नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग और अतिविषम मौसम जैसे प्रमुख मुद्दों से निपटने के लिए वैज्ञानिकों और अनुसंधानकर्ताओं का आह्वान किया, ताकि विश्व प्रतिकूल स्थिति से निपटने के लिए बेहतर रूप से तैयार हो सके। तिरुपति, (आंध्र प्रदेश) के पास स्थित राष्ट्रीय वायुमंडलीय अनुसंधान प्रयोगशाला (एनएआरएल) के वैज्ञानिकों और युवा शोधकर्ताओं के साथ बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि मौसम और जलवायु दिन-प्रति-दिन नई चुनौतियां पेश कर रहे हैं।
श्री नायडू ने कहा कि हम अतिविषम मौसम, चक्रवाती तूफानों, आंधी-तूफान, तेज बारिश और सूखे के रूप में हम ग्लोबल वार्मिंग और इनके प्रभावों का अनुभव कर रहे हैं। बदलते हुए मौसम और जलवायु के रुख ने हमारी कृषि और अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित किया है। जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम प्रणालियों के बढ़ते प्रभाव, पानी की कमी, नदियों के सूखने, बढ़ते प्रदूषण और अनेक पशुओं तथा पौधों की प्रजातियों के अस्तित्व को खतरे होने जैसी चुनौतियों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इन मुद्दों से निपटना वैज्ञानिकों और अनुसंधानकर्ताओं के लिए बहुत आवश्यक है। भारत की उष्टकटिबंधीय जलवायु के लिए उपयुक्त जलवायु प्रतिरूपों पर उच्च गुणवत्ता के डेटा के सृजन के लिए अतिआधुनिक प्रेक्षण उपकरणों पर कार्य करने के लिए वैज्ञानिकों का आह्वान करते हुए उपराष्ट्रपति ने डेटा से सृजित त्रुटिपूर्ण परिणामों के विरूद्ध सुरक्षा बरतने के लिए सावधान किया। उन्होंने सटीक आकलन और पूर्वानुमानों की भी जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि भारतीय उपमहाद्वीप में विशिष्ट जलवायु क्षेत्र हैं और दीर्घकालिक कल्याण के लिए वैश्विक जलवायु पैटर्न पर उनके पारस्परिक प्रभाव की प्राथमिकता के आधार पर अध्ययन किए जाने की आवश्यकता है।
उन्होंने उल्लेख किया कि भारत नवीनतम पेरिस समझौते के माध्यम से जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन के गठन से ही जलवायु कार्य योजना का एक सक्रिय सदस्य रहा है। श्री नायडू ने कहा कि जलवायु कार्य योजना में सार्थाक योगदान करने के लिए पूरे देश से और पूरे विश्व से गुणवत्तायुक्त वैज्ञानिक डाटा की जरूरत है।
वायुमंडलीय विज्ञान और संख्यात्मक के लिए विश्वस्तरीय प्रयोगशाला की स्थापना के लिए इसरो और अंतरिक्ष विभाग को बधाई देते हुए उपराष्ट्रपति ने देश के ऐसे महत्वपूर्ण जलवायु क्षेत्रों में इसी तरह की वायुमंडलीय अनुसंधान सुविधाओं की स्थापना किए जाने की इच्छा जाहिर की है, जहां बहुत कम या बिल्कुल भी वेधशालाएं नहीं हैं।
अल्पायु में ही वैज्ञानिक मनोवृत्ति को बढ़ावा दिए जाने पर जोर देते हुए श्री नायडू ने एनएआरएल से वायुमंडलीय विज्ञान पर सरल भाषाओं में साहित्य तैयार कराने को कहा है, ताकि स्कूली छात्र उनसे लाभान्वित हो सकें।
उपराष्ट्रपति ने वैज्ञानिकों से वायुमंडलीय व्यवहार का सटीक रूप से पूर्वानुमान लगाने और जलवायु परिवर्तन से लेकर गरीबी उन्मूलन तक की विविध चुनौतियों का सामना करने पर ध्यान केंद्रित करने का आह्वान किया।
राष्ट्रीय वायुमंडलीय अनुसंधान प्रयोगशाला अंतरिक्ष विभाग, भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित एक स्वायत्त अनुसंधान संस्थान है। एनएआरएल वायुमंडलीय विज्ञान के क्षेत्र में मौलिक और अनुप्रयुक्त अनुसंधान में संलग्न है।
इससे पहले, उपराष्ट्रपति ने एनएआरएल में एमएसटी राडार सुविधा, रैले डॉपलर लिडार और हाई पर्फॉर्मन्स कम्युटेशन सुविधा और डेटा केंद्र का दौरा किया।
एनएआरएल के निदेशक डॉ. ए.के. पात्रा, प्रभारी निदेशक डॉ. टी.वी.सी. शर्मा, कई वैज्ञानिक और शोधकर्ता और अन्य गणमान्य व्यक्ति इस अवसर पर उपस्थित थे।