लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के समक्ष आज यहां उनके सरकारी आवास पर राज्य में वस्त्र उद्योग क्षेत्र में अधिक से अधिक रोजगार सृजन हेतु उत्तर प्रदेश को गारमेण्टिंग हब बनाने जाने के सम्बन्ध में रोडमैप का प्रस्तुतीकरण किया गया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश में टेक्सटाइल क्षेत्र में रोजगार की व्यापक सम्भावनाएं मौजूद हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि कोविड-19 के कारण उत्पन्न परिस्थितियों के चलते जो कामगार/श्रमिक प्रदेश वापस लौटे, उनमें बड़ी संख्या में टेलरिंग एक्सपर्ट भी हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इन्हें रोजगार उपलब्ध कराने के लिए कटिबद्ध है। राज्य में वस्त्रोद्योग को बढ़ावा देना होगा, ताकि अधिक से अधिक रोजगार के अवसर सृजित हो सकें। राज्य में एयर और रोड कनेक्टिविटी लगातार बेहतर होती जा रही है। इससे वस्त्रोद्योग को काफी लाभ होगा।
इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव हथकरघा एवं वस्त्रोद्योग श्री रमारमण ने प्रस्तुतीकरण करते हुए मुख्यमंत्री जी को अवगत कराया कि वर्तमान में उत्तर प्रदेश में गारमेण्टिंग की लगभग साढ़े चार हजार औद्योगिक इकाइयां हैं, जिनमें से लगभग 3000 इकाइयां गौतमबुद्धनगर तथा शेष 1500 इकाइयां गाजियाबाद, कानपुर, लखनऊ तथा बरेली में स्थित हैं। इनसे लगभग 22,000 करोड़ रुपए का प्रतिवर्ष निर्यात होता है।
मुख्यमंत्री जी को अवगत कराया गया कि अगले 05 वर्षों में 20,000 करोड़ रुपए के निवेश से 20 लाख रोजगार सृजन की सम्भावना है। जनपद गौतमबुद्धनगर के जेवर एयरपोर्ट के 50 किलोमीटर की परिधि में तथा यूपीडा द्वारा निर्मित किए जा रहे एक्सप्रेस-वे के किनारे प्रदेश के अन्य स्थानों पर कम से कम 05 अपरैल/गारमेण्टिंग पार्कों की स्थापना के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके अलावा, लखनऊ, कानपुर, गोरखपुर, वाराणसी तथा झांसी मण्डलों में भी ऐसे पार्कों की स्थापना की जा सकती है।
मुख्यमंत्री जी को अवगत कराया गया कि वस्त्रोद्योग के लिए डाइंग और प्रिण्टिंग क्लस्टर की स्थापना अत्यन्त महत्वपूर्ण है। साथ ही, कामगारों को प्रशिक्षण भी दिया जाना आवश्यक है। गारमेण्टिंग के अतिरिक्त टेेक्निकल टेक्सटाइल हेतु भी पार्क विकसित किए जाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इनमें चिकित्सा, रक्षा, कृषि, स्पोट्र्स तथा आॅटो मोबाइल्स के क्षेत्र में उपयोग होने वाले टेक्सटाइल शामिल हैं।
प्रस्तुतीकरण के दौरान मुख्यमंत्री जी को अवगत कराया गया कि गारमेण्टिंग सेक्टर हेतु सस्ता कपड़ा प्रदेश में तैयार करने के लिए आॅटोमैटिक/रेपियर पावरलूम राज्य में ही स्थापित करने की आवश्यकता पड़ेगी, जिसके लिए नई योजना बनायी जाएगी। इन पार्कों में स्थापित होने वाली इकाइयों को ‘उ0प्र0 हैण्डलूम, पावरलूम, सिल्क, टेक्सटाइल एवं गारमेण्टिंग पाॅलिसी’ के अन्तर्गत विभिन्न सुविधाएं जैसे सरकारी एजेन्सियों द्वारा भूमि आवंटन में सब्सिडी, स्टाम्प ड्यूटी में छूट, ब्याज उपादान, ई0पी0एफ0 की प्रतिपूर्ति, माल भाड़े की प्रतिपूर्ति, मेगा एवं सुपर मेगा इकाइयों को रोजगार सृजन अनुदान, इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी में छूट, अवस्थापना ब्याज उपादान, पूंजीगत उपादान अनुमन्य होंगी।
प्रस्तुतीकरण के दौरान औद्योगिक प्राधिकरणों को एपरेल/गारमेण्ट पार्क की स्थापना, निजी क्षेत्र में पार्क स्थापित करने हेतु फीजिबिलिटी स्टडी तैयार करने हेतु कन्सल्टेण्ट/ट्रांजेक्शन एडवाइजर की नियुक्ति, एपरेल लाॅजिस्टिक पार्क एवं डाइंग/प्रिण्टिंग पार्क की स्थापना, इसके लिए भी प्रक्रिया अपनाए जाने की स्वीकृति तथा प्रदेश में कपड़े के उत्पादन को बढ़ावा देने तथा बुनकरों की आय बढ़ाने के लिए नए रेपियर/आॅटोमैटिक पावरलूम की योजना लाए जाने की स्वीकृति के सम्बन्ध में निर्णय लिए गए।
इस अवसर पर सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री श्री सिद्धार्थनाथ सिंह, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम राज्यमंत्री श्री चैधरी उदयभान सिंह, अपर मुख्य सचिव वित्त श्री संजीव मित्तल, अपर मुख्य सचिव गृह एवं सूचना तथा यूपीडा के मुख्य कार्यपालक अधिकारी श्री अवनीश कुमार अवस्थी सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।