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शिक्षा को समाज के दूर-दराज के तबकों तक पहुंचाना चाहिए : श्री पीयूष गोयल

देश-विदेश

नई दिल्ली: केन्‍द्रीय विद्युत, कोयला और नवीकरणीय ऊर्जा राज्‍यमंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) श्री पीयूष गोयल ने कहा है कि डॉन बॉस्‍को संस्‍थानों ने युवाओं को शिक्षित, सम्मिलित और सशक्‍त बनाने की दिशा में एक महत्‍वपूर्ण संरचनात्‍मक यात्रा की है। आज गुवाहाटी में डॉन बॉस्‍को द्विशतवार्षिकी शैक्षिक सम्‍मेलन के दौरान अपने संबोधन में, श्री पीयूष गोयल ने कहा कि शिक्षा का उद्देश्‍य भविष्‍य का नेतृत्‍व प्रदान करना और इसका प्रयोजन उत्‍कृष्‍टता को प्राप्‍त करना होना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि शिक्षा के माध्‍यम से ऐसे नागरिकों का निर्माण करना चाहिए, जो हर समय और हर परिस्थिति में देश की सेवा करने में सक्षम हो।मंत्री महोदय, ने कहा कि शिक्षा युवकों को कौशल और समाज में अपना स्‍थान बनाने में सक्षम बनाने जैसी योग्‍यताएं प्रदान करेगी और इससे समाज के बीच की असमानताओं में कमी आएगी। सुशासन पर अपने विचार व्‍यक्‍त करते हुए मंत्री महोदय ने कहा कि यह शिक्षकों, राजनेताओं, कलाकारों और व्‍यावसायिक व्‍यक्तियों आदि की सामूहिक जिम्‍मेदारी है कि वे समाज में सुशासन लाएं। श्री गोयल ने कहा कि शिक्षा का प्रमुख उद्देश्‍य प्रत्‍येक व्‍यक्ति को आत्‍मनिर्भर बनाना है। उग्रवाद पर अपने विचार व्‍यक्‍त करते हुए श्री पीयूष गोयल ने कहा कि इसकी मूल वजह गरीबी, निरक्षता और अज्ञानता है। उन्‍होंने कहा कि शिक्षाविदों का यह अपेक्षित दायित्‍व है कि वे गुणवत्‍ता शिक्षा के माध्‍यम से समाज के सभी खासतौर पर अलाभान्वित वर्गों तक शिक्षा पहुंचाएं, ताकि इन बुराईयों का अंत किया जा सके। मंत्री महोदय, ने कहा कि हमें भारतीय संविधान की प्रस्‍तावना का पालन करना चाहिए, जो सभी नागरिकों को धर्म और विश्‍वास में समानता प्रदान करता है।

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