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आठवें दीक्षांत समारोह और छत्तीसगढ़ सहकार समिति, रायपुर में लोगों को सम्बोधित करते हुएः राधा मोहन सिंह

देश-विदेश

नई दिल्ली: इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर (छत्तीसगढ़) के आठवें दीक्षांत समारोह और छत्तीसगढ़ सहकार समिति, रायपुर में केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री राधा मोहन सिंह ने लोगों को सम्बोधित किया।

  • केन्द्र सरकार ने पांचवी डीन कमेटी की सिफारिशों को देश भर के विश्वविद्यालयों में लागू कर कृषि शिक्षा को व्यवहारिक और रोजगार परक बना दिया है।
  • नयी तकनीक के विकास के साथ कृषि के तरीकों में नित नये परिवर्तन हो रहे हैं।
  • केन्द्र सरकार ने नयी जरूरतों और वक्त की मांग ध्यान में रखते हुए कृषि शिक्षा बजट वर्ष 2013-14 के मुकाबले वर्ष 2016-17 में 40.5 प्रतिशत की रिकार्ड वृद्धि की है।
  • देश भर में छत्तीसगढ़ कृषि एवं सहकार का अनूठा संगम है।
  • छत्तीसगढ़ के 21वें कृषि विज्ञान केन्द्र का आज हुआ उद्घाटन शेष 6 नये जिलों में भी शीघ्र स्थापित होंगे कृषि विज्ञान केन्द्र।

रायपुर, छत्तीसगढ़। केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री राधा मोहन सिंह ने कहा है कि नयी तकनीक के विकास के साथ कृषि के तरीकों में नित नये परिवर्तन हो रहे हैं। इन प्रोद्योगिकों का अधिक से अधिक उपयोग करने के लिए यह जरूरी है कि कृषि शिक्षा को सुदृढ़ बनाया जाए। केन्द्र सरकार ने नयी जरूरतों और वक्त की मांग ध्यान मे रखते हुए कृषि शिक्षा का बजट रुपये 405 करोड़ (2013-14) से बढ़ाकर रुपये 570 करोड़ (2016-17) कर दिया है जो कि 40.5 प्रतिशत की रिकार्ड वृद्धि है। कृषि मंत्री ने ये बात छत्तीसगढ़ के रायपुर स्थित इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के आठवें दीक्षांत समारोह में कही। कृषि मंत्री ने इस मौके पर उपाधि प्राप्त करने वाले छात्र- छात्राओं को बधाई दी और कृषि के क्षेत्र में विश्वविद्यालय और छात्र- छात्राओं द्वारा हासिल उपलब्धियों की सराहना की। समारोह में राज्य के मुख्यमंत्री डा.रमन सिंह, राज्यपाल,विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री बलराम जी दास टंडन और छत्तीसगढ़ के कृषि एवं जल संसाघन मंत्री श्री बृजमोहन अग्रवाल भी उपस्थित थे।

कृषि मंत्री ने आगे कहा कि पांचवी डीन कमेटी की सिफारिशों को देश भर के कृषि विश्वविद्यालयों में लागू कर कृषि शिक्षा को व्यवहारिक और रोजगार परक बना दिया गया है। वर्ष 2014-16 में देश भर में 10 नये कृषि विश्वविद्यालय खोले गये। डेयर/आईसीएआर के बजट में रुपये 148.7 करोड़ की वृद्धि की गयी ताकि परिषद अपने अनुसंधान संस्थान एवं अखिल भारतीय समन्वित परियोजनाओं द्वारा नयी किस्मों, कृषि तकनीकों, नये उत्पादों एवं प्रसंस्करण के क्षेत्र में सुचारू रूप से शोध कर सके। उन्होंने यह जानकारी भी दी कि कृषि विज्ञान केन्दों के बजट में वर्ष 2013-14 (रुपये 527करोड़) की तुलना में वर्ष 2016-17 (रुपये 745 करोड़) में 41 प्रतिशत की वृद्धि की गयी है।

कृषि मंत्री श्री राधा मोहन सिंह ने इसके पहले रायपुर के कृषक नगर में कृषि विज्ञान केन्द्र, रायपुर का उद्घाटन किया इस अवसर पर श्री सिंह ने कहा कि देश भर में जिला मुख्यालयों में स्थित कृषि विज्ञान केन्द्रों की निगरानी एवं प्रबंधन हेतु के.वी.के. पोर्टल इसी माह प्रारंभ की गई है तथा 8 क्षेत्रीय कार्यालयों की संख्या बढ़ाकर 11 कर दी गई है। यह के.वी.के. इस राज्य का 21वां के.वी.के. है। शेष बचे 6 नये जिलो में भी शीघ्र के.वी.के. स्थापित किये जायेंगे।

आज ही श्री सिंह छत्तीसगढ़ सहकार भारती द्वारा आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए। शहीद स्मारक भवन, रायपुर में आयोजित इस कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि भारत की संस्कृति में सहकार को विशेष महत्व दिया गया है। कृषि और सहकार एक दूसरे के पूरक हैं, कृषि कर्म है एवं सहकार धर्म है। उन्होंने बताया कि देश भर में छत्तीसगढ़ कृषि एवं सहकार का एक अनूठा संगम है। यहां पैक्सों के जरिए धान को समर्थन मूल्य में खरीद कर किसानों को आर्थिक लाभ दिया जा रहा है। सरकार के इस काम में सहकार का विशेष योगदान है।

कृषि मंत्री ने कहा कि सरकार ने किसान की सहायता के लिए कई कदम उठाए हैं। उसे कम ब्याज पर कर्ज देने की व्यवस्था की गयी है जिससे वह बीज, खाद आदि खरीद सके, परंतु उन्होंने माना कि यह पर्याप्त नहीं है। सच तो यह है कि उस तक सहायता नहीं पहुंच पाती। उन्होंने कहा कि जब तक किसान निर्धन और अशिक्षित रहेगा तब तक देश उन्नति नहीं कर सकता। किसान की हर तरह से सहायता कर उसे स्वावलंबी और शिक्षित बनाया जाना चाहिए। गरीबी-अमीरी की खाई पाटने हेतु सहकार की बड़ी भूमिका है।

उन्होंने जानकारी दी कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने देश के बजट का एक बड़ा हिस्सा कृषि को समर्पित कर दिया है। किसानों को खेती के साथ पशुपालन, फल – सब्जी उत्पादन, बकरी पालन, मुर्गी पालन आदि की दिशा में आगे लाने के लिए मोदी सरकार ठोस प्रयास कर रही है। हमारी कोशिश है कि छोटे से छोटे किसान को भी लाभ पहुंचे।

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