नई दिल्ली: ‘स्वच्छ भारत’ अभियान का दायरा बढ़ाकर इसमें साइबर वर्ल्ड को भी लाते हुए इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री रवि शंकर प्रसाद ने आज उन मालवेयर एवं बॉटनेट के विश्लेषण के लिए साइबर स्वच्छता केंद्र-बॉटनेट क्लीनिंग एवं मालवेयर विश्लेषण केंद्र का शुभारंभ किया जो नेटवर्कों एवं प्रणालियों को बुरी तरह प्रभावित कर देते हैं। यह इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के ‘डिजिटल इंडिया’ अभियान का एक हिस्सा है, जिसका उद्देश्य भारत में बॉटनेट के संक्रमण का पता लगाकर एक सुरक्षित साइबर स्पेस का सृजन करना और अधिसूचित करने के साथ-साथ क्लीनिंग को सुनिश्चित करना और अंतिम उपयोगकर्ताओं की प्रणालियों को सुरक्षित करना है, ताकि संक्रमण को फैलने से रोका जा सके। इस केंद्र का परिचालन इंडियन कंप्यूटर एमरजेंसी रिस्पांस टीम (सीईआरटी-इन) द्वारा किया जा रहा है। इस केंद्र का लक्ष्य सरकार और उद्योग जगत के बीच आपसी समन्वय को बढ़ाना है, ताकि सभी उपयोगकर्ताओं के बीच साइबर स्वच्छता को प्रोत्साहित किया जा सके और इसके साथ ही भारत में एक सुदृढ़ एवं सुरक्षित इंटरनेट परितंत्र का सृजन भी किया जा सके।
इस अवसर पर माननीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा,‘भारत पूरी दुनिया की अंकरूपण (डिजिटाइजेशन) प्रक्रिया की अगुवाई करने जा रहा है। भारत आज उन देशों के प्रतिष्ठित क्लब में शामिल हो गया जिन्होंने अपने नागरिकों के इस्तेमाल के लिए मालवेयर क्लीनिंग प्रक्रियाएं पहले से ही स्थापित कर रखी हैं। वर्तमान में हमारे यहां ऐसे 13 बैंक और इंटरनेट सेवा प्रदाता हैं, जो इस सुविधा का उपयोग कर रहे हैं। देश में डिजिटल दायरे का विस्तार होने के साथ ही मुझे वर्ष के आखिर तक साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में स्टार्ट-अप की संख्या में काफी वृद्धि होने की उम्मीद है।’
श्री रवि शंकर प्रसाद ने यह भी कहा, ‘विभिन्न क्षेत्रों में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी की बढ़ती भूमिका और इंटरनेट के जरिए लेन-देन एवं डेटा के आदान-प्रदान में हो रही वृद्धि के साथ-साथ डिजिटल इंडिया की दिशा में तेजी से बढ़ते हमारे कदमों को देखते हुए साइबर सुरक्षा सर्वाधिक महत्वपूर्ण कारक के रूप में उभर कर सामने आई है। माननीय प्रधानमंत्री ने यह बात दोहराई है। साइबर खतरों का सामना करना कोई ऐसा कार्य नहीं है जो सिर्फ सरकार अथवा किसी संगठन अथवा किसी व्यक्ति द्वारा ही संपन्न किया जाए। इसके लिए भागीदारी की अवधारणा को अपनाने की जरूरत है। आज लांच किया गया यह केंद्र इंटरनेट सेवा प्रदाताओं और उद्योग जगत के साथ तालमेल बैठाकर काम करेगा। यह केंद्र नागरिकों के बीच बॉटनेट और मालवेयर संक्रमण के बारे में जागरूकता भी बढ़ाएगा। इसके अलावा यह केंद्र लोगों की डिवाइस को सुरक्षित रखने के लिए आवश्यक कदम भी उठाएगा।’
माननीय मंत्री ने साइबर स्वच्छता केंद्र का शुभारंभ करने के अवसर पर निम्नलिखित घोषणाएं कीं:
- राष्ट्रीय साइबर समन्वय केंद्र का परिचालन जून, 2017 तक शुरू हो जाएगा।
- क्षेत्रवार सीईआरटी का गठन किया जाएगा, जो सीईआरटी-इन के अंतर्गत काम करेंगी।
- सीईआरटी का गठन राज्य स्तर पर भी किया जाएगा।
- 10 और एसटीक्यूसी (मानकीकरण परीक्षण और गुणवत्ता प्रमाणन) इकाइयों की स्थापना की जाएगी।
- ऐसे किसी भी स्टार्ट-अप को परीक्षण शुल्क देना होगा, जो साइबर सुरक्षा की तलाश में कोई डिजिटल प्रौद्योगिकी पेश करेगा, इसमें 50 प्रतिशत की कमी की जाएगी।
- सशक्त नामित फॉरेंसिक लैब्स साइबर अपराध को साबित करने वाले एक प्रमाणित प्राधिकरण के रूप में काम करेंगी।
केंद्र सरकार इस दिशा में इंटरनेट सेवा प्रदाताओं (आईएसपी) और एंटी-वायरस कंपनियों के साथ अच्छा तालमेल बैठाते हुए कार्य करेगी।
इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय में सचिव सुश्री अरुणा सुंदरराजन ने कहा, ‘हमारे देश में आईसीटी से जुड़े बुनियादी ढांचे के बढ़ते दायरे को देखते हुए साइबर सुरक्षा का खतरा अब और भी ज्यादा गंभीर एवं प्रत्यक्ष हो गया है। आज आम आदमी को हैंकिंग, स्पैमिंग, मालवेयर और आंकड़ों की चोरी होने की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि, इसके बावजूद इन मसलों के साथ-साथ इनसे संरक्षण के बारे में जागरूकता काफी कम है। इस दिशा में आपस में सहयोग करने के साथ-साथ साइबर स्वच्छता केंद्र जैसे सोल्यूशंस पेश करने की जरूरत है ताकि भारत के नागरिकों के लिए एक सुदृढ़ एवं सुरक्षित साइबर वर्ल्ड सुनिश्चित किया जा सके।’
नागरिकों के लिए जारी किए गए कुछ उपकरणों (टूल्स) का ब्यौरा नीचे दिया गया है:
- यूएसबी प्रतिरोध – यह एक डेस्कटॉप सिक्योरिटी सोल्यूशन है, जो यूएसबी मास स्टोरेज डिवाइस के खतरों से रक्षा करता है।
- एपसंविद- यह एक डेस्कटॉप सोल्यूशन है, जो व्हाइट लिस्टिंग के जरिए वास्तविक एप्लीकेशन को इंस्टॉल करने की सुविधा देकर प्रणालियों की रक्षा करता है। इससे द्वेषपूर्ण एप्लीकेशन से होने वाले खतरों की रोकथाम करने में भी मदद मिलती है।
- एम-कवच – यह स्वदेश में ही विकसित किया गया एक सोल्यूशन है, जो मोबाइल में उभरने वाले सुरक्षा संबंधी खतरों का निवारण करता है।
बॉट एवं मालवेयर को हटाने में सहायक उपकरणों (टूल्स) को नि:शुल्क डाउनलोड करने के लिए कृपया इस वेबसाइट www.cyberswachhtakendra.gov.in पर जाएं।
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