नई दिल्ली: प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के सभी लोगों को 24×7 बिजली उपलब्ध करने के विजन को हासिल करने की दिशा में पिछले 365 दिनों में रिकॉर्ड उपलब्धि हासिल हुई और अनेक नये कदम उठाए गए। पिछले वर्ष की एक ऐतिहासिक उपलब्धि यह रही कि बिजली की कमी की मात्रा केवल 3.6 प्रतिशत रही जो भारत के इतिहास में अबतक सबसे कम है, सर्वाधिक बिजली क्षमता संवर्धन- 22,566 मेगावाट, ट्रांसमिशन लाइन क्षमता में अब तक की सर्वाधिक वृद्धि- 22,100 सर्किट कि.मी., सब स्टेशन क्षमता में अब तक की सर्वाधिक वृद्धि – 66,554 एमवीए तथा कोल इंडिया द्वारा अब तक का सबसे अधिक कोयला उत्पादन- 32 मिलियन टन रहा।
विद्युत उत्पादन वृद्धि भी 20 वर्ष में सर्वाधिक रही- 8.4 प्रतिशत, 23 वर्षों में सर्वाधिक कोयला उत्पादन वृद्धि- 8.3 प्रतिशत तथा सौर क्षमता में 42 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
भ्रष्टाचार उन्मूलन– कोयले की पारदर्शी ई-नीलामी से प्राप्त 3.35 लाख करोड़ रूपये का राजस्व पूर्वी भारत में कोयला उत्पादक राज्यों को मिल रहा है। ई-नीलामी ने प्राकृतिक संसाधनों के पारदर्शी तथा ईमानदार आवंटन का आधार तैयार किया है। एलईडी बल्ब की कीमत 74 प्रतिशत कम हुई है। ऐसा पारदर्शी खरीदारी के कारण हुआ (फरवरी 2014 में 310 रुपये से मार्च, 2015 में 82 रुपये)।
भविष्य के लिए लांच की गई योजनाओं में 2022 तक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता पांच गुनी बढ़ाकर 175,000 मेगावाट करना, (नवीकरणीय वित्त सम्मेलन आरई- इन्वेस्ट 2015 आयोजित कर 273,000 मेगावाट का करार हुआ), प्लग-एन-प्ले मोड में पांच नई अल्ट्रामेगा विद्युत परियोजनाएं (कुल 20,000 मेगावाट), पारदर्शी ई-बोली के जरिए बंद पड़े गैस आधारित विद्युत संयंत्रों को फिर से आरंभ करके पीक लोड कटौती में कमी, दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना (डीडीयूजीजेवाई) तथा एकीकृत विद्युत विकास योजना (आईपीडीएस) के माध्यम से सब-ट्रांसमिशन तथा वितरण में 1.09 लाख करोड़ का निवेश तथा चालू वर्ष में बोली के लिए तैयार एक लाख करोड़ रुपये की नई ट्रांसमिशन परियोजनाएं शुरू की जाएंगी।
स्वच्छ ऊर्जा को प्राथमिकता दी जाएगी। लगभग 100 मेगावट के 25 सोलर पार्क बनाने की योजना है। नवीकरणीय ऊर्जा के संप्रेषण के लिए 38,000 करोड़ रूपये हरित ऊर्जा गलियारा स्थापित किया जा रहा है। अगले तीन वर्षों में सभी तरह के बल्ब की जगह एलईडी बल्ब ले लेगा। इससे उपभोक्ताओं के बिजली बिलों में बचत होगी जबकि प्रस्तावित विद्युत अधिनियम संशोधन से उपभोक्ताओं को बिजली सप्लाई करने वाली कंपनी बदलने का अधिकार होगा । इससे स्पर्धा बढ़ेगी और बेहतर सेवा मिलेगी।
आठ पूर्वोत्तर राज्यों (अरूणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा) में विद्युत प्रणाली को उन्नत बनाने के लिए 9,865 करोड़ रुपये के निवेश के साथ पिछड़े क्षेत्रों के विकास पर जोर दिया जाएगा। बिजली पश्चिमी क्षेत्र से दक्षिणी क्षेत्र ले जाने के लिए 26,000 करोड़ रूपये के निवेश के साथ ट्रांसमिशन लाइन को स्वीकृति दी गई।
कोरपोरेट–सामाजिक-दायित्व (सीएसआर) कार्यक्रम के अंतर्गत 2,250 करोड़ रुपये की लागत से उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, पूर्वोत्तर जैसे राज्यों के स्कूलों में 1,25,000 शौचालय बनाने का कार्य शुरू हुआ। उपरोक्त योजनाएं सभी के लिए 24×7 बिजली देने का रोड मैप प्रदान करती हैं। अब तक के प्रदर्शन ने यह विश्वास प्रदान किया है कि प्रधानमंत्री के मिशन को पूरा किया जाएगा।