नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि हम एक ऐसे भारत का निर्माण करना चाहते हैं जो ‘विश्वगुरु’ या वैश्विक शिक्षक बन सके और
हमारी सभ्यता तथा मूल्य दुनिया भर के नागरिकों को प्रेरित और प्रोत्साहित कर सकें। वह यहां गैर सरकारी संगठन ‘हेल्दी एजिंग इंडिया’ द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में ‘युवा पीढ़ी के माध्यम से बुजुर्गों का सशक्तिकरण’ परियोजना की शुरुआत के बाद उपस्थित लोगों को संबोधित कर रहे थे।
श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि बुजुर्गों की सेवा सहित जीवन के मूल्य हमारी परंपरा का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। उन्होंने कहा कि वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल करना न केवल हमारी पारिवारिक प्रणाली का हिस्सा है बल्कि इसे देश के नीति निर्देशक सिद्धांतों में भी निहित किया गया है और इसके अलावा ये सीपीसी, सीआरपीसी का हिस्सा होने के अलावा राज्यों और केंद्र के बीच आम शक्तियों की संवर्ती सूची का भी हिस्सा हैं।
राजनाथ सिंह ने भगवान राम को याद करते हुए कहा कि अपने माता-पिता के वचन को कायम रखने और उनकी देखभाल करने के लिए उन्हें ‘मर्यादा पुरुषोत्तम’ के रूप में जाना जाता है। उन्होंने कहा कि युवाओं को हमारे पारंपरिक मूल्यों को आवश्यक रूप से आत्मसात करना चाहिए। यह एक ऐसी प्रणाली होनी चाहिए जिसमें दिमाग से ज्यादा दिल काम करे। यह हमारी बुजुर्ग आबादी के लिए अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि वर्तमान में यह संख्या दस करोड़ से अधिक है और वर्ष 2050 तक इसके 30 करोड़ से अधिक पहुंच जाने का अनुमान है।