लखनऊ: उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा है कि महिला सशक्तिकरण के लिए सरकार द्वारा उल्लेखनीय व उत्कृष्ट कार्य किए जा रहे हैं। स्वयं सहायता समूहों द्वारा निर्मित सामग्री को देश व विदेश में विपणन हेतु सरकार लगातार प्रयत्नशील है और उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा महिला सशक्तिकरण के लिए उत्कृष्ट कार्य किए जा रहे हैं । स्वयं सहायता समूह महिला सशक्तिकरण के शक्ति केंद्र के साबित हो रहे हैं। श्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी व उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में किए जा रहे कार्यों से महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में क्रांति आई है। उन्होंने कहा कि सरकार सबका साथ- सबका विकास -सबका विश्वास और सबका प्रयास के साथ आगे बढ़ रही है। सरकार व समाज की सहभागिता से समूह स्वावलंबी तो होंगे ही और विकास की नई ऊंचाइयों को भी छुएंगे। महिलाएं जो काम करती हैं ,उसमें सफलता अवश्य मिलती हैं । सरकार उनके सहयोग के लिए हमेशा तैयार है।महिला स्वयं सहायता समूह वर्तमान में महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में क्रांति का एक केंद्र बन चुका है।आज देश एवं प्रदेश के हर जिले हर गांव में समूह की महिलाओं को बहुत बड़ी ताकत के रूप में देखा जाता है। विकास खंडों में स्वास्थ्य की दृष्टि से, शिक्षा की दृष्टि से, स्वच्छता की दृष्टि से, शुद्ध पेयजल की दृष्टि से, पंचायती राज्य व्यवस्था की दृष्टि से, समूहों द्वारा सार्थक प्रयास किये जा रहे हैं ।
महिलाएं समाज में हर क्षेत्र में आगे बढ़कर हिस्सा ले रही हैं और स्वावलंबी बनाने के हर आयाम से जुड़ रही हैं। स्वयं सहायता समूह की महिलाएं समाज के लिए प्रेरणा सोत्र हैं । राष्ट्र निर्माण में अपना अमूल्य योगदान दे रही हैं । सरकार की मंशा है कि महिलाओं को आर्थिक रूप से सबल बनाया जाए । समाज की आवश्यकताओं के अनुरूप उत्पाद तैयार होंगे , तो उनकी बिक्री भी बहुत अच्छी होगी। कहा कि ग्राम्य विकास विभाग इस कार्य में हर प्रकार का सहयोग प्रदान कर रहा है।उप मुख्यमंत्री श्री मौर्य ने कहा है कि समूहों द्वारा गौकाष्ठ (गोबर के लट्ठे) बनाने के कार्य को प्रोत्साहन व बढ़ावा दिया जाए।
राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की मिशन निदेशक श्रीमती सी० इन्दुमती ने बताया कि कई जिलों में गोबर के लट्ठे बनाने का कार्य समूहों द्वारा किया जा रहा हैऔर इसके अच्छे परिणाम आ रहे हैं । गौशालाओं के गोबर के जरिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने का यह अच्छा प्रयास है। खेती और पशुपालन से जुड़े समूहों की भागीदारी उनके समग्र विकास की एक महत्वपूर्ण अवधारणा इस योजना में परिलक्षित होती है। गोबर ,लकड़ी का बुरादा (चूरा), सूखी घास (पराली, भूसा)जैसी वस्तुओं को मिलाकर बनाये जा रहे गोबर के लट्ठे (गौकाष्ठ)श्मशान घाटों, धार्मिक कर्मकांडों,अनुष्ठानो पूजा,हवन आदि में इसका अच्छा उपयोग होगा। इससे गौशालाओं के गोबर का भरपूर उपयोग होगा, जिससे गोआश्रय स्थलों की भी आमदनी बढ़ेगी और इन्हें बेचकर समूहों की आमदनी भी और बढ़ेगी। गोबर के लट्ठों के धुयें से पर्यावरण को भी कोई नुकसान नहीं होगा और छोटी-छोटी आवश्यकताओं के लिए पेड़ों का कटान भी नहीं होगा। गौशालायें महिला सशक्तिकरण के लिए रोजगार का अच्छा साधन बनेगी।