नई दिल्ली: कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय देशभर में अपने प्रयासों को मूर्त रूप देने में लगा हुआ है। ‘कुशल भारत‘ के विजन को साकार करने के लिए एवं सभी संबद्ध हितधारकों द्वारा इन प्रयासों की आवश्यकता को पहचानने और तात्कालिक सहयोग के लिए कौशल विकास और उद्यमिता विभाग का गठन 31 जुलाई 2014 को किया गया जिसे बाद में बदलकर 9 नवंबर 2014 को एक पूर्ण मंत्रालय कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय का रूप दे दिया गया।
राष्ट्रीय कौशल विकास एजेंसी, राष्ट्रीय कौशल विकास निगम,राष्ट्रीय कौशल विकास कोष और 33 क्षेत्रीय कौशल परिषदों को कौशल विकास मंत्रालय के अधीन शामिल किया गया है। मंत्रालय का मुख्य कार्य देशभर में सभी कौशल विकास प्रयासों पर सहयोग, कुशल श्रमशक्ति की मांग और आपूर्ति के बीच अंतर को दूर करना, कौशल विकास को बढ़ाना और कौशल उन्नतीकरण तथा उद्यमिता को प्रोत्साहित करना है। वित्त वर्ष 2014-15 में केन्द्रीय मंत्रालयों/विभागों ने लगभग 58,72,800 लोगों को प्रशिक्षित किया है।
आईटीआई और सरकार की कौशल विकास पहलों के माध्यम से व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रणाली में समरूपता लाने के लिए रोजगार और प्रशिक्षण महानिदेशालय और डीडीजी (ट्रेनिंग) और डीडीजी (अप्रेंटिशिप ट्रेनिंग) को 16 अप्रैल, 2015 को कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय को स्थानातंरित कर दिया गया।