नई दिल्ली: स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने दावा प्रारूपों पर एक रूपए का रसीदी टिकट चिपकाने की अनिवार्यता समाप्त कर दिए। श्रम एवं रोजगार राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि यह फैसला हर वर्ष लाखों पीएफ अभिदाताओं को इस परेशानी से मुक्ति दिलाएगा। यह कदम विधि एवं न्याय मंत्रालय के साथ परामर्श के बाद उठाया गया जिसका विचार था कि एनईएफटी के जरिए अदायगी किए जाने के बाद पारंपरिक रूप से रसीदी टिकट चिपकाने की अब कोई आवश्यकता नहीं है।इससे बड़ी संख्या में पीएफ अभिदाताओं को लाभ पहुंचेगा। पिछले वर्ष एक करोड़ से अधिक अभिदाताओं ने अपने दावे सामने रखे थे। मंत्री महोदय ने कहा कि ईपीएफओ पीएफ दावा निपटान की प्रक्रिया को और सरल बनाने का प्रयास कर रहा है। उन्होंने इसकी व्याख्या करते हुए कहा कि आज के बाद अधिकांश दावा प्रारूपों के लिए एक रूपए के रसीदी टिकट की आवश्यकता नहीं होगी क्योंकि पीएफ दावों के 97 प्रतिशत मामलों में इसका निपटान इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (एनईएफटी) के जरिए किया जा रहा है।
श्री दत्तात्रेय ने कहा कि ईपीएफओ यह सुनिश्चित करने के लिए कि वह अपने अभिदाताओं को समस्या मुक्त सुविधाएं सुनिश्चित करे, अपने प्रारूपों को और सरल बना रहा है। प्रस्ताव रखा गया है कि ऐसे मामलों में, जहां कर्मचारियों ने आधार समेत अपनी केवाईसी जानकारियां दे रखी है और अपने यूएएन को एक्टीवेट कर रखा है, नियोक्ता के प्रमाणीकरण की कोई आवश्यकता नहीं होगी। इसका उद्देश्य ट्रांजेक्शन में नियोक्ता पर निर्भरता को कम करना है जो किसी कर्मचारी को ईपीएफओ के लिए करना पड़ता है। ऐसा देखा गया है कि नियोक्ताओं पर अतिनिर्भरता के कारण ईपीएफओ अभिदाता संगठन की त्वरित और सरल सेवाओं का लाभ नहीं उठा पाते हैं।