नई दिल्ली: मुख्य चुनाव आयुक्त श्री सुनील अरोड़ा और चुनाव आयुक्त श्री अशोक लवासा ने आज ‘चुनावों को समावेशी और सुगम बनाना’ विषय पर एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया। निर्वाचन आयोग 9वें राष्ट्रीय मतदाता दिवस के अवसर पर इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन कर रहा है। राष्ट्रीय मतदाता दिवस प्रत्येक वर्ष 25 जनवरी को मनाया जाता है। नई दिल्ली में आयोजित इस सम्मेलन में बांग्लादेश, भूटान, कजाकिस्तान, मालदीव, रूस और श्रीलंका जैसे चुनाव प्रबंधन निकायों (ईएमवी) के प्रमुख/मुख्य चुनाव आयुक्त/आयुक्त व वरिष्ठ अधिकारी तथा मलेशियन कॉमनवेल्थ स्टडीज सेन्टर, यूके; इंटरनेशनल सेंटर फॉर पार्लियामेंट्री स्टडीज, यूके और इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर डेमोक्रेसी एंड इलैक्टोरल एसिस्टेंस (आईडीईए) जैसे अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों के प्रमुख/वरिष्ठ प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।
अपने संबोधन में मुख्य चुनाव आयुक्त श्री सुनील अरोड़ा ने कहा कि स्वतंत्र, निष्पक्ष, पारदर्शी, विश्वसनीय और नैतिक चुनाव एक लोकतांत्रिक सरकार की वैधानिकता के लिए महत्वपूर्ण हैं। लोकतांत्रिक प्रतिनिधित्व में मतदाताओं के सभी वर्गों/समुदायों के मत को शामिल किया जाना चाहिए। पारदर्शिता, उत्तरदायित्व और प्रतिस्पर्धा के साथ-साथ समावेशी चुनाव लोकतांत्रिक राजनीति को सशक्त बनाते है। भारतीय संदर्भ में मुख्य चुनाव आयुक्त ने जोर देते हुए कहा कि चुनाव आयोग सभी हितधारकों विशेषकर राजनीतिक दलों के सभी प्रकार के सुझावों/फीडबैक का स्वागत करता है। मतदाताओं के पश्चात् राजनीतिक पार्टियां ही सबसे महत्वपूर्ण हितधारक है। उन्होंने कहा कि धमकी देने, दवाब डालने आदि से निर्वाचन आयोग को मतदान पर्ची वाले पुराने दिनों में वापस जाने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। वर्तमान स्थिति को आयोग ने निरंतर बनाये रखा है और भविष्य में भी इसे बनाये रखा जाएगा। मतदान पर्ची वाले समय गलत पहचान के आधार पर वोट डालने और असामाजिक तत्वों द्वारा बूथ लूटने आदि से संबंधित असंख्य शिकायतें आती थी। इसके अतिरिक्त, चुनाव परिणाम की घोषणा में विलंब होता था और कभी-कभी इसमें तीन से चार दिन लग जाते थे। ईवीएम की स्वतंत्रता और निष्पक्षता को सुरक्षित रखने के लिए चुनाव आयोग ने एक सशक्त प्रौद्योगिकी और प्रशासनिक व्यवस्था को बनाये रखा है। वीवीपैट ने मतदाताओं के मतों की पारदर्शिता को और भी बेहतर बनाया है।
चुनावों में इस्तेमाल होने वाली ईवीएम पर हाल में जो आरोप लगाए गए हैं, उसके संबंध में श्री अरोड़ा ने मशीनों को निशाना बनाने की निंदा की जिन्हें अकारण विवाद में घसीटा जा रहा है। ‘ईवीएम का इस्तेमाल पिछले दो दशकों से हो रहा है। वर्ष 2014 के बाद कई चुनावों में मशीनों ने भिन्न-भिन्न चुनावों में भिन्न-भिन्न नतीजे दिए हैं।’ श्री अरोड़ा ने उल्लेख किया कि पांच राज्यों में हाल में हुए चुनावों में भी ईवीएम का इस्तेमाल किए जाने वाले कुल एक लाख 76 हजार निर्वाचन केंद्रों में से मानक संचालन प्रक्रिया के उल्लंघन की केवल छह घटानाएं हुईं, और वे भी आरक्षित ईवीएम मशीनों में जिन्हें वास्तविक चुनावों में इस्तेमाल नहीं किया गया था। उन्होंने कहा, ‘हालांकि यह अनुपात नगण्य है लेकिन इसके बावजूद ऐसे मामलों में भी सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई। भारत निर्वाचन आयोग ने चुनाव प्रक्रिया में किसी भी तरह की त्रुटि को न बर्दाश्त किया है और न बर्दाश्त करेगा।’
श्री अरोड़ा ने सार्वभौमिक मानवाधिकार घोषणा (यूडीएचआर) 1948 और अंतरराष्ट्रीय नागरिक एवं राजनीतिक अधिकार अनुबंध (आईसीसीपीआर) 1966 आदि प्रासंगिक संयुक्त राष्ट्र संधियों का भी उल्लेख किया, जिन्होंने विश्व भर के लोकतांत्रिक देशों को ‘समावेशी एवं सुगम चुनाव’ के लिए अपने संवैधानिक, विधायी और वैधानिक ढांचे को आकार देने के संबंध में समर्थन और शक्ति दी है तथा उनका मार्गदर्शन किया है।
प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए चुनाव आयुक्त श्री अशोक लवासा ने कहा कि भारत निर्वाचन आयोग ने विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में पारदर्शी तरीके से स्वतंत्र, निष्पक्ष और भरोसेमंद चुनाव कराने में अग्रणी भूमिका निभाई है। उसने चुनाव प्रबंधन निकायों के साथ उत्कृष्ट व्यवहारों और ज्ञान कौशल को साझा किया है। उन्होंने भारत निर्वाचन आयोग की अंतरराष्ट्रीय जगत में निभाई गई सक्रिय भूमिका का उल्लेख करते हुए कहा कि आयोग ने एफईएमबीओएसए, एएईए, ए-वेब और इंटरनेशनल आईडिया जैसे क्षेत्रीय तथा विश्व निकायों के साथ नजदीकी सहयोग के जरिये चुनाव प्रबंधन के क्षेत्र में महती भूमिका निभाई है। इस संबंध में भारत निर्वाचन आयोग ने जॉर्डन, मालदीव, नामीबिया, मिस्र, भूटान और नेपाल जैसे कई देशों को तकनीकी सहायता प्रदान की है; कई देशों में चुनाव के लिए अध्ययन/पर्यवेक्षण मिशन भेजे हैं, अनुभवों तथा कौशल को साझा करने के लिए आदान-प्रदान किया है और क्षमता निर्माण कार्यक्रमों को सहायता प्रदान की है।
श्री लवासा ने कहा, ‘यह भारतीय जनता, हमारे लोकतंत्र और चुनाव प्रणाली के लिए गौरव की बात है कि 1951 के शुरुआती दौर में मतदाताओं की संख्या 17 करोड़ 60 लाख थी जो 2014 में 66.4 प्रतिशत बढ़कर लगभग 88 करोड़ हो गई है।’
उन्होंने कहा कि महत्वपूर्ण बात यह है कि इसका दायरा लगातार बढ़ रहा है और इसमें महिलाएं, पहली बार मत डालने वाले मतदाता, दिव्यांगजन, ट्रांसजेंडर और सैन्य/पुलिस बलों के मतदाताओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। उन्होंने कहा अगली उपलब्धि यह है कि इसमें और सुधार किया जाए तथा नैतिक मतदान की दिशा में काम किया जाए।
वरिष्ठ उप निर्वाचन आयुक्त श्री उमेश सिन्हा ने अपने स्वागत संबोधन में उपस्थित प्रतिनिधियों को ‘हमारे चुनावों को समावेशी एवं सुगम बनाने’ पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन की रूपरेखा से अवगत कराया। उन्होंने इस बात का उल्लेख किया कि भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने लोकसभा के लिए 16 आम चुनाव और राज्य विधानसभाओं के लिए 388 से भी अधिक चुनाव आयोजित कर पिछले 68 वर्षों के दौरान देश को लोकतंत्र की राह पर अग्रसर करने का नेतृत्व किया है। ईसीआई को आज अपने सुदृढ़ अंतर्राष्ट्रीय सहयोग कार्यक्रम के जरिए आवश्यक जानकारियां प्रदान करने और अन्य ईएमबी के साथ सर्वोत्तम प्रथाओं एवं कौशल को साझा करने के कार्य में एक प्रतिष्ठित संस्थान के तौर पर पूरी दुनिया में जाना जाता है। उन्होंने अपने प्रमुख कार्यक्रम ‘व्यवस्थित मतदाता शिक्षा एवं चुनावी भागीदारी (एसवीईईपी)’ के तहत ईसीआई द्वारा की गई विभिन्न पहलों पर प्रकाश डाला। इनका उद्देश्य मतदाताओं की विभिन्न श्रेणियों के बीच समावेशन को बढ़ाना है, ताकि उनकी चुनावी भागीदारी को प्रोत्साहित किया जा सके। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस सम्मेलन में साझा किये गये विचार और अनुभव इस दिशा में सभी हितधारकों के लिए अत्यंत उपयोगी साबित होंगे।
इस एक दिवसीय सम्मेलन के दौरान ईएमबी और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के प्रमुखों एवं वरिष्ठ प्रतिनिधियों के साथ सत्र आयोजित किए गए। इस दौरान उन्होंने अपनी ओर से प्रस्तुतियां दीं और अपने-अपने उन अनुभवों, सर्वोत्तम प्रथाओं या तौर-तरीकों तथा पहलों को साझा किया, जिनका उद्देश्य चुनावी भागीदारी, नामांकन और सक्रिय सहभागिता बढ़ाना है, ताकि इन सभी प्रतिनिधियों के अपने-अपने देशों में मतपत्र संबंधी समावेश एवं सुगम कवायद सुनिश्चित की जा सके।
ईसीआई ने आज सम्मेलन के दौरान चुनावी प्रबंधन के क्षेत्र में सहयोग के लिए भूटान के चुनाव आयोग के साथ हस्ताक्षरित सहमति पत्र (एमओयू) का भी नवीकरण किया। इस अवसर पर ईसीआई ने अपनी तिमाही पत्रिका ‘वॉयस इंटरनेशनल’ के जनवरी 2019 अंक का विमोचन भी किया। इस पत्रिका में विश्व भर के लोकतांत्रिक देशों में होने वाले समावेशी एवं सुगम चुनावों से जुड़ी जानकारियों को साझा करने के बारे में व्यापक अनुभवों का विवरण पेश किया जाता है।
अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधियों को नई दिल्ली में 25 जनवरी, 2019 को आयोजित होने वाले राष्ट्रीय मतदाता दिवस के अवसर पर आयोजित होने वाले सम्मेलन में भी भाग लेने के लिए भी आमंत्रित किया गया है। इसके अलावा, अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधियों को नई दिल्ली के द्वारका स्थित भारत अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र और निर्वाचन प्रबंधन संस्थान (आईआईआईडीईएम) के नये परिसर का अवलोकन करने के लिए भी आमंत्रित किया गया है। इनमें से कुछ प्रतिनिधि 26 जनवरी, 2019 को गणतंत्र दिवस के अवसर पर होने वाले विभिन्न समारोहों के भी साक्षी बनेंगे।