नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने बुजुर्ग व्यक्तियों का सम्मान करने और उनसे मार्गदर्शन लेने की आवश्यकता पर बल दिया है। बुजुर्ग व्यक्तियों को समाज का जागरूक रक्षक बताते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें सुविधाएं प्रदान करने के लिए पर्याप्त उपाय किए जाने चाहिए। उपराष्ट्रपति आज यहां अंतर्राष्ट्रीय बुजुर्ग दिवस के अवसर पर वयोश्रेष्ठ सम्मान पुरस्कार 2018 प्रदान करने के बाद एकत्र जनसमूह को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर केन्द्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री श्री थावर चंद गहलोत, सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्यमंत्री श्री रामदास अठावले, श्री कृष्ण पाल गुर्जर, श्री विजय सांपला और अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि वे बुजुर्गों के पांडित्य और अनुभव को सलाम करते हैं, जिनके कठोर परिश्रम और निस्वार्थ त्याग ने राष्ट्र निर्माण में मदद की है। मैं उनके संघर्ष, उनकी अनोखी यात्राओं और उनकी सफलता का अभिवादन करता हूं।
उपराष्ट्रपति ने अधिकारियों और वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण के लिए कार्य कर रहे लोगों का आह्वान किया कि वे ‘बूढ़ा’ शब्द के इस्तेमाल से बचें और उसके स्थान पर ‘वरिष्ठ’ का इस्तेमाल करें। उन्होंने कहा कि भारत में कोई ‘ओल्ड ऐज होम’ नहीं होना चाहिए, केवल ‘होम्स फॉर द एल्डरली एंड सीनियर सिटीजन्स’ होना चाहिए। उन्होंने कहा कि बूढ़ा शब्द से पूर्वाग्रह झलकता है और हमारे वरिष्ठजनों की ऊर्जा के साथ न्याय नहीं होता।
बुजुर्गों की अनदेखी की बढ़ती घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि समाज के शहरीकरण के साथ छोटे परिवारों का तेजी से प्रसार हो रहा है तथा दो पीढ़ियों के बीच जुड़ाव कमजोर हो रहा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि संयुक्त परिवार की प्रणाली को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि उसके अंतर्गत बुजुर्गों को सम्मानजनक स्थान मिलता है। बुजुर्ग व्यक्ति सच्चाई, परम्पराओं, परिवार के सम्मान, संस्कार और पांडित्य के संरक्षक हैं और वर्तमान पीढ़ी अथवा परिवार के बच्चों की जिम्मेदारी है कि वे बुजुर्ग व्यक्तियों का कल्याण सुनिश्चित करने के लिए वृह्द भूमिका अदा करें।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि चिकित्सा संबंधी बढ़ता खर्च, खासतौर से बुजुर्ग व्यक्तियों के लिए एक बोझ है। उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार की स्वास्थ्य योजनाओं जैसे आयुष्मान भारत का विस्तार, बुजुर्ग नागरिकों के लिए किया जाना चाहिए। 2011 की जनगणना के आंकड़ों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि कुल आबादी का 8.6 प्रतिशत लोग 60 वर्ष से अधिक उम्र के हैं और उन तक पहुंचना तथा उनकी आवश्यकता के अनुसार उन्हें सुविधाएं देना तथा उनकी प्रतिष्ठा को बचा कर रखना महत्वपूर्ण है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि स्वास्थ्य देखभाल संबंधी सस्ते कार्यक्रमों में सभी बुजुर्गों को शामिल करने के लिए एक विशेष अभियान चलाया जाना चाहिए। सरकार की इस तरह की योजनाओं का लाभ उठाने की प्रक्रिया आसान होनी चाहिए और हम यह उम्मीद नहीं कर सकते हैं कि हमारे बुजुर्ग नागरिक इन योजनाओं का लाभ उठाने के लिए उस उम्र में कार्यालयों के चक्कर काटें।