30 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

चुनाव याचिकाओं का समयबद्ध निस्तारण सुनिश्चित करें, आपराधिक और दलबदल विरोधी मामलों पर निर्णय लें: उपराष्ट्रपति

देश-विदेश

नई दिल्ली: भारत के उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने विभिन्‍न न्‍यायालयों के समक्ष लम्बित राजनीतिक नेताओं के खिलाफ चुनाव याचिकाओं और आपराधिक मामलों के त्वरित निपटान का आह्वान किया है। उन्होंने ऐसे सभी मामलों को छह महीने या एक साल के भीतर निपटाने के लिए अलग-अलग पीठ की स्थापना का भी सुझाव दिया।

उपराष्ट्रपति ने यह भी इच्‍छा जताई कि विधायी निकायों के पीठासीन अधिकारी तीन महीने के भीतर दलबदल विरोधी मामलों पर फैसला करें।

श्री नायडू ने आज विशाखापत्तनम में प्रख्यात वकीलों, न्यायाधीशों और बार एसोसिएशन के सदस्यों के साथ बातचीत करते हुए आंध्र विश्वविद्यालय में विधि के छात्र के रूप में अपने आरंभिक दिनों का स्‍मरण किया और उपस्थित जन समूह के साथ अपनी अभिलषित यादों को साझा किया।

विशाखापत्तनम जिला न्‍यायालय बार एसोसिएशन की 125 वीं वर्षगांठ समारोह में बोलते हुए, उन्होंने विभिन्न न्‍यायालयों में मामलों के लम्बित होने पर चिंता व्यक्त की और कहा कि आवेदनों की समयबद्ध मंजूरी और अपीलों का निपटान बहुत आवश्यक है।

यह इंगित करते हुए कि लंबे समय से लम्बित कर-संबंधी मुकदमों से एक बड़ी राशि जुड़ी होती है, उपराष्ट्रपति ने कहा कि न्यायिक मुकदमों और कार्यवाही में देरी देश की छवि को प्रभावित कर सकती है।

विभिन्न न्यायालयों में 3.12 करोड़ मामलों के लम्बित होने पर चिंता व्यक्त करते हुए, श्री नायडू ने न्‍यायालयों और बार एसोसिएशनों से आग्रह किया कि वे इस मामले पर गंभीरता से ध्यान दें और प्रयास करें कि लम्बित मामलों में कमी आए।

एक लोकप्रिय कहावत ‘’न्याय में देरी न्याय से वंचित किया जाना है’’ को उद्धृत करते हुए श्री नायडू ने विशेष रूप से आम आदमी को त्वरित न्याय और न्यायसंगत न्याय सुनिश्चित करने के लिए न्यायिक संस्थानों के कामकाज में सुधार के लिए सुधारों की आवश्यकता पर जोर दिया।

इसका उल्‍लेख करते हुए कि भारतीय संविधान में न्यायपालिका की स्वतंत्रता की परिकल्पना की गई है, श्री नायडू ने कहा कि संविधान के तीनों अंगों- विधानमंडल, कार्यपालिका और न्यायपालिका को स्वस्थ और पारस्परिक सम्मान साझा करना चाहिए और एक दूसरे की भूमिका का पूरक बनना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसी को भी दूसरों के अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण नहीं करना चाहिए।

उन्होंने यह उल्‍लेख करते हुए कि भारत सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, कहा: “पूरी दुनिया अब भारत को एक निवेश गंतव्य के रूप में देख रही है। हालांकि, हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि एक पारदर्शी, पूर्वानुमानित नीति शासन और एक स्‍वस्‍थ न्यायिक, विनियामक प्रणाली लागू हो”।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि एक मजबूत नियामकीय ढांचा, खासकर भारत जैसे देश के लिए, जो निवेश के लिए एक उज्ज्वल स्थान बन गया है, निवेशकों को भरोसा दिलाता है, ।

उपराष्ट्रपति ने अधिवक्ताओं को याद दिलाया कि संविधान के जनकों ने कानूनी समुदाय में निहित विश्वास और भरोसे को दोहराया था और उनसे संवैधानिक मूल्यों की रक्षा करने का आग्रह किया था।

श्री नायडू ने बार एसोसिएशन से यह भी आग्रह किया कि वे न्‍यायालयों में स्थानीय भाषाओं के उपयोग को बढ़ावा दें क्योंकि यह सुविधाजनक और उचित है कि न्‍यायालय की कार्यवाही संबंधित राज्य की आधिकारिक भाषा में ही संपन्‍न की जाए।

इस बात की ओर इंगित करते हुए कि ऐसी सामान्य भावना है कि बिना किसी आधारभूत संरचना, पुस्तकालय या अच्छे संकाय के देश की हर गली में विधि महाविद्यालयों की स्‍थापना के कारण, कानूनी पेशे के मानकों में उल्‍लेखनीय रूप से कमी आ रही है, श्री नायडू ने सभी बार काउंसिल से इस पर गौर करने कि इस प्रकार के विधि महाविद्यालय छात्रों को गुमराह नहीं करें तथा यह सुनिश्चित करने की अपील की कि एक उचित तंत्र और मानक स्‍थापित किए जाएं।

इस कार्यक्रम के अवसर पर आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश श्री न्यायमूर्ति ए.वी. शेषा साई, जिला न्यायाधीश सह मुख्य संरक्षक सुश्री बी.एस. भानुमति, विशाखापत्तनम जिला न्यायालय और बार एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री एम.के. सीतारमैय्या, विशाखापत्तनम जिला न्यायालय और बार एसोसिएशन के प्रेसीडेंट श्री बंडारू राम कृष्ण, कई सेवानिवृत्त तथा वर्तमान न्यायाधीश, वरिष्ठ अधिवक्ता और विशाखापत्तनम बार एसोसिएशन के सदस्य और बंदरगाह शहर के कई प्रतिष्ठित नागरिक उपस्थित थे।

Related posts

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More