लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार का संकल्प है कि प्रत्येक महिला को उत्तम गर्भावस्था सेवायें और सम्मानपूर्ण प्रसव सुविधा प्रदान करे। वर्ष 2005 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के गठन के बाद से ही मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। प्रदेश में मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए गुणवत्तापूर्ण एवं सुलभ स्वास्थ्य सेवायें प्रदान की जा रही हैं। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 (2019-2021) के अनुसार प्रति लाख जीवित प्रसव के आधार पर मातृ मृत्यु दर 167 है, जिसे सस्टेनेबल डेवेलपमेंट गोल-2030 के अनुसार कम कर के 70 पर लाने का लक्ष्य रखा गया है। इसी प्रकार नवजात शिशु मृत्यु दर प्रति 1000 जीवित प्रसवों के आधार पर 28 है जिसे ैक्ळ के अनुसार 2030 में 12 तक लाने का लक्ष्य रखा गया है।
इन लक्ष्यों को पाने के लिए वर्ष 2018 में प्रदेश के जिला महिला/संयुक्त चिकित्सालयों और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सम्बन्धी गुणवत्तापरक उपलब्ध कराने के लिए ‘‘लक्ष्य‘‘ प्रमाणीकरण कार्यक्रम प्रारम्भ किया गया, जिसका लाभ आम जनमानस को प्राप्त हो रहा है। अभी भी लगभग 46 : मातृ मृत्यु, 40 : मृत शिशु का जन्म तथा 40 : नवजात शिशु की मृत्यु प्रसव के दिन होती है। जिसमें सुधार हेतु प्रसव देखभाल में क्रातिकारी परिवर्तन की आवश्यकता है। लक्ष्य कार्यक्रम के अन्तर्गत उपरोक्त वर्णित समस्त बिन्दुओं को सम्मिलित किया गया जिससे मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य संबंधी प्रदान की जाने वाली स्वास्थ्य सेवा में गुणवत्ता प्रदान की जा सके। अनिवार्य रूप से प्रसव तथा प्रसवोत्तर देखभाल पर विशेष बल देने की आवश्कता है, जिसमें मातृ एवं नवजात शिशु के रोग संबंधी जटिलताओं की त्वरित पहचान एवं प्रबन्धन तथा ससमय संदर्भन सम्मिलित है। इसके अतिरिक्त सम्मानजनक मातृत्व देखभाल को प्रोत्साहित किया जाना कार्यक्रम का अभिन्न अंग है।
‘लक्ष्य’ प्रमाणीकरण कार्यक्रम के अन्तर्गत चिकित्सा इकाईयों के लेबर रूम तथा मेटरनिटी ओ0टी0 को भारत सरकार द्वारा विकसित चेकलिस्ट में उल्लिखित मानकों के अनुसार तीन चरणों में एसेसमेंट (इन्टरनल, स्टेट एसेसमेंट और एक्सटर्नल एसेसमेंट) के उपरान्त ही अर्हता प्राप्त करने पर प्रमाणीकरण प्रदान किया जाता है। प्रदेश में राष्ट्रीय औसत की तुलना में व्याप्त उच्च मातृ मृत्यु दर में गिरावट लाने हेतु लेबर रूम तथा मैटरनिटी ओ0टी0 की ढांचागत व्यवस्थ्या एवं चिकित्सीय सेवा लक्ष्य स्टैण्डर्ड के अनुरूप होना अत्यन्त आवश्यक है ताकि प्रसव के लिए चिकित्सा इकाई में आई गर्भवती महिला को सर्वोत्तम स्वास्थ्य सेवा प्राप्त है। वर्तमान में प्रदेश की 37 जनपदों में कुल 51 चिकित्सा इकाईयां (35 जिला स्तरीय चिकित्सालय तथा 16 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र) लक्ष्य प्रमाणीकरण प्राप्त कर चुकी हैं तथा वर्ष 2023 तक समस्त 75 जनपदो में न्यूनतम 200 चिकित्सा इकाईयों को प्रमाणीकृत करने का लक्ष्य रखा गया है ताकि मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए गुणवत्तापूर्ण एवं सुलभ स्वास्थ्य सेवायें प्रदान कर सस्टेनेबल डेवेलपमेंट गोल-2030 के तय लक्ष्यों को पाया जा सके।