लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि कुम्भ भारत की महान परम्परा का प्रतिनिधित्व करता है। प्रयागराज कुम्भ के माध्यम से हमें अपने अतीत के साथ एक बार फिर जुड़ने का अवसर प्राप्त होगा। भारत की महान पीढ़ी का उत्तरदायित्व बनता है कि हम सब कुम्भ के इस भव्य आयोजन को सम्पन्न करने के लिए उसी प्रकार की दिव्यता का परिचय दें। देश के अन्दर चार स्थानों पर यह पवित्र आयोजन सम्पन्न होता है जिसमें प्रयागराज का कुम्भ अपने आप में देश और दुनिया के लिए अलग ही कौतूहल एवं आकर्षण का विषय बनता है।
मुख्यमंत्री जी ने यह विचार आज प्रयागराज में त्रिवेणी बांध स्थित आदिशंकर विमान मण्डपम मन्दिर में आयोजित श्रीकुम्भाभिषेक महोत्सव के समापन अवसर पर व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि पवित्र गंगा, यमुना और सरस्वती के मिलन स्थल त्रिवेणी पर आयोजित होने वाला कुम्भ अपने आप में अनेक प्रकार से प्रेरणा और उन दिव्य आध्यात्मिक शक्तियों को अर्जित करने का एक शुभ अवसर प्रदान करता है। इस वृहद आयोजन में सभी की भागीदारी आवश्यक है, जिससे इस पूरे आयोजन को कुशलतापूर्वक भव्यता एवं दिव्यता के साथ सम्पन्न कराया जा सके।
मुख्यमंत्री जी ने प्रयागराज में आयोजित होने वाले इस तरह के आयोजन पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए श्रीकुम्भाभिषेक के आयोजन करने वाले संतों एवं आयोजकों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि कुम्भ के पहले श्रीकुम्भाभिषेक का आयोजन होना एक शुभ लक्षण है। कुम्भ भारत की सनातन पररम्परा तथा मानव कल्याण का सबसे बड़ा आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक परम्परा का आयोजन है। भारत की सनातन धर्म संस्कृति मनुष्य मात्र के लिए नहीं, बल्कि इस चराचर जगत के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करने की प्रेरणा प्रदान करती है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि इस बार कुम्भ का आयोजन देश और दुनिया को संदेश देने वाला हो, जिससे एकता, स्वच्छता, राष्ट्र निर्माण तथा लोक कल्याण का मार्ग प्रशस्त हो। धार्मिक आयोजनों के पीठ, धर्माचार्यगण, संतगण सभी इस अभियान के साथ जुड़े हैं। इन सभी की आध्यात्मिक साधना लोक कल्याण का मार्ग प्रशस्त करती है।
इससे पूर्व मुख्यमंत्री जी प्रयागराज के मेला क्षेत्र में आयोजित श्री आदि शंकर विमान मण्डपम् के कुम्भाभिषेक कार्यक्रम के समापन अवसर पर पहुंचे। उन्हांेने सर्वप्रथम श्री आदिशंकर विमान मण्डपम् मन्दिर में स्थापित विग्रहों के दर्शन किये। वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उन्होंने कांची कामकोटि पीठाधीश्वर शंकराचार्य जी से वार्ता की तथा मेलाधिकारी से कुम्भ मेला क्षेत्र की तैयारियों की जानकारी भी प्राप्त की। साथ ही, उन्होंने हनुमान मन्दिर पहुंचकर लेटे हुए हनुमान जी के दर्शन किए।