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शिक्षा नीति पर राज्य सभा में हुई बहस में उठाए कुछ मुद्दों पर मानव संसाधन विकास मंत्री श्री प्रकाश जावडेकर का बयान

देश-विदेश

नई दिल्लीः सदन में शिक्षा नीति के बारे में आए सुझावों के संकलन पर अच्छी चर्चा हुई। वह जारी रहेगी। मोदी सरकार की यह पहल है कि शिक्षा नीति बनने से पहले ही सदन के सामने तथा लोगों के सामने सभी सुझाव रखे हैं। अभी तक कैबिनेट के सामने ये सुझाव नहीं गए हैं। जैसे कल सुझाव दिया कि जिन्हें शिक्षा नीति के बारे में कहना है उनके साथ दिन भर की चर्चा का आयोजन हो मैं इसे स्वीकार करता हूं। जनता के लिए सुझाव देने के लिए 16 अगस्त की मुदत रखी थी उसे हम 15 सितम्बर तक बढ़ा रहे हैं। सभी राज्यों से भी फिर से एक बार राय मांगी गई है।

2015 से शिक्षा नीति के बारे में 1,10000 गांवों में, 3250 पंचायत समीति क्षेत्रों में, 406 जिले में, 962 शहरी स्थानीय निकायों में शिक्षा में कार्यरत लोगों ने अपने अपने सुझाव दिये। 21 राज्यों ने अपने विस्तृत सुझाव भेजे हैं। 6 सम्भागीय वार्ता हुई और उसमें अनेक राज्यों के मंत्री शामिल हुए तथा सभी राज्यों के शिक्षा विभाग के अधिकारी शामिल हुए उनकी भी राय ली है। mygov.in पर 29000 से ज्यादा सुझाव आए। इस सबका परिशिलन करके समिति ने शिक्षा नीति के लिए कुछ सुझाव दिए। विचार मंथन से ही शिक्षा नीति तैयार होनी चाहिए यह हमारी धारणा है।

क्योंकि हम मानते हैं कि शिक्षा राजनीति का नहीं राष्ट्रनीति का विषय है। प्रधानमंत्री जी का नारा है “सबका साथ, सबका विकास”। शिक्षा के बारे में हमारा नारा है “सबको शिक्षा, अच्छी शिक्षा”। 70 सालों के प्रयासों से सबको शिक्षा मिलने के ध्येय में बड़ी सफलता मिली। अब ध्यान अच्छी शिक्षा यानि गुणवत्ता बढ़ाने पर ध्यान देना होगा।अन्तरराज्यीय परिषद में इस बार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर अच्छी चर्चा हुई। मुझे खुशी है कि सभी मुख्यमंत्रियों ने अच्छी शिक्षा के बारे में सहमति जताई और अपने राज्य में क्या कर रहे हैं यह भी बताया और अनेक सुझाव भी दिये। लोकतंत्र की यही सबसे बड़ी विशेषता है कि सबकी राय से एक कारगर नीति बनती है। ऐसे सब सुझाव आने के बाद ही अंतिम प्रारूप तैयार होगा।

सबको शिक्षा मिले, अच्छी शिक्षा मिले। सामाजिक न्याय और इक्विटी का विचार हो। कोई भी छात्र पैसे के अभाव से शिक्षा के मकसद से वंचित न रहे और शिक्षा संबंधित सभी घटकों की जवाबदेही बने। यह किसी भी शिक्षा नीति की बुनियाद होनी चाहिए। लोगों ने कुछ आशंकाएं जताई। मैं साफ करना चाहता हूं कि अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थान या आरक्षण जैसी व्यवस्था जो संविधान का हिस्सा है उसके साथ कोई छेड़ छाड़ नहीं की जाऐगी। बल्कि यह व्यवस्था अधिक कार्यक्षम और सफल कैसे हो इसी का प्रयास होगा।

शिक्षा से जीवन का सम्बल मिलना चाहिए। विषय का ज्ञान, अनुभव, कार्यकुशलता के साथ जीवन के अच्छे मूल्य शिक्षा का हिस्सा होना चाहिए। वैज्ञानिक मानसिकता, सत्य, अहिंसा, भाईचारा, संविधान में वर्णित मूल्यों पर श्रद्धा एवं देश के प्रति आस्था हमें जगानी है। भारत एक विविधताओं से भरा देश है और इसी विविधता में एकता का भाव भी है। यह वास्तव भी छात्रों को समझना चाहिए।

मंत्री पद संभालने के बाद पहला काम मैंने मेरे गुरूजनों को प्रणाम करके एवं उनको सम्मान करने का किया। संसद में भी 50 से ज्यादा अध्यापक-प्राध्यापक हैं। गुरू पूर्णिमा के दिन उनका सम्मान करके मैं सम्मानित हो गया। झुग्गी झोपड़ी के 12वीं के गुणी छात्रों ने अपनी काबलियत पर दिल्ली यूनिवर्सिटी में पहली लिस्ट में प्रवेश पाया, ऐसे 50 छात्रों का सम्मान मैंने घर बुलाकर किया। जहां भी मैं जाता हूं छात्रों से, अध्यापकों से संवाद करता हूं।

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