नई दिल्ली: केन्द्रीय वित्त और सूचना प्रसारण मंत्री श्री अरुण जेटली ने आज महीनों चलने वाले सांस्कृतिक तमाशे एवरलास्टिंग फ्लेम इंटरनेशनल कार्यक्रम का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि
पारसी समुदाय का भारत की बहुसांस्कृतिक विरासत रूपी चित्रपट (टेपेस्ट्री) में एक महत्वूपूर्ण धागे जैसा विशिष्ट स्थान है। यह एक ऐसा बिरला समुदाय है जिसका महत्व उसकी संख्या से नहीं बल्कि उसके महत्वपूर्ण योगदान से आंका जाता है। किसी भी क्षेत्र में पारसी की योग्यता प्राप्त करने की क्षमता का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि हर पारसी अपने आप में एक संस्था है और कोई भी दो पारसी एक से नहीं हैं। पीढ़ियों से पारसियों ने न केवल भारतीय संदर्भ को अपनाया है बल्कि अपनी संस्कृति पहचान अपनी विशेष गरिमा को भी संरक्षित रखा है और वे दूसरों के लिए भी रोल मॉडल बन गए हैं।
इससे पहले अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री डॉ. नजमा हेपतुल्ला ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि भारत सरकार इस प्राचीन भूमि और युवा देश की बहु सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रतिबद्ध है। पारसी धर्म और ऋग्वेद हिन्दूधर्म बहन संस्कृतियां है और इनकी साझा भाषायी और सांस्कृतिक समानताएं हैं। पारसी समुदाय ने जीवन के सभी क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है और समाज की बेहतरी के लिए लगातार काम किया है। पारसी समुदाय की उपलब्धियां उनके आकार की तुलना में बहुत अधिक हैं। भारत ने उनके लिए जितना किया है उन्होंने उसकी तुलना में देश के लिए कहीं अधिक किया है और उन्होंने सरकार से अपने लिए कुछ नहीं मांगा है। उन्होंने राष्ट्र और समाज की सेवा में निःस्वार्थ रहते हुए नए मानदण्ड स्थापित किए हैं। उन्होंने कहा कि भारत में कई महान पारसी मध्यस्थ पैदा हुए हैं। दादा भाई नौरोजी गांधी जी के दादा या बड़े भाई थे। उन्होंने 1867 में धन का पलायन सिद्धांत द्वारा यह दर्शाया कि ब्रिटेन कैसे आर्थिक रूप से भारत का दोहन कर रहा है। लॉर्ड करण बिलिमोरिया ने कहा कि दोनों मंत्रियों ने पारसियों के बारे में बहुत कुछ कहा है। पारसी समुदाय की विशिष्टता उसके विश्वास में है लेकिन आक्रमक होने में नहीं बल्कि महत्वाकांक्षी और विनम्र होने में है। पारसियों की उत्कृष्टता के संबंध में लॉर्ड बिलिमोरिया ने कहा कि प्रतिव्यक्ति आय में पारसी समुदाय पूरे विश्व में सबसे आगे है। लेकिन ऐसा संभव नहीं होता अगर इस देश में इस समुदाय के लिए कुछ न किया होता। इस कार्यक्रम में दस्तूर खुरशेद वड़ा दस्तूरजी ने पहले अवेस्ता में पारसी प्रार्थना प्रस्तुत की बाद में इसका संस्कृत और अंग्रेजी रूपांतरण प्रस्तुत किया गया। गजल गाइका पिनाज मसानी ने विशिष्ठ स्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया।
इस कार्यक्रम में अरुण जेटली और डॉ. नजमा हेपतुल्ला के अलावा संस्कृति, पर्यटन (स्वतंत्र प्रभार) एवं नागर विमानन राज्य मंत्री डॉ. महेश शर्मा, अल्पसंख्यक मामलों के राज्य मंत्री डॉ. मुख्तार अब्बास नकवी और ईरान के इस्लामिक संस्कृति और इस्लामिक मार्गदर्शन मंत्री डॉ. अली जन्नति, लॉर्ड करण बिलिमोरिया, सीबीई, डीएल लार्ड ऑफ चेलसा, ब्रिटिश लाइब्रेरी ट्रस्ट के अध्यक्ष ब्रोनेस टेसा ब्लैक स्टोन, एसओएएस यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन के निदेशक बारोनेस बलेरी एन अमोस, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय, संस्कृति एवं पर्यटन मंत्रालय के सचिव तथा मुख्य पोस्ट मास्टर जनरल दिल्ली मंच पर उपस्थित थे।
एवरलास्टिंग फ्लेम अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम में तीन प्रदर्शनियों जिनके नाम इस प्रकार हैं- “एवरलास्टिंग फ्लेम: इतिहास और कल्पना में पारसी धर्म” का राष्ट्रीय संग्रहालय में, “निरंतरता की लड़ियाँ: पारसी जीवन और संस्कृति” का इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र (आईजीएनसीए) में और “पेंटिड इनकाउंटर्स: पारसी व्यापारी और समुदाय” का राष्ट्रीय आधुनिक कला गैलरी (एनजीएमए) में प्रदर्शन किया जाएगा। प्रदर्शनी के बारे में कुछ दिलचस्प तथ्य ये हैं कि इस विषय पर राष्ट्रीय संग्रहालय में आयोजित पहली ऐसी पहली प्रदर्शनी है। यह ऐसी प्रदर्शनी है जिसमें ब्रिटिश लाइब्रेरी ब्रिटेन भारत में ऐसे आयोजन में मदद कर रही है। तेहरान स्थित ईरान का राष्ट्रीय संग्रहालय भारत को कलाकृतियां उधाद दे रहा है। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय और संस्कृति मंत्रालय में पहली बार ऐसा सहयोग हुआ है। पारसी धर्म दुनिया के सबसे पुराने धर्मों में से एक है। अवस्तां और संस्कृत भाषाओं के एक ही समूह से संबध रखती है।