नई दिल्ली: केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर नई दिल्ली में पहली बार स्कूल पूर्व से उच्च माध्यमिक स्तर पर राज्यों को समर्थन देते हुए स्कूली शिक्षा के लिए एक समेकित योजना ‘समग्र शिक्षा’ योजना लांच की। यह योजना स्कूली शिक्षा की अवधारणा में महत्वपूर्ण बदलाव है और इसमें ‘स्कूल’ को स्कूल पूर्व प्राइमरी, अपर प्राइमरी, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्तरों की निरंतरता के रूप में माना गया है।
इस अवसर पर श्री जावड़ेकर ने कहा कि ‘सबको शिक्षा, अच्छी शिक्षा’ प्रदान करने की प्रधानमंत्री की प्रतिबद्धता के अनुरूप मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया है और स्कूली शिक्षा की वर्तमान योजना को पूरी तरह बदल दिया है ताकि स्कूली शिक्षा को स्कूल पूर्व प्राइमरी, अपर प्राइमरी, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्तरों की निरंतरता के रूप में माना जा सके। योजना का फोकस अंग्रेजी के टी शब्द – टीचर्स और टेक्नोलॉजी का एकीकरण करके सभी स्तरों पर गुणवत्ता में सुधार लाना है। समग्र का अर्थ संपूर्ण है न कि विभिन्न भागों की संख्या। इस योजना का नामकरण सटीक है क्योंकि यह योजना विभिन्न स्तरों की शिक्षा को बांटे बगैर स्कूल शिक्षा को समग्र दृष्टि से देखती है।
श्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि पहले तीन योजनाओं अर्थात् एसएसए, आरएमएसए एवं शिक्षक की शिक्षा पर बजट 2017-18 में 28,000 करोड़ रुपये था। लेकिन नई योजना पर बजट परिव्यय अब 2018-19 में 34,000 करोड़ रुपये एवं 2019-20 में 41,000 करोड़ रुपये होगा, जो 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी है और यह केन्द्र सरकार की शिक्षा के प्रति प्रतिबद्धता प्रदर्शित करती है। उन्होंने कहा कि लगभग एक मिलियन स्कूलों को पुस्तकालयों को सुदृढ़ बनाने के लिए 5,000 रुपये से 20,000 रुपये तक का पुस्तकालय अनुदान प्राप्त होगा, जिससे कि ‘पढ़ेगा भारत, बढ़ेगा भारत’ सुनिश्चित हो सके।
उन्होंने यह भी कहा कि प्रत्येक स्कूल को समग्र शिक्षा के तहत प्राथमिक के लिए 5,000 रुपये, उच्चतर प्राथमिक के लिए 10,000 रुपये तथा एसएससी और एचएससी स्कूलों के लिए 25,000 रुपये तक की कीमत के खेल उपकरण उपलब्ध कराए जाएंगे, जिससे कि ‘खेलेगा भारत, खिलेगा भारत’ के स्वप्न को साकार करने के लिए खेल की भावना उत्पन्न किया जा सके तथा खेलों के महत्व पर जोर दिया जा सके। श्री जावड़ेकर ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ की प्रतिबद्धता को पूर्ण करने के लिए 2018-19 में 4385.60 करोड़ तथा 2019-20 में 4553.10 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय (केजीबीवी) को विस्तारित कर कक्षा 6-8 से कक्षा 6-12 तक कर दिया गया है।
उन्होंने कहा कि यह योजना ग्रेड अनुसार, विषय अनुसार शिक्षा प्राप्ति परिणामों पर आधारित होगी। शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए जिला स्तर के कदमों के बारे में रणनीति बनाने के लिए 2017-18 में सबसे बड़ा राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण (एनएएस) कराया गया। इससे विद्यार्थियों को शिक्षा देने में फोकस विषय वस्तु से लेकर योग्यता पर किया जाएगा। योजना में सभी हितधारकों -माता-पिता/अभिभावक, स्कूल प्रबंधन समिति सदस्य, समुदाय तथा राज्यकर्मी सभी की सक्रिय भागीदारी होगी ताकि बच्चों को गुणवत्ता संपन्न शिक्षा सुनिश्चित की जा सके।
श्री जावड़ेकर ने कहा कि शिक्षक स्कूल शिक्षा प्रणाली की धुरी होता है। यह योजना इस महत्वपूर्ण स्तंभ को मजबूत बनाने पर फोकस करेगी। यह कार्य प्रशिक्षण के लिए नोडल एजेंसियों-एससीईआरटी तथा डीआईईटी के माध्यम से किया जाएगा। इन संस्थानों को मजबूत बनाया जाएगा ताकि राज्यों में इन-सर्विस और प्री-सर्विस के एकीकरण पर बल दिया जा सके। इससे सभी स्तरों पर स्कूली शिक्षण की गुणवत्ता में मजबूती आएगी।
यह योजना टेक्नोल़ॉजी का लाभ उठाने और सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अच्छी गुणवत्ता, संपन्न शिक्षा की पहुंच को व्यापक बनाने में सहायक होगी। शिक्षकों के लिए राष्ट्रीय डिजिटल प्लेटफार्म ‘दीक्षा’ शिक्षकों के उपयोग के लिए उच्च गुणवत्ता की शिक्षण सामग्री उपलब्ध कराएगा। यह योजना पांच वर्षों से अधिक सभी माध्यमिक विद्यालयों में ‘ऑपरेशन डिजिटल बोर्ड’ को समर्थन देगी ताकि स्मार्ट क्लास रूमों, डिजिटल बोर्डों तथा डीटीएच चैनलों के माध्यम से डिजिटल टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल को बढ़ाया जा सके। शाला कोष, सगुन, शाला सारथी जैसी डिजिटल पहलों को मजबूत बनाया जाएगा।
माननीय मंत्री महोदय ने माईगॉव पर योजना के लिए लोगो डिजाइन करने की प्रतियोगिता की घोषणा की। यह लोगो बच्चों के समग्र विकास के लिए समग्र दृष्टिकोण के महत्व को प्रदर्शित करेगा।
श्री उपेन्द्र कुशवाहा ने अपने संबोधन में कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में यह एक नई पहल है और समग्र शिक्षा स्कूल पूर्व स्तर से 12वीं कक्षा तक एकल शिक्षा स्कूल विकास कार्यक्रम के माध्यम से योजनाओं के एकीकरण का लाभ स्कूल को एक इकाई के रूप में देखने में मिलेगा। उन्होंने कहा कि सरकार का यह प्रयास है कि बच्चे सभी तरह के कौशलों-अकादमिक, अतिरिक्त गतिविधि और व्यावसायिक-से लैस हों ताकि वह भारत के विकास के लिए आधारशिला रख सकें। एकीकृत योजना स्कूली शिक्षा की अवधारणा में महत्वपूर्ण बदलाव है और इसमें शिक्षक, टेक्नोलॉजी तथा विद्यार्थी के शिक्षा ग्रहण को एकीकृत किया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि फोकस गुणवत्तापूर्ण शिक्षा में बेहतरी लाने के लिए शिक्षकों के प्रशिक्षण एवं प्रौद्योगिकी पर रहेगा।
श्री प्रकाश जावड़ेकर ने समग्र शिक्षा योजना की पुस्तिका और वेबसाइट का लोकार्पण किया। पुस्तिका में योजनाओं की विशेषताएं दी गई है और बताया गया है कि योजना किस तरह शिक्षा प्राप्ति परिणामों और टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल को बढ़ाकर शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने पर बल देती है ताकि बच्चे और शिक्षक सशक्त बन सकें।
वेबसाइट में राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों, बच्चों, संस्थानों एवं व्यापक रूप से आम लोगों की सूचना के लिए योजना के बारे में विवरण दिया गया है। इसमें उन कदमों का विवरण दिया गया है, जिसके लिए योजना के तहत राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों को वित्तीय सहायता दी जा सकती है। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के नवीनतम संदर्भ के लिए वेबसाइट पर सभी अधिसूचनाएं, पत्राचार तथा सर्कुलरों को उपलोड किया गया है। परियोजना से एक ऑनलाइन परियोजना निगरानी प्रणाली जोड़ी गई है जो लक्ष्यों के संदर्भ में प्रगति को मापती है और एकीकृत योजना के विभिन्न कदमों के क्रियान्वयन प्रक्रिया की निगरानी करती है।
इस अवसर पर स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग के सचिव श्री अनिल स्वरूप, स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग की विशेष सचिव सुश्री रीना रे तथा स्कूली शिक्षा तथा मानव संसाधन विकास मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे। कार्यक्रम राष्ट्रीय बाल भवन के बच्चों द्वारा सुमधुर आवाज में सरस्वती वंदना के साथ आरंभ हुआ।