लखनऊ: उत्तर प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था की रफ्तार कोरोना के दौर में लॅाकडाउन होने के बावजूद थमी नहीं है। सूबे में माध्यमिक और उच्च शिक्षा के क्षेत्र में शैक्षणिक गतिविधियंा बदले हुए स्वरूप में लगातार जारी रही हंै। सूबे में छात्र छात्राए ज्ञान के प्रकाश से लगातार लाभान्वित होते रहे हंै। प्रदेश के उपमुख्यमंत्री डा दिनेश शर्मा ने बताया कि ज्ञानार्जन एक सतत प्रक्रिया है जिसमें किसी प्रकार की बाधा नहीं आनी चाहिए। हमारी सरकार ने इसी मंत्र को आत्मसात करते हुए कोरोना के दौर में बदलते परिवेश के अनुरूप अपनी व्यवस्था में भी बडा बदलाव किया है जिससे कि छात्र जो कि देश का भविष्य हैं उन्हें संवारने और तराशने की प्रक्रिया निर्बाध रूप से जारी रह सके।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार कोरोना के कठिन दौर में भी अवसर तलाशने का कार्य कर रही है। इन अवसरों को सफलताओं में बदलने के लिए ऐसे होनहार व ज्ञानवान नौजवानों को तैयार करना जरूरी है जो नई सोंच व नए आइडिया के साथ राष्ट्र निर्माण में योगदान कर सकें। यह नौजवान प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को साकार करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं तथा लोकल के लिए वोकल को अपनाते हुए उसे नई ऊंचाईयों पर लेकर जा सकते हैं। उनका कहना है कि डगर कठिन जरूर थी पर प्रतिबद्धता और मा0 मुख्यमंत्री जी के मार्गदर्शन में राह निकली और ऐसी निकली कि आज यूपी इस मामले में अन्य प्रदेशों के लिए माडल बन रहा है। सभी बदलावों को करने में विद्यार्थियों के स्वास्थ्य की सुरक्षा को पहली प्राथमिकता पर रखा गया। बीमारी से बचाव के प्रोटोकाल को अपनाते हुए इसके लिए पठन पाठन के स्वरूप को बदलकर अॅानलाइन कक्षाओं को आरंभ किया गया। तकनीक का प्रयोग इसको मूर्त रूप देने में अहम रहा है। परीक्षाओं में बाधा के कारण बोर्ड की परीक्षा के छात्रों के अलावा अन्य सभी कक्षाओं के छात्रों को अगली कक्षाओं में प्रोन्नत करने का निर्णय लिया गया। कक्षाओं में प्रमोशन के साथ ही इस बात का भी ध्यान रखा गया कि ठहरी हुई दुनिया में अभिभावकों पर कोई अतिरिक्त भार न पडे। इसके लिए विद्यालयों को फीस के लिए तीन माह की फीस एक साथ न लेने का दबाव नही डालने तथा मासिक आधार पर फीस लेने के आदेश किए गए। एक साल के लिए फीस में बढोत्तरी पर भी लगाम लगाई गई। फीस नही देने पर ऑनलाइन कक्षा से किसी विद्यार्थी को वंचित नहीं करने के भी निर्देश दिए गए हैं।
ई-लर्निंग की पहल के तहत दूरदर्शन के स्वयंप्रभा चैनल के जरिए कक्षा 10 व 12 के लिए कक्षाए आरंभ हो गई है। अब तक इन कक्षाओं के लिए 53 वीडियों प्रसारित किए गए है जिनसे 32.79 लाख विद्यार्थी लाभान्वित हुए हैं। सरकार इस बात के लिए कटिबद्ध है कि महमारी के दौर में भी पढाई रुके नहीं । माध्यमिक शिक्षा परिषद की वेबसाइट व दीक्षा पोर्टल के जरिए भी कक्षा 6 से 12 तक के विद्यार्थियों को ई-कंटेट उपलब्ध कराए जा रहे हैं। विभाग की वेबसाइट पर ई किताबे व दीक्षा पोर्टल पर वीडियो भी उपलब्ध हैं। दीक्षा ऐप का का 40.73 लाख लोगों द्वारा प्रयोग किया जा रहा है। अॅानलाइन शिक्षा की सामग्री को इतना सरल बनाकर तैयार किया जा रहा है कि विद्यार्थियों को घर पर समझने में जरा भी परेशानी नहीं हो। इसके बावजूद विद्यार्थियों में जिज्ञासा होना स्वाभाविक है तथा उनकी जिज्ञासाओं को दूर करना जरूरी है इसके लिए हेल्पलाइन 18001805310 पर बनाई गई है। माध्यमिक शिक्षा विभाग व्हाट्सएप के जरिए बच्चों तक शिक्षण सामग्री पहुचाकर पढाई करा रहा है। विभाग द्वारा व्हाट्सऐप वर्चुअल कक्षाएं भी आरंभ की गई है। इससे 28487 माध्यमिक विद्यालय आच्छादित है। आनलाइन शिक्षा की प्रक्रिया में 2.97 लाख शिक्षक करीब 64.73 लाख विद्यार्थियों को शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। इस बात के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं कि व्यवस्था शोपीस नहीं बने। इन उपायों का एक और भी परिणाम होगा कि शैक्षिक सत्र भी नियमित बना रहेगा। उत्तर प्रदेश में कक्षा 10 व 12 की बोर्ड की परीक्षाए पहले सम्पन्न कराई जा चुकी हंै। उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन भी आरंभ हो गया है और जून में परीक्षा परिणाम को घोषित करने पर तेजी से काम चल रहा है। प्रयास किया गया है कि पिछले तीन साल में लिए गए सुधारात्मक कदमों की रफ्तार व उनके परिणाम कोरोना से प्रभावित नहीं हो।
प्रदेश के उच्च शिक्षा के संस्थानों में भी बदले हुए परिवेश के अनुरूप शैक्षिक गतिविधियां जारी हैं। छात्रों के लिए 155185 ई कंटेंट तैयार कर विश्वविद्यालय व महाविद्यालयों की वेबसाइट पर अपलोड किए गए हैं। इनको 906126 विद्यार्थियों ने उपयोग किया है। विश्वविद्यालयों में ऑनलाइन कक्षाए गूगल मीट गूगल क्लास रूम आदि इंटरनेट प्लेटफार्म पर हो रही हैं। अब तक लगभग 351805 ऑनलाइन कक्षाए हो चुकी हैं जिसमे प्रतिदिन औसतन 274887 विद्यार्थियों ने भाग लिया है। इस दौरान करीब 6939 शिक्षकों द्वारा अॅानलाइन कोर्स भी किए गए तथा 5791 शोध पत्र लेख व पुस्तके लिखी गईं। महाविद्यालयों व विश्वविद्यालयों द्वारा विभिन्न प्रकार की 3577 ऑनलाइन ट्रेनिग कराई गई। दूरदर्शन व इग्नू द्वारा शुरू किए गए 4 फ्री चैनलों के द्वारा भी शिक्षण सामग्री का प्रसारण कराया जा रहा है। कोरोना संक्रमण से जागरूक करने के लिए भी बच्चों व अभिाभवकों को जानकारी दी जा रही है। विभाग आरोग्य ऐप डाउनलोड कराने में भी बडी पहल कर रहा है। उच्च शिक्षा विभाग द्वारा कीहब 16 लाख तथा माध्यमिक शिक्षा विभाग द्वारा 74.58 आरोग्य ऐप डाउनलोड कराया गया है। विद्यालयों द्वारा करीब ढाई लाख मास्क भी बनाए गए हैं। डा शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार कोरोना के दौर में भी संजीदगी व संवेदनशीलता के साथ काम करते हुए प्रधानमंत्री के न्यू इंडिया के विजन को साकार करने की दिशा में आगे बढ रही है। शिक्षा के दीप की रोशनी से हर बच्चा रोशन हो इसका पुख्ता इंतजाम किया गया है। डा शर्मा ने कहा कि कोरोना से लडाई लम्बी है और इस पर जीत के लिए तरीका बदलना ही एक मात्र विकल्प है। शिक्षा विभाग ने तरीके में बदलाव से चुनौतियों पर जीत की कवायद आरंभ कर दी है। हमे भरोसा है कि जिन उम्मीदों को पिछले तीन सालों में पैदा किया है उन्हे मंजिल तक ले जाने में शिक्षा विभाग सफल होगा।