नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति श्री हामिद अंसारी ने कहा है कि वरिष्ठ नागरिकों की ख़ुशहाली भारत के संविधान में अधिदेशित की गई है। वह यहां हेल्पेज इंडिया द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक दिवस को संबोधित कर रहे थे। उपराष्ट्रपति ने कहा कि जनगणना के आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में आबादी युवा है, आधी से ज़्यादा जनसंख्या ३५ वर्ष से कम आयु की है।
परंतु जिस तथ्य को अक्सर नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है वह यह है कि बढ़ती हुई आयु-संभाव्यता के कारण भारत में वृ्द्धों की संख्या भी काफी बड़ी है। यह बढ़ता हुआ वह असुरक्षित तबका है जिसके प्रबंधन के लिए समाज में साधनों का अभाव है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय समाज में औद्योगिकीकरण, शहरीकरण और वैश्वीकरण के प्रभाव से तेज़ी से परिवर्तन हो रहे हैं और पारम्परिक मूल्य और संस्थाओं में भी बदलाव हो रहा है। उन्होंने कहा कि लघु परिवारों के दौर में परिवार आधारित सामाजिक सुरक्षा साधन अपर्याप्त हो गए हैं और ग्राम्य एवं कृषक वातावरण से शहरी और व्यावसायिक जीवन होने साथ ही गांवों से शहरों और देश से बाहर पलायन युवा पीढ़ी को बुज़ुर्गों को अपने घरों पर छोड़ देने के लिए बाध्य कर रहा है। उन्होंने विचार रखा कि स्वास्थ्य सेवाओं के महंगा होने के कारण खर्चे बढ़ गए हैं। उपराष्ट्रपति ने कहा कि बुज़ुर्गों की उत्पादकता-अवधि बढ़ाने के लिए भी प्रयास किए जाने चाहिए।
श्री हामिद अंसारी ने कहा कि हमारे समाज में बुज़ुर्गों के प्रति बरताव और नज़रिए में बदलाव की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सेवाएं वृद्धों की ज़रूरतों के हिसाब से आधारित होनी चाहिए जिसके लिए उनकी रुग्णता पर विस्तारपूर्ण सर्वेक्षण और उनके लिए अहम स्वास्थ्य-क्षेत्रों में प्रयोजनमूलक आकलन हो। उन्होंने कहा कि बुज़ुर्गों की शिक्षा, प्रशिक्षण और सूचना संबंधी आवश्यकताओं को भी पूरा किया जाना चाहिए। उन्होंने राय रखी कि बुज़ुर्गों में ज़्यादा कमज़ोर तबकों– ग़रीब, निःशक्तजन, दुर्बल, परिवारहीन एवं जीर्ण रोगों से पीड़ित वृद्धों को कल्याणकारी सहायता देने को प्रधानता दी जानी चाहिए।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि ग़ैर सरकारी संस्थाओं को डे केयर, नागरिक बहुसेवा केंद्रों, विकलांगता संबंधी उपकरणों की आपूर्ति, अल्पकालिक निवास संबंधी सेवाओं और समाजसेवियों के मित्रवत मुआयनों जैसी सेवाओं के लिए सहयोग और प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए।