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विषयों के सख्त अलगाव का युग समाप्त: उच्च शिक्षा में बहु-विषयक दृष्टिकोण अपनाएं : उपराष्ट्रपति

देश-विदेश

उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने आज कहा है कि विषयों के सख्त अलगाव का युग समाप्त हो गया हैI साथ ही उन्होंने उच्च शिक्षा में एक बहु-विषयक दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया ताकि हर प्रकार से योग्य शिक्षित व्यक्तियों और बेहतर शोध परिणामों को प्राप्त किया जा सके। उन्होंने देश के विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थानों में मानविकी को समान महत्व देने की आवश्यकता पर भी बल दिया।

आज गोवा के पेरनेम में संत सोहिरोबनाथ अंबिए गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ आर्ट्स एंड कॉमर्स के नए परिसर का उद्घाटन करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि कला और सामाजिक विज्ञान के सम्पर्क में आने से यह माना जाता है कि छात्रों में रचनात्मकता बढ़ने, उनकी सोच में महत्वपूर्ण सुधार और परस्पर संवाद में वृद्धि होती है। उन्होंने कहा, “21वीं सदी की अर्थव्यवस्था में इन गुणों की अत्यधिक मांग है, क्योंकि अब अर्थव्यवस्था का कोई भी क्षेत्र साइलो में काम नहीं करता है।”

न केवल विज्ञान बल्कि सामाजिक विज्ञान, भाषाओं और वाणिज्य तथा अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में विश्व स्तर के शोधकर्ताओं को तैयार करने की आवश्यकता पर बल देते हुए, श्री नायडू ने राज्य के कई संस्थानों में वाणिज्य और आर्थिक प्रयोगशालाओं तथा भाषा प्रयोगशालाओं की स्थापना के लिए गोवा सरकार की प्रशंसा की।

भारत को 50 खरब अमेरिकी डॉलर (05 ट्रिलियन अमरीकी डॉलर) की अर्थव्यवस्था बनाने के हमारे प्रयासों में वाणिज्य को एक महत्वपूर्ण क्षेत्र बताते हुए उपराष्ट्रपति ने ई-कॉमर्स के आगमन के बाद इस विषय में तेजी से हो रहे परिवर्तनों की ओर ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने इस अवसर पर उपस्थित शिक्षकों और छात्रों से कहा, “मैं आपसे वैश्विक स्तर पर व्यापार और वाणिज्य में भारत को अग्रणी राष्ट्र बनाने के लिए वाणिज्य के इन उभरते क्षेत्रों में अनुसंधान करने का आग्रह करूंगा।”

यह याद करते हुए कि नालंदा, विक्रमशिला और तक्षशिला जैसे उन्नत शिक्षा के कई प्रसिद्ध संस्थान कभी प्राचीन भारत में ही विद्यमान थे, श्री नायडू ने कहा कि हमें उसी पिछले गौरव को फिर से हासिल करना है और भारत को शिक्षा, अनुसंधान और नवाचार के क्षेत्र में एक अग्रणी राष्ट्र बनाना है।

भारत के गौरवशाली अतीत और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के बारे में युवा पीढ़ी को सिखाने की आवश्यकता पर बल देते हुए उपराष्ट्रपति महोदय ने औपनिवेशिक मानसिकता से बाहर आने और हमारी शिक्षा प्रणाली का भारतीयकरण करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि हमें दुनिया में कहीं से भी अच्छी चीजें सीखनी और स्वीकार करनी चाहिए, लेकिन इसके साथ ही भारतीय सभ्यता के मूल्यों पर मजबूती से टिके रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि छात्रों को गोवा की मुक्ति और इसके लिए कई महापुरुषों के बलिदान के बारे में पढ़ाया जाना चाहिए

गोवा राज्य की प्राकृतिक और सांस्कृतिक समृद्धि की सराहना करते हुए श्री नायडू ने इन दोनों के संरक्षण का आह्वान किया। उन्होंने स्कूली स्तर की शिक्षा में मातृभाषा को बढ़ावा देने की जरूरत पर भी जोर दिया।

यह कहते हुए कि नवाचार विकास का एक प्रमुख संचालक है, उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत सूचना संचार एवं प्रौद्योगिकी (आईसीटी) में अपनी बढ़त और शिक्षित युवा जनसंख्या के साथ ज्ञान-आधारित अर्थव्यवस्था में विश्व नेता बनने की क्षमता रखता है। उन्होंने कहा, “हमें अपने विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षा संस्थानों में अनुसंधान और नवाचार के लिए सही पारिस्थितिकी तंत्र बनाने की जरूरत है,” उन्होंने विभिन्न विश्वविद्यालयों के शिक्षाविदों और कुलपतियों से शिक्षा नीति-2020 के उद्देश्यों के अनुरूप अनुसंधान पर आवश्यक जोर देने का भी आग्रह किया। उन्होंने बहु-विषयक परियोजनाओं में अनुसंधान कार्य को बढ़ावा देने के लिए गोवा राज्य अनुसंधान फाउंडेशन की स्थापना की योजना के लिए गोवा सरकार की प्रशंसा की।

उच्च शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह छात्रों को अधिक सार्थक और उत्पादक भूमिकाओं के लिए तैयार करने के साथ-साथ जीवन स्तर को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उन्होंने कहा कि गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा सभी विकसित अर्थव्यवस्थाओं की पहचान है।

उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए गोवा राज्य की प्रशंसा करते हुए श्री नायडू ने महिलाओं के लिए उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) को राष्ट्रीय औसत 27.3% के मुकाबले 30% पर रखने के लिए राज्य की सराहना की। उच्च शिक्षा में पुरुष छात्रों की तुलना में अधिक संख्या में महिला छात्रों के लिए राज्य की सराहना करते हुए उन्होंने कहा, “यह एक बहुत अच्छा संकेत है और इसे अन्य राज्यों के लिए प्रेरणा के रूप में काम आना चाहिए।”

सभी के लिए समग्र शिक्षा प्रदान करने के प्रयासों के लिए गोवा सरकार की सराहना करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि सरकारों को नवीनतम शैक्षिक बुनियादी ढांचे के निर्माण में निवेश करना चाहिए ताकि गरीब और वंचित भी किफायती दरों पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त कर सकें। उन्होंने छात्रों और शिक्षकों को उभरते अवसरों को पहचानने और 21वीं सदी की दुनिया का सामना करने के लिए अपने कौशल को उन्नत करने और ‘ एक नया भारत – एक मजबूत, स्थिर और समृद्ध भारत’ बनाने का भी आह्वान किया।

उपराष्ट्रपति ने खुशी व्यक्त की कि पेरनेम कॉलेज ने पिछले कुछ वर्षों में लगातार प्रगति की है और आशा व्यक्त की कि कॉलेज में विस्तारित सुविधाओं से क्षेत्र के ग्रामीण छात्रों को भी लाभ मिलेगा। उन्होंने छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए खेल पर ध्यान केंद्रित करने के लिए भी कॉलेज की प्रशंसा की और संकाय और छात्रों को हमेशा गुणवत्ता के स्तर को ऊंचा रखने और अपने लिए चुने हुए क्षेत्र में उत्कृष्टता के लिए प्रयास करने के लिए कहा।

यह देखते हुए कि विकास की खोज में प्रकृति की उपेक्षा नहीं की जानी चाहिए, श्री नायडू ने कहा कि एक तितली और एक बगीचा भी नवीनतम ऊचना प्रौद्योगिकी (आईटी) उपकरणों की तरह ही महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा, “इसीलिए मैं हमेशा छात्रों को अपना आधा समय कक्षा में और शेष आधा खेल के मैदान या प्रकृति की गोद में बिताने की आवश्यकता की वकालत करता हूं।” उन्होंने युवाओं को गतिहीन जीवन शैली, अस्वास्थ्यकर आहार की खपत और हानिकारक पदार्थों की आदतों से बचने की सलाह दी। उपराष्ट्रपति ने उन्हें बताया कि नियमित व्यायाम या योग करके शारीरिक रूप से स्वस्थ रहना महत्वपूर्ण है।

यह कहते हुए कि गोवा राज्य और उसके लोग उनके मन में एक विशेष स्थान रखते हैं, श्री नायडू ने कहा कि जब भी वह इस खूबसूरत जगह की यात्रा करते हैं तो वह स्‍वयं को फिर से ऊर्जावान महसूस करते हैं। यह देखते हुए कि कई प्रख्यात भारतीय व्यक्तित्व या तो गोवा में पैदा हुए थे अथवा इस प्राकृतिक रूप से सुंदर और सांस्कृतिक रूप से जीवंत राज्य में अपनी जड़ें ढूँढ़ते रहे हैं, उन्होंने पेरनेम के 18 वीं शताब्दी के कवि संत, संत सोहिरोबनाथ अंबिए को उद्धृत किया, जिन्होंने कहा था – “कभी भी अपने दिल में ज्ञान के दीपक को बुझाएं नहीं ।”

गोवा के राज्यपाल श्री पीएस श्रीधरन पिल्लई, गोवा के मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत, केंद्रीय पर्यटन राज्य मंत्री, श्री श्रीपद नाइक, उप मुख्यमंत्री, श्री बाबू अजगांवकर, गोवा के मुख्य सचिव, श्री परिमल राय, जनप्रतिनिधि एवं पर क्षेत्र के शिक्षक और छात्र इस अवसर पर उपस्थित थे।

भाषण का पूरा पाठ निम्नलिखित है –

“मैं आज यहां गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ आर्ट्स एंड कॉमर्स, संत सोहिरोबनाथ अंबिए के नए परिसर के उद्घाटन के लिए आप सभी के बीच उपस्थित होकर प्रसन्न हूं ।

गोवा राज्य और इसके लोग मेरे दिल में एक विशेष स्थान रखते हैं और जब भी मैं इस खूबसूरत जगह पर आता हूं तो मैं फिर से ऊर्जावान महसूस करता हूं ।

प्रिय बहनों और भाइयों,

जैसा कि आप सभी जानते हैं, उच्च शिक्षा बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह विभिन्न क्षेत्रों के लिए बहुत आवश्यक प्रशिक्षित मानव संसाधन प्रदान करती है जो आर्थिक विकास और सामाजिक कल्याण को संचालित करते हैं।

गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा निर्विवाद रूप से सभी विकसित अर्थव्यवस्थाओं की पहचान है। यह छात्रों को अधिक सार्थक और उत्पादक भूमिकाओं के लिए तैयार करती है और जीवन स्तर को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

मुझे यह जानकर खुशी हुई कि गोवा उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन कर रहा है। महिलाओं के लिए उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) राज्य में राष्ट्रीय औसत 27.3% के मुकाबले 30% है। पिछले पांच वर्षों में गोवा में उच्च शिक्षा के लिए लैंगिक समानता सूचकांक में सुधार हुआ है और आज महिला छात्रों की संख्या पुरुष छात्रों की तुलना में अधिक है। यह एक बहुत अच्छा संकेत है और इसे अन्य राज्यों के लिए प्रेरणा का काम करना चाहिए।

विषयों का सख्त अलगाव अब अतीत की बात है क्योंकि आज दुनिया हर प्रकार से योग्य शिक्षित व्यक्तियों और बेहतर शोध परिणामों को प्राप्त करने के लिए उच्च शिक्षा में एक बहु-विषयक दृष्टिकोण अपना रही है। विभिन्न आकलनों से पता चला है कि कला और सामाजिक विज्ञान के संपर्क में आने से छात्रों में रचनात्मकता, बेहतर आलोचनात्मक सोच, उच्च सामाजिक और नैतिक जागरूकता और बेहतर टीम वर्क एवं और संचार कौशल में वृद्धि होती है। 21वीं सदी की अर्थव्यवस्था में ऐसे गुणों की अत्यधिक मांग है जहां अर्थव्यवस्था का कोई भी क्षेत्र अलग-थलग रह कर काम नहीं करता है। इसलिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थानों में भी मानविकी को समान महत्व दिया जाना चाहिए और सभी कॉलेजों द्वारा अधिक बहु-विषयक पाठ्यक्रम शुरू किए जाने चाहिए।

यह प्रशंसनीय है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की सच्ची भावना के अनुरूप गोवा सरकार ने बहु-विषयक परियोजनाओं में शोध कार्य करने के लिए शोध (रिसर्च) फेलोशिप प्रदान करने के लिए गोवा राज्य शोध संस्थान (स्टेट रिसर्च फाउंडेशन) की स्थापना करने की योजना बनाई है। मुझे विश्वास है कि यह पहल उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अनुसंधान और नवाचार में उत्कृष्टता पैदा करने के साथ ही उसे बढ़ावा देगी ।

नवाचार ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख संचालक है। भारत सूचना और संचार प्रौद्योगिकी में अपनी बढ़त और एक शिक्षित युवा आबादी के साथ ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था में विश्व नेता बनने की क्षमता रखता है। हमें अपने विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षा संस्थानों में फलने-फूलने के लिए अनुसंधान और नवाचार के लिए सही पारिस्थितिकी तंत्र बनाने की जरूरत है। मुझे विश्वास है कि विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति और शिक्षाविद नई शिक्षा नीति-2020 के उद्देश्यों के अनुरूप शोध पर आवश्यक बल देंगे।

प्रिय बहनों और भाइयों,

कई प्रख्यात भारतीय व्यक्तित्व या तो गोवा में पैदा हुए थे या इस प्राकृतिक रूप से सुंदर और सांस्कृतिक रूप से जीवंत राज्य में अपनी जड़ें ढूँढ़ते रहे हैं। संगीत के क्षेत्र में हमारे पास भारत रत्न सुश्री लता मंगेशकर, पद्म विभूषण श्रीमती आशा भोसले और श्री रेमो फर्नांडीस जैसे कुछ नाम हैं। विज्ञान और अनुसंधान के क्षेत्र में; पद्म विभूषण श्री रघुनाथ अनंत माशेलकर, पद्म विभूषण श्री अनिल काकोडकर और अंतरराष्ट्रीय फैशन के क्षेत्र में पद्मश्री वेंडेल रॉड्रिक्स हैं।

आज हम गोवा के सबसे उत्तरी तालुका पेरनेम में हैं जो गोवा के मुक्ति संग्राम में सबसे आगे था। 1954-1955 का सत्याग्रह महान ऐतिहासिक महत्व की घटना है जिसमें त्याग और बलिदान शामिल है और जिसने मुक्ति आंदोलन की ओर गति पैदा की थी ।

पेरनेम 18 वीं शताब्दी के कवि संत – सोहिरोबनाथ अंबिए का भी घर है, जिसके बाद उनकी तीसरी शताब्दी की जयंती मनाने के लिए इस कॉलेज का नाम बदलकर समारोह के रूप में रखा गया है। उनके अलावा, पेरनेम को भाऊ दाजी लाड, जीवबा दादा केरकर, अंजनीबाई मालपेकर, श्रीधर पारसेकर और प्रभाकर पंशीकर जैसी अन्य प्रतिष्ठित हस्तियों के घर होने का गौरव और सौभाग्य प्राप्त है ।

संत सोहिरोबनाथ अंबिये की प्रसिद्ध कविताओं में से एक का शीर्षक “अंतरिचा ज्ञानदिवा मालवू नाको रे” है। अंग्रेजी में अनुवादित इस रचना का अर्थ है: “कभी भी अपने दिल में ज्ञान का दीपक न बुझाएं।” यद्यपि यह कविता 18वीं शताब्दी में रची गई थी, तथापि इस कविता का सार पेरनेम के ग्रामीण तालुका में सामान्य शिक्षा का एक कॉलेज स्थापित करने के गोवा सरकार के निर्णय के साथ प्रतिध्वनित होता है और इस प्रकार यह सुनिश्चित करता है कि ज्ञान का दीपक जलता रहे और कभी बुझे नहींI

मुझे यह जानकर खुशी हो रही है कि पेरनेम कॉलेज ने पिछले कुछ वर्षों में लगातार प्रगति की है और वर्तमान में स्नातक (अंडरग्रेजुएट) और परा-स्नातक (पोस्टग्रेजुएट) दोनों स्तरों पर लगभग 744 छात्रों और 33 शिक्षण स्टाफ का एक संकाय है ।

यह विस्तार छात्रों की बढ़ती संख्या की शैक्षिक आवश्यकता को पूरा करेगा। मुझे यह जानकर खुशी हुई कि कॉलेज छात्रों की खेल, सह-पाठ्यचर्या और तकनीकी जरूरतों को पूरा करने के लिए सुसज्जित है। मुझे विश्वास है कि ग्रामीण पेरनेम से संबंधित छात्र विस्तारित सुविधाओं से बहुत लाभान्वित होंगे।

मुझे यह जानकर भी प्रसन्नता हो रही है कि एक बड़े पुस्तकालय, विशाल सभागार और हवादार कक्षाओं के अलावा, कॉलेज में एक वेधशाला भी है जिसमें एक परिष्कृत दूरबीन, एक रिकॉर्डिंग स्टूडियो, एक तितली पार्क और एक ठीक-ठाक वनस्पति उद्यान है।

प्रिय मित्रों,

एक तितली और एक बगीचा उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि नवीनतम सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी उपकरण)। हमें प्रगति करनी चाहिए, लेकिन प्रकृति की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए। इसलिए मैं हमेशा छात्रों को अपना आधा समय कक्षा में और शेष आधा खेल के मैदान में या प्रकृति की गोद में बिताने की आवश्यकता की वकालत करता हूं। देश में गैर-संचारी रोगों की बढ़ती घटनाओं के साथ, सभी युवाओं को मेरी सलाह है कि गतिहीन जीवन शैली, अस्वास्थ्यकर आहार की आदतों और हानिकारक पदार्थों के सेवन से बचें। नियमित व्यायाम या योग करके शारीरिक रूप से स्वस्थ रहना महत्वपूर्ण है।

यह प्रशंसनीय है कि इस कॉलेज में पूरी तरह से सुसज्जित व्यायामशाला, राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) और राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) इकाइयां भी हैं। मुझे यह जानकर खुशी हो रही है कि कबड्डी, खो-खो और वॉलीबॉल जैसे खेलों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। मैं समझता हूं कि आपके कई छात्रों ने विश्वविद्यालय, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीते हैं।

मुझे बताया गया है कि इस कॉलेज सहित गोवा में कई संस्थानों में वाणिज्य और आर्थिक प्रयोगशालाएं तथा भाषा प्रयोगशालाएं स्थापित की गई हैं। यह बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि हमें न केवल विज्ञान में बल्कि सामाजिक विज्ञान, भाषाओं और वाणिज्य तथा आर्थिक क्षेत्र में भी विश्व स्तर के शोधकर्ताओं को तैयार करना चाहिए। मैं इस बात की सराहना करता हूं कि कॉलेज ने वाणिज्य में अनुसंधान की सुविधा के लिए एक संयुक्त मंच प्रदान करने के लिए गोवा के अन्य कॉलेजों के सहयोग से एक वाणिज्य में एक संकुल शोध केंद्र (‘क्लस्टर रिसर्च सेंटर इन कॉमर्स’) का गठन किया है ।

प्रिय मित्रों,

भारत को पचास ख़रब (पांच ट्रिलियन) अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने और लोगों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने की हमारी खोज में वाणिज्य एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है। ई-कॉमर्स के आगमन के साथ, यह अनुशासन तेजी से बदल रहा है और व्यवधानों और नवाचारों की झड़ी लगा रहा है। मैं आपसे वैश्विक स्तर पर भारत को व्यापार और वाणिज्य में अग्रणी राष्ट्र बनाने के लिए वाणिज्य के इन उभरते क्षेत्रों में अनुसंधान करने का आग्रह करूंगा।

बहनों और भाइयों,

प्राचीन काल में, कई अन्य देशों के छात्र नालंदा, विक्रमशिला और तक्षशिला जैसे प्रसिद्ध भारतीय संस्थानों में अध्ययन के लिए आते थे। भारत विश्व गुरु के नाम से प्रसिद्ध था। हमें उस गौरव को फिर से हासिल करना है और भारत को शिक्षा, अनुसंधान और नवाचार के क्षेत्र में एक अग्रणी राष्ट्र बनाना है।

मुझे यह जानकर खुशी हो रही है कि उच्च शिक्षा निदेशालय ने समग्र और अनुकूल ज्ञान पारिस्थितिकी के माध्यम से शैक्षिक उत्कृष्टता प्राप्त करने की दिशा में विभिन्न पहल की हैं । गोवा में कॉलेजों के पाठ्यक्रम से संबंधित विश्व स्तरीय शैक्षिक ई-सामग्री के विकास के लिए ऐसी ही एक परियोजना है-दिशात्वो (डीआईएसएचएटीवीओ); ‘आदान-प्रदान और देखरेख’ (‘शेयर एंड केयर’) की सच्ची भावना में, यह ई-कंटेंट दुनिया भर के शैक्षणिक समुदाय के लिए निशुल्क रूप से उपलब्ध कराया गया है। मैं पूरी टीम को विशेष रूप से कोविड -19 महामारी के दौरान इतने बड़े कार्य को पूरा करने के लिए बधाई देता हूं।

मैं शिक्षकों और छात्रों से आग्रह करता हूं कि वे हमेशा मानदंडों को ऊंचा रखें और उत्कृष्टता के लिए प्रयास करें। आपके भविष्य के प्रयासों के लिए मेरी शुभकामनाएं!

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