नई दिल्ली: महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के तहत आने वाला खाद्य एवं पोषण बोर्ड 1 से 7 अगस्त 2019 के बीच मनाए जा रहे विश्व स्तनपान सप्ताह (डब्ल्यूबीडब्ल्यू) के दौरान ‘माता–पिता को सशक्त बनाना, स्तनपान को सक्षम करना’ थीम पर कई गतिविधियों का आयोजन कर रहा है। इस वर्ष स्तनपान के संरक्षण, प्रचार और समर्थन पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।
खाद्य एवं पोषण बोर्ड की 43 सामुदायिक खाद्य एवं पोषण विस्तार इकाइयों के जरिये 30 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में अन्न प्रासन्न उत्सव और आईवाईसीएफ पर क्विज प्रतियोगिता जैसी गतिविधियां आयोजित की जा रही हैं। इनमें राज्यों के स्वास्थ्य विभागों के अधिकारियों, गृह विज्ञान कॉलेजों, चिकित्सा संस्थानों, यूनिवर्सिटियों, एनजीओ और दूसरे हितधारकों को भी शामिल किया गया है।
विश्व स्तनपान सप्ताह के उद्देश इस प्रकार हैं:
- माता-पिता में स्तनपान को लेकर जागरूकता पैदा करना।
- माता-पिता को स्तनपाल को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना।
- शुरुआत एवं अनन्य स्तनपान के महत्व को लेकर जागरुकता पैदा करना और पर्याप्त एवं उचित पूरक आहार।
- स्तनपान के महत्व से संबंधित सामग्री उपलब्ध कराना।
स्तनपान महत्वपूर्ण है क्योंकिः
- यह मां और बच्चे दोनों के बेहतर स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है।
- यह प्रारंभिक अवस्था में दस्त और तीव्र श्वसन संक्रमण जैसे संक्रमणों को रोकता है और इससे शिशु मृत्यु दर में कमी आती है।
- यह मां में स्तन कैंसर, अंडाशय के कैंसर, टाइप 2 मधुमेह और हृदय रोग विकसित होने के खतरे को कम करता है।
- यह नवजात को मोटापे से संबंधित रोगों, डायबिटीज से बचाता है और आईक्यू बढ़ाता है।
शिशु और छोटे बच्चे को दूध पिलाने के सही तरीकेः
- जन्म के एक घंटे के अंदर स्तनपान की शुरुआत।
- जन्म के बाद पहले छह महीने तक अनन्य स्तनपान। अन्य प्रकार के दूध, आहार, पेय अथवा पानी को ‘ना’।
- स्तनपान को जारी रखते हुए छह महीने की आयु से उचित और पर्याप्त पूरक आहार।
- दो वर्ष की आयु अथवा इसके बाद तक निरंतर स्तनपान।
विश्व स्तनपान सप्ताह के दौरान आयोजित की जाने वाली गतिविधियां स्तनपान कराने वाली माताओं और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए संगोष्ठी की तरह हैं। ताकि आंगनवाड़ी केंद्रों से लगे क्षेत्रों के लाभार्थियों को एकत्र कर, पौष्टिक आहार और क्विज प्रतियोगिताओं की प्रतिस्पर्धा के जरिये उनमें स्तनपान, आंगनवाड़ी केंद्रों में बच्चों के अन्न प्रासन्न के महत्व को लेकर जागरुकता पैदा की जा सके।
इसके अलावा, पोषण, शिशुओं एवं छोटे बच्चों के लिए कम कीमत वाले पोषक आहार को लेकर जमीनी स्तर पर प्रदर्शनियों का आयोजन किया जाएगा। स्वास्थ्यकर भोजन, स्वच्छता बनाए रखने और सफाई को लेकर भी जागरुकता पैदा की जाएगी। साथ ही इनके गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए महत्व को भी बताया जाएगा। इसके अतिरिक्त, कठपुतली शो, स्किट्स, नृत्य एवं नाटकों, फिल्मों, स्लाइड शो, एवी स्पॉट्स और रैलियां के जरिये ग्रामीण स्तर पर भी जाकरुकता कार्यक्रम चलाए जाएंगे।
पोषण को लेकर इस तरह के महत्वपूर्ण प्रयासों से कुपोषण के दुष्चक्र को तोड़ने और सरकार को राष्ट्रीय पोषण लक्ष्यों एवं सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को हासिल करने में मदद मिलेगी। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, स्तनपान को बढ़ाकर अंतरराष्ट्रीय स्तर के पास ले जाने से प्रत्येक वर्ष 8,00,000 से ज्यादा जीवन बचाने में मदद मिलेगी। इसमें बड़ी संख्या 6 महीने से कम आयु के बच्चों की है।