नई दिल्ली: भारत-प्रशांत द्वीप समूह के देशों के मंच के दूसरे शिखर सम्मेलन (एफआईपीआईसी) में भाग ले रहे राष्ट्राध्यक्षों/शासनाध्यक्षों ने आज राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी से मुलाकात की। इस अवसर पर अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने प्रशांत द्वीप समूह के देशों के राष्ट्राध्यक्षों / शासनाध्यक्षों का भारत में स्वागत किया। उन्होंने कहा कि हालांकि भारत महासागरों और महाद्वीपों के जरिये प्रशांत द्वीप समूह देशों से अलग है, लेकिन इसके बावजूद उसे इन देशों के साथ करीबी मैत्री की दीर्घकालिक परम्परा पर गर्व है। भारत सरकार प्रशांत द्वीप समूह के देशों के मित्रों के साथ अपने रिश्तों को बहुत महत्व देती है। भारत का मानना है कि प्रशांत द्वीप समूह के देशों के साथ आर्थिक संपर्क और सहयोग विस्तारित ‘एक्ट ईस्ट’ नीति के प्रमुख घटक हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत-प्रशांत द्वीप समूह के देशों के मंच के दूसरे शिखर सम्मेलन (एफआईपीआईसी) की मेजबानी करते हुए भारत को बहुत प्रसन्नता हो रही है। उन्होंने कहा कि इस मंच की स्थापना से हमारे देशों और जनता के बीच स्थायी भागीदारी कायम करने की सभी सदस्य देशों की इच्छा को परिलक्षित होती है। प्रशांत द्वीप समूह के देश प्राकृतिक संसाधनों से संपन्न हैं। भारत को उनके खनिज, समुद्रीय एवं हाईड्रोकार्बन संसाधनों का इस्तेमाल करने के लिये उनके साथ काम करके प्रसन्नता होगी। भारत सरकार और निजी क्षेत्र आपसी व्यापार को सशक्त और वैविध्यपूर्ण बनाने और मत्स्य, कृषि, तेल और प्राकृतिक गैस, खनन और जल विलवणीकरण में निवेश को बढ़ावा देने के इच्छुक हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत विस्तारित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता की अपनी उम्मीदवारी के लिये मिले समर्थन की सराहना करता है। उन्होंने कहा कि इस साल संयुक्त राष्ट्र की 70वीं वर्षगांठ है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार और उसके विस्तार पर अगले महीने होने वाले संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र के दौरान चर्चा होगी और इस दौरान ठोस प्रस्ताव पर विचार-विमर्श होने की संभावना है। उन्होंने कहा कि विचार-विमर्श के लिये एक अंतर-सरकारी प्रारूप पहले से तैयार है, जिसके लिये भारत को उनके समर्थन की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हमारे देश वैश्विक गवर्नेन्स की संस्थाओं में सुधार के लिये समान प्रतिबद्धता रखते हैं ताकि वे विकाशील देशों की महत्वाकांक्षाओं को बेहतर ढंग से व्यक्त कर सकें। भारत को विश्वास है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा के आगामी सत्र में लंबे समय से प्रतीक्षित इन सुधारों पर बल देने के लिये मिलकर काम करना महत्वपूर्ण होगा।
दूसरा एफआईपीआईसी शिखर सम्मेलन 21 अगस्त, 2015 को जयपुर में आयोजित किया जाएगा। एफआईपीआईसी के सदस्यों में भारत और 14 प्रशांत द्वीप समूह देश – फिजी, कुक द्वीप समूह, किरिबाती, मार्शल द्वीप समूह, माइक्रोनेशिया, नौरू, नियू, पलाऊ, पापुआ न्यू गिनी, समोआ, सोलोमन द्वीप समूह, टोंगा, तुआलु एवं वानुअतु शामिल हैं।