नई दिल्ली: कोविड-19 महामारी को फैलने से रोकने के लिए सरकार द्वारा घोषित लॉकडाउन और अन्य बाधाओं के मौजूदा परिदृश्य में व्यापार और उद्यमों में सामान्य रूप से कामकाज नहीं हो पा रहा है और अपने संवैधानिक करों का भुगतान करने के लिए तरलता/नकदी की कमी से जूझ रहे हैं, हालांकि वे कर्मचारियों को अपने साथ जोड़े रखे हुए हैं।
उपरोक्त स्थिति के मद्देनजर और ईपीएफ एवं एमपी अधिनियम, 1952 के अंतर्गत अनुपालन प्रक्रिया को सुगम बनाने हेतु मासिक इलेक्ट्रॉनिक-चालान कम रिटर्न (ईसीआर) दाखिल करने को ईसीआर में दर्ज संवैधानिक योगदानों के भुगतान से अलग किया गया है।
अब से नियोक्ता द्वारा उसी समय योगदान का भुगतान किए बिना ईसीआर दर्ज की जा सकती है और योगदान का भुगतान नियोक्ता द्वारा ईसीआर दाखिल करने के बाद किया जा सकता है।
उपरोक्त परिवर्तन अधिनियम और योजनाओं के अंतर्गत कवर होने वाले नियोक्ताओं को और साथ ही कर्मचारियों को सहूलियत प्रदान करेगा।
नियोक्ता द्वारा समय पर ईसीआर दाखिल करना इस बात का संकेत है कि नियोक्ता अनुपालन की मंशा रखता है, इसलिए यदि सरकार द्वारा घोषित समय के अनुसार बकाया राशि का भुगतान किया जाता है, तो उसके दंडात्मक परिणाम नहीं होंगे।
समय पर ईसीआर दाखिल करने से नियोक्ता के ऋण और कर्मचारी के अंशदान संबंधी योगदान में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना पैकेज के तहत पात्र प्रतिष्ठानों में केंद्र सरकार द्वारा कम वेतन पाने वालों के ईपीएफ खातों में कुल वेतन का 24% तक मदद मिलेगी।
वर्तमान ईसीआर आंकड़े नीतिगत नियोजन और महामारी का प्रतिकूल प्रभाव झेल रहे व्यवसायों को आगे राहत देने संबंधी निर्णय लेने में मददगार होंगे।