प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में पिछले आठ वर्षों में इस सरकार ने बिजली क्षेत्र का पूरी तरह से कायाकल्प कर दिया है।
यह देखना उपयोगी होगा कि किस प्रकार इस बदलाव को सफल बनाया गया।
2014 में कुल संस्थापित बिजली उत्पादन क्षमता 2,48,554 मेगावाट थी तथा लोड शेडिंग देश भर में एक नियमित घटना थी। पिछले आठ वर्षों के दौरान, हमें 1,69,110 मेगावाट उत्पादन क्षमता जोड़ी है। अब हमारे पास 400 गीगावाट की कुल संस्थापित बिजली उत्पादन क्षमता है जबकि अभी तक अधिकतम मांग 215 गीगावाट की रही है।
एक राष्ट्र एक ग्रिड
पिछले 8 वर्षों में, हमने 1,66,080 सर्किट किलोमीटर की ट्रांसमिशन लाइन जोड़ी हैं तथा पूरे देश को एक फ्रीक्वेंसी पर चलने वाले एक एकल विद्युत ग्रिड में एकीकृत कर दिया है। भारतीय ग्रिड अब विश्व के सबसे बड़े एकीकृत ग्रिड के रूप में उभरा है।
2014 में अंतर-क्षेत्रीय हस्तांतरण क्षमता 37,950 मेगावाट थी जिसे मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद बढ़ा कर 1,12, 250 मेगावाट कर दिया गया है। हमारी ट्रांसमिशन लाइन विश्व में सबसे अत्याधुनिक प्रौद्योगिकीयों में से एक 800 केवी एचवीडीसी तैनात करती है और ये दुनिया की सबसे चुनौतीपूर्ण ऊंचाई पर स्थित है। उदाहरण के लिए, श्रीनगर-लेह लाइन समुद्र तल से 15000/16,000 फीट की ऊंचाई से गुजरती है।
सार्वभौमिक पहुंच
हमारी सरकार के सत्ता में आने से पहले, 18,000 से अधिक गांव तथा हजारों बस्तियां बिजली से नहीं जुड़ी थीं। माननीय प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त, 2015 को लालकिले के प्राचीर से 1000 दिनों में प्रत्येक गांव में बिजली पहुंचाने के लक्ष्य की घोषणा की। यह एक बड़ी चुनौती थी क्योंकि हजारों गांव हिमालयी क्षेत्र की ऊंची पहाड़ियों में स्थित थे, जहां खंबे, कंडक्टर, ट्रांसफॉर्मर आदि को भी टट्टुओं और हेलिकॉप्टर द्वारा ले जाना पड़ता था और सैकड़ों गांव व बस्तियां राजस्थान के रेगिस्तानी क्षेत्रों में थीं। हमने लक्ष्य तिथि से 13 दिन पहले ही अर्थात 987 दिनों में ही इस टार्गेट को पूरा कर लिया। अंतरराष्ट्रीय एनर्जी एजेंसी ने इसे दुनिया भर में 2018 की ऊर्जा क्षेत्र की सबसे बड़ी खबर बताया।
इसके बाद, प्रधानमंत्री ने देश के प्रत्येक घर को बिजली से जोड़ने का लक्ष्य निर्धारित किया। हमने इसे 18 महीने में ही कार्यान्वित कर दिया। कुल 2.86 करोड़ घरों को बिजली दी गई। यह संख्या जर्मनी और फ्रांस की संयुक्त जनसंख्या के बराबर है। जैसाकि अंतरराष्ट्रीय एनर्जी एजेंसी ने बताया, यह विश्व के ऊर्जा क्षेत्र के इतिहास में इतने कम समय में पहुंच का सबसे अधिक विस्तार था। सभी राज्यों ने प्रमाणित किया कि प्रत्येक इच्छुक परिवार को बिजली दी गई है। इसके बाद, कुछ राज्यों ने बताया कि कुछ घर, जो पहले अनिच्छुक थे, अब उन्होंने बिजली कनेक्शन की इच्छा जताई है। हमने इन घरों को भी जोड़ा तथा सभी राज्यों को यह सुनिश्चित करने को कहा कि यदि कोई अन्य घर जो ‘‘ सौभाग्य- सार्वभौमिक पहुंच की योजना” के लॉन्च होने के दिन अस्तित्व में था, और छूट गया था, तो उन्हें शामिल किया जाना चाहिए। मोदी सरकार की नीति यह सुनिश्चित करने की है कि कोई भी छूट न जाए।
वितरण प्रणाली को सुदृढ़ बनाना
हमने अभूतपूर्व पैमाने पर वितरण प्रणाली को मजबूत किया है। हमने 2,01,722 करोड़ रुपये की लागत से सभी राज्यों में वितरण प्रणाली को मजबूत करने के लिए योजनाएं लागू की हैं। हमने 2,921 नए सब-स्टेशन जोड़े, 3,926 मौजूदा सब-स्टेशनों को अपग्रेड किया 6,04,465 सर्किट किलोमीटर एलटी लाइनें और 2,68,838 किलोमीटर 11 केवीए एचटी लाइनें डाली/बदली; 1,22,123 सर्किट किलोमीटर के अलग कृषि फीडरों का निर्माण किया; और राज्यों की वितरण प्रणाली को मजबूत करने के लिए 7,31,961 ट्रांसफॉर्मर स्थापित किए। इसके आश्चर्यजनक परिणाम निकले। ग्रामीण इलाकों में 2015 में बिजली की औसत उपलब्धता 12 घंटे थी- आज यह 22 ½ घंटे है। शहरी इलाकों में औसत 23½ घंटे है। डीजी सेटों का बाजार अब खत्म हो गया है।
ऊर्जा परिवर्तन
हमारी सरकार को पर्यावरण की चिंता है। 2015 में, प्रधानमंत्री मोदी ने 2022 तक 175 गीगावाट अक्षय ऊर्जा क्षमता स्थापित करने के लक्ष्य की घोषणा की। दो साल के कोविड/लॉकडाउन के बावजूद, आज हमने 158 गीगावाट अक्षय ऊर्जा क्षमता स्थापित की है– 54 गीगावाट स्थापित होने की प्रक्रिया में है।
हम दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अक्षय ऊर्जा क्षमता वाले देश के रूप में उभरे हैं। हमें अक्षय ऊर्जा में निवेश के लिए दुनिया के सबसे आकर्षक केन्द्र का भी दर्जा मिला है। दुनिया में प्रत्येक प्रमुख राशि हमारे हरित ऊर्जा कार्यक्रम में निवेश की जा रही है। सीओपी-21 में, हमने प्रतिज्ञा की थी कि 2030 तक, हमारे बिजली उत्पादन क्षमता का 40 प्रतिशत नवीकरणीय ऊर्जा से आएगा। हमने इस लक्ष्य को नवम्बर 2021 में हासिल कर लिया है- जो हमारे लक्ष्य की तारीख से पूरे 9 साल पहले है।
अब हमारा लक्ष्य हर घर में रूफ टॉप लगाने और हर सिंचाई पंप को सौर ऊर्जा से चलाने लायक करने का है।
इसी प्रकार हम उत्सर्जन में कमी लाने के एक मिशन में लगे हैं। हमने पेरिस में सीओपी-21 में प्रतिज्ञा की थी कि 2030 तक हम अपनी अर्थव्यवस्था की उत्सर्जन तीव्रता को 2005 के स्तर की तुलना में 33 प्रतिशत से 35 प्रतिशत तक कम कर देंगे। हम पहले ही 30 प्रतिशत कटौती के लक्ष्य तक पहुंच चुके हैं। हमारा उजाला कार्यक्रम दुनिया का सबसे बड़ा एलईडी कार्यक्रम है और इसके परिणामस्वरूप कार्बनडाइक्साइड उत्सर्जन में प्रति वर्ष 106 मिलियन टन कमी आई है।
हमारे पास अपने उद्योग में ऊर्जा दक्षता बढ़ाने और उत्सर्जन को कम करने के लिए कार्यक्रम हैं – कार्यक्रम को प्रदर्शन, उपलब्धि और व्यापार कहा जाता है, जिसका अर्थ है कि ऊर्जा दक्षता में वृद्धि उत्सर्जन में कमी लाती है। इसके परिणामस्वरूप कार्बनडाइक्साइड उत्सर्जन में प्रति वर्ष 103 मिलियन टन कमी आई है। हमारे पास एयर कंडीशनर, रेफ्रिजरेटर आदि जैसे उपकरणों के लिए एक ऊर्जा दक्षता कार्यक्रम है – जिसे स्टार रेटिंग प्रोग्राम कहा जाता है जिसमें हम उपकरणों की उनकी ऊर्जा दक्षता के आधार पर वन स्टार से फाइव स्टार तक रेटिंग करते हैं। इसके परिणामस्वरूप कार्बनडाइक्साइड उत्सर्जन में प्रति वर्ष 53 मिलियन टन की कमी आई है। हमने वाणिज्यिक भवनों की ऊर्जा दक्षता के लिए ऊर्जा संरक्षण भवन कोड नामक एक कार्यक्रम और भवनों के निर्माण के लिए इको निवास संहिता नामक एक कार्यक्रम तैयार किया है।
उपरोक्त कदमों के परिणामस्वरूप, हम एकमात्र जी-20 राष्ट्र और एकमात्र प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में उभरे हैं, जिनके ऊर्जा परिवर्तन कार्य वैश्विक तापमान में 2 डिग्री से कम वृद्धि के अनुरूप हैं।
दुनिया के इतिहास में परिवर्तन का पैमाना बेजोड़ है। चूंकि हमने अपने एनडीसी लक्ष्यों को पहले ही हासिल कर लिया है, हमने 2030 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता स्थापित करने का संकल्प लेते हुए सीओपी-26 में अपने लक्ष्यों को बढ़ा दिया है। इसके अतिरिक्त हमने 2030 तक कार्बनडाइक्साइड उत्सर्जन को 1 बिलियन टन कम करने का भी संकल्प लिया है। हम इन लक्ष्यों को प्राप्त करेंगे।
सरकार ने बिजली क्षेत्र के सम्पूर्ण विस्तार को शामिल करते हुए व्यापक सुधार किए हैं।
सरकार ने बिजली का प्रवाह लगातार जारी रखने के लिए साख पत्र का प्रावधान अनिवार्य कर दिया है और देरी से भुगतान के अधिभार को 18 प्रतिशत से घटाकर 12 प्रतिशत कर दिया है। बिजली क्षेत्र के इतिहास में पहली बार, हमने उपभोक्ताओं के अधिकारों की व्याख्या करते हुए नियम निर्धारित किए हैं जिसमें कनेक्शन देने की समय सीमा, खराब मीटरों को बदलने, बिलों में सुधार आदि शामिल हैं। मोदी सरकार के अंतर्गत ‘कानून में बदलाव’ के कारण लागत वसूली की प्रक्रिया को सरल बनाया गया है। हमने समय सारणी में लचीलापन प्रदान करने के लिए नियम बनाए हैं बशर्ते बिजली उत्पादन करने वाले दक्ष स्टेशनों की कार्य योजना सबसे पहले क्रियान्वित हो। इसने उपभोक्ताओं के लिए बिजली की लागत को कम कर दिया है। पारदर्शिता लाने के लिए हमने सीटीयू को पावरग्रिड से अलग कर दिया है। सामान्य नेटवर्क एक्सेस नियमों को लागू करके ट्रांसमिशन नेटवर्क से कनेक्टिविटी के नियमों को सरल बनाया गया है। हमने बाजार का विस्तार किया है– समयोजित विपणन रणनीति लाकर; और नवीकरणीय ऊर्जा के लिए निश्चित समय पर बिजली खरीदने-बेचने और खरीदने-बेचने के लिए लेन-देन की व्यवस्था की है। हमने थर्मल पावर प्लांटों में थर्मल एनर्जी और बायो-मास कोफायरिंग के साथ अक्षय ऊर्जा को इकट्ठा करना संभव बनाया है। हमने जेनकोस के लिए एक्सचेंज में बिजली बेचने में सक्षम होना संभव बनाया है, अगर पीपीए धारक ने इसे निर्धारित नहीं किया है।
व्यवस्था की व्यवहार्यता सुनिश्चित करने और वित्तीय अनुशासन लाने के लिए, सरकार ने सभी योजनाओं के तहत धनराशि दी है और पीएफसी व आरईसी से उनके उपक्रम सुधारों पर सशर्त ऋण प्रदान किया है। इसके परिणामस्वरूप 36 डिस्कॉम या वितरण कम्पनियों ने एटीएंडसी घाटे में कमी और एसीएस-एआरआर अंतर के साथ-साथ सब्सिडी और सरकारी बकाया के भुगतान की समय सीमा पर सहमति व्यक्त की है। डिस्कॉम में कॉर्पोरेट सुधार किए जा रहे हैं। हमने वितरण कंपनियों के लिए एक नई रेटिंग प्रणाली स्थापित की है जो सबसे आगे डिस्कॉम के संचालन में सुधार करती है।
बिजली प्रणली के समूचे अतिरिक्त प्रवाह में किए गए व्यापक सुधारों का पैमाना पिछली सरकारों की किसी भी अवधि के लिए बेमिसाल हैं। इससे पहले किसी भी अन्य सरकार ने वितरण क्षेत्र के सुधारों को कभी नहीं छुआ था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की परिकल्पना के अनुरूप, हम “राष्ट्र के भविष्य की शक्ति” के मिशन के साथ एक उज्जवल भारत की दिशा में काम कर रहे हैं।
– केंद्रीय विद्युत एवं नवीन तथा नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री आर. के. सिंह