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नए भारत के निर्माण में कौशल और शिक्षा के एकीकरण पर बल

देश-विदेश

सरकार एकीकृत, समग्र शिक्षा, विभिन्न मंत्रालयों/विभागों के बीच जुड़ाव और साझा बुनियादी ढांचे के साथ राष्ट्रीय स्तर पर सक्षम बनाने के लिए एक ईकोसिस्टम का निर्माण कर रही है, जोकि उस आर्टिफिशियल विभाजन को समाप्त करती है जिसके कारण शिक्षा और कौशल का आपसी जुड़ाव नहीं हो पाता है।

नए जमाने की अर्थव्यवस्था के आगमन के साथ, वर्क लैंडस्केप एक परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। नतीजतन, इस बदलाव की तैयारी के लिए शिक्षा और कौशल ईकोसिस्टम्स की मांग बढ़ रही है।

माध्यमिक शिक्षा पूरी करने के बाद छात्रों का हाई ड्रॉप-आउट रेट अर्थव्यवस्था के इच्छित उत्पादकता लाभ को प्रभावित करता है। इसके साथ ही, कई उद्योग जगत के लीडर्स उच्च शिक्षण संस्थानों से पास-आउट्स के लगातार रोजगार मिलने की कमी के बारे में शिकायत करते हैं। इन मुद्दों को हल करने के लिए, सरकार ने शिक्षा-कौशल प्रणाली में प्रमुख सुधार के रूप में सामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा और एप्लीकेशन-आधारित शिक्षा के एकीकरण की पहचान की है।

इन मुद्दों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 में उजागर किया गया है, जिसमें व्यावसायिक शिक्षा सहित गुणवत्तापूर्ण समग्र शिक्षा की परिकल्पना की गई है। इस नीति में 2025 तक बच्चों के लिए 50% व्यावसायिक एक्सपोज़र देने के लिए व्यावसायिक कौशल को स्कूलों और उच्च शिक्षा पाठ्यक्रम में शामिल करने की सिफारिश की गई है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन के साथ, समग्र शिक्षा और कौशल का अनुभव करने के लिए चार महत्वपूर्ण प्रतिमानों को लागू किया जा रहा है:

सबसे पहले, एक एकीकृत क्रेडिट फ्रेमवर्क पहचान किए गए अनुमानित घंटों के अनुसार विभिन्न शिक्षा सेटिंग्स में किए गए विभिन्न पाठ्यक्रमों के क्रेडिट असाइनमेंट और क्रेडिट ट्रांसफर को व्यक्त करने में सक्षम होगा, जिससे क्रेडिट ट्रांसफर और वर्टिकल एवं हॉरिजॉन्टल मोबिलिटी सक्षम होगी।

दूसरा, एकीकृत कौशल दृष्टिकोण शिक्षा-कौशल के बुनियादी ढांचे में मौजूदा सार्वजनिक निवेश से जुड़ाव होगा और आर्थिक लाभ को बढ़ावा देगा। पहले कदम के तौर पर, स्किल हब पायलट को जनवरी में लॉन्च किया गया था। कौशल प्रशिक्षण देने के लिए बुनियादी ढांचे और व्यावसायिक संसाधनों को साझा करने में सक्षम बनाने के लिए शिक्षा और स्किल इकोसिस्टम में लगभग 5,000 ऐसे केंद्रों की पहचान की गई है।

तीसरा, स्कूली पाठ्यक्रम में व्यावसायिक और एप्लीकेशन-आधारित विषयों का एकीकरण होगा। ज्ञान-संबंधी, मशीनी संबंधी और इंटरपर्सनल स्किल्स से संबंधित व्यावहारिक प्रशिक्षण-उन्मुख पाठ्यक्रमों के एक्सपोजर के माध्यम से छात्रों को वर्ल्ड ऑफ वर्क के लिए उन्मुख किया जाएगा। ये, एक काउंसलिंग साल्यूशन के साथ, छात्र के कैरियर ओरिएंटेशन के प्रारंभिक संकेत प्रदान करेंगे।

हाल के वर्षों में सीखने में टेक्नोलॉजी के बढ़ते एकीकरण के साथ, शिक्षा, कौशल और रोजगार के क्षेत्रों में टेक्नोलॉजी को प्रतिमान के रूप में जोड़ने का समय आ गया है। ये पहल संभावित रूप से एक विषम और बँटा हुआ सिस्टम की मौजूदा अक्षमताओं को परिभाषित कर सकती हैं।

प्रस्तावित स्किल इंडिया प्लेटफॉर्म सभी उम्र के व्यक्तियों और उनके शैक्षिक और पेशेवर करियर के किसी भी स्तर पर इंफोमंड लर्निंग और करियर विकल्प बनाने में सुविधा प्रदान करेगा। इसमें एपीआई और सत्यापित क्रेडेंशियल, फाइनेंशियल इन्क्लूशन और अवसरों के लिए अलग-अलग लेयर्स होंगी। ये लेयर्स काउंसलिंग, आइडेन्टिटी वैलिडेशन, करियर विकल्प, स्किल्स, वित्तीय अनुप्रयोगों के साथ जुड़ाव, और क्रेडिट और मॉनिटरिंग मैकेनिजम सहित एक नागरिक के पूरे ट्रेनिंग लाइफ साइकिल का मैप तैयार करेंगी। डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर शिक्षा प्रणाली, श्रम और रोजगार के डिजिटल आर्किटेक्चर के साथ इंटरऑपरेबल होगा।

सरकार महसूस करती है कि शिक्षा और सीखने की दुनिया अकादमिक और एप्लीकेशन-आधारित ज्ञान के बीच अंतर नहीं करती है। सरकार एकीकृत, समग्र शिक्षा, विभिन्न मंत्रालयों/विभागों के बीच जुड़ाव और साझा बुनियादी ढांचे के साथ राष्ट्रीय स्तर पर सक्षम बनाने के लिए एक ईकोसिस्टम का निर्माण कर रही है, जोकि उस आर्टिफिशियल विभाजन को समाप्त करती है जिसके कारण शिक्षा और कौशल का आपसी जुड़ाव नहीं हो पाता है।            

राजेश अग्रवालकौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय (एमएसडीई), भारत सरकार के सचिव हैं। सिद्धार्थ सोनावतएमएसडीई के वरिष्ठ सलाहकार हैं। इस लेख में व्यक्त किए गए विचार उनके निजी विचार हैं। 

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