजिक बुराइयों का जिक्र करते हुए उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि ऐसी शिक्षा जो चरित्र का निर्माण नहीं करती इनमें से एक बुराई है।

   यह कहते हुए किसी राष्‍ट्र की नियति को आकार देने में स्‍कूल सबसे महत्‍वपूर्ण और आधारभूत भूमिका निभाते हैं उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि स्‍कूल की पढ़ाई के दौरान केवल शै‍क्षणिक उपलब्धियों पर ध्‍यान दिए बिना बच्‍चे के समग्र विकास पर जोर दिया जाना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि युवाओं के लिए यह जरूरी है कि वे देश के जिम्‍मेदार नागरिक बनें, सेवा की भावना रखें और समानुभूति रखने वाले नागरिक बनें।

   उपराष्‍ट्रपति ने जोर देकर कहा कि अपने आचार संबंधी बंधनों को खोये बिना यह आवश्‍यक है कि शिक्षा को सर्वश्रेष्ठ अध्यापन, अध्यापन के तरीकों और तकनीक से जोड़ा जाए, ताकि भारत को फिर से विश्व गुरु का स्थान मिल सके।

    उन्‍होंने स्‍कूलों को सलाह दी कि वे अध्‍यापन के नवीनतम तरीकों को अपनाएं और छात्रों को प्राचीन सभ्‍यता, संस्‍कृति, परम्‍पराओं, विरासत और देश के इतिहास का महत्‍व बताते रहें। उन्‍होंने कहा, ‘बिना किसी पूर्वाग्रह के इतिहास की पूरी और विस्‍तृत समझ होनी चाहिए’।

श्री नायडू ने स्‍कूलों को सलाह दी कि वे शिक्षा के रटने वाले तरीके को छोड़कर नवोन्मेष और सृजनात्मक सोच को बढ़ावा दें। उन्‍होंने कहा कि छात्रों को जिज्ञासु और सवाल पूछने वाला दिमाग विकसित करने के लिए प्रोत्‍साहित किया जाना चाहिए ताकि वे हमेशा नई चीजें जानने के लिए उत्‍सुक रहें और बेहतर विचारों के साथ आगे आएं।

    श्री नायडू ने कहा कि स्‍कूलों को प्रौद्योगिकी के तेजी से विकास के साथ अपने पास जानकारी रखनी चाहिए और छात्रों को 21वीं सदी के रोजगार बाजार के अनुसार कौशल प्रदान करना चाहिए। उन्‍होंने स्‍कूलों को सलाह दी कि वे छात्रों के बीच उद्यमिता की भावना को बढ़ावा दें।

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