नई दिल्ली: निर्वाचन आयोग ने आज चुनाव से संबंधित विभिन्न मुद्दों के संदर्भ में सभी राष्ट्रीय व राज्य स्तरीय राजनीतिक दलों के साथ बैठक की। इस बैठक में 7 राष्ट्रीय पार्टियों और 34 राज्य स्तरीय पार्टियों ने भाग लिया। अपने उद्घाटन संबोधन में मुख्य निर्वाचन आयुक्त श्री ओ.पी. रावत ने कहा कि आयोग, चुनाव के संदर्भ में राजनीतिक दलों के सुझावों को बहुत महत्व देता है।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त श्री ओ.पी. रावत ने कहा कि राजनैतिक पार्टियां सुधारों की शुरूआत करती हैं और लोगों व मतदान कर्मियों को संगठित करने में एजेंट के रूप में कार्य करती है। चुनावी लोकतंत्र को मजबूत बनाने में राजनैतिक पार्टियां सबसे महत्वपूर्ण हितधारक हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त ने आगे कहा कि आयोग को इस बात का गर्व है कि लोग, मीडिया और सभी राजनैतिक दल निर्वाचन आयोग पर पूर्ण विश्वास करते हैं। आयोग के दरवाजे सभी के लिए खुले हैं। आयोग सभी के साथ सम्मान और निष्पक्षता का व्यवहार करता है। श्री रावत ने राजनैतिक दलों के प्रतिनिधियों से आग्रह किया कि वे राजनैतिक चंदे में पारदर्शिता, सोशल मीडिया सहित पारंपरिक मीडिया प्रबंधन, मतदान और मतगणना के संदर्भ में सभी हितधारकों का विश्वास तथा लोकतंत्र को मजबूत बनाने के विषय पर अपने सुझाव प्रदान करें। सूचना प्रौद्योगिकी के विकास ने विश्व स्तर पर लोकतंत्र के समक्ष चुनौतियां पेश की हैं। चुनाव आयोग ने इन चुनौतियों से निपटने और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए राजनैतिक दलों से सुझाव आमंत्रित किए।
सभी राजनैतिक दलों से आश्वासन दिया कि वे मतदाता सूची को तैयार करने में आवश्यक सहयोग प्रदान करेंगे। पार्टियों ने सुझाव दिया कि उन्हें मतदाता सूची से हटाए गए नामों की सूची भी उपलब्ध कराई जानी चाहिए। कुछ दलों ने सुझाव दिया कि मतदाता सूची पुनरीक्षण का कार्य त्यौहारों के मौसम को ध्यान में रखते हुए किया जाना चाहिए। चुनाव आयोग ने कहा कि मतदाता पुनरीक्षण का कार्य सभी राज्यों में (उन राज्यों को छोड़कर जहां चुनाव होने हैं) 01 सितम्बर से प्रारंभ होगा और यह एम महीने के बजाय दो महीनों तक जारी रहेगा। कुछ राजनैतिक दलों ने आयोग से अनुरोध किया कि ईवीएम पर भरोसा बढ़ाने के लिए एक निश्चित प्रतिशत की मात्रा में वीवीपीएटी रसीद की व्यवस्था की जानी चाहिए।
राजनीतिक दलों ने आयोग से आग्रह किया कि बेहतर मतदाता सूची प्रबंधन के लिए मतदाताओं के ब्यौरे में आधार नम्बर को जोड़ा जाना चाहिए। पार्टियों ने पेड न्यूज पर चिंता जताई और कहा कि इस पर नियंत्रण के लिए इसे चुनावी अपराध घोषित किया जाना चाहिए।