लखनऊ। देश की जीवनदायिनी गंगा नदी को अविरल-निर्मल बनाने के सभी सरकारी प्रयास पर सुप्रीम कोर्ट के सवाल-जवाब से केंद्र सरकार ने सख्त रुख अपनाया है। इलाहाबाद में केंद्रीय जल संसाधन एवं गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती ने दो टूक कहा कि यदि इंडस्ट्रीज ने गंगा में प्रदूषित जल गिराना बंद न किया तो उन उद्योगों पर ताला डाल दिया जाएगा। इसके लिए केंद्रीय कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में गठित टास्क फोर्स ने कार्य करना शुरू कर दिया है। स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट उनकी सरकार से नहीं, बल्कि 29 साल की नाकामी पर सवाल उठा रहा है। केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने कल संगम की माटी पर दोहराया कि गंगा को पावन करने के लिए वह अपनी जान भी दे देंगी।
केंद्रीय मंत्री कल माघ मेला क्षेत्र के मछली बंदर मठ पर आयोजित सरिता समग्र समारोह में शिरकत की। उन्होंने कानपुर और कन्नौज का नाम लेते हुए कहा कि वहां के उद्योग गंगा में पानी गिराना बंद कर दें या फिर दंडित होने के लिए तैयार रहें। ऐसे ही यमुना के 18 नाले टैप किए जाएंगे। हर उद्योग में मॉनीटर सिस्टम लगेगा। यह सिस्टम उद्योग नहीं बल्कि सरकार लगाएगी ताकि विधिवत निगरानी हो सके। उन्होंने कहा कि देश में गंगा पर हुए काम को दो भागों में बांटा है। पहला 1985 से लेकर 27 मई 2014 तक और दूसरा 27 मई से अब तक का है। केंद्र सरकार ने सवा महीने पहले ही गंगा की कार्ययोजना बनाकर काम करना शुरू किया है। कहा, सरकार इससे खुश है कि सुप्रीम कोर्ट गंगा को लेकर इतना गंभीर है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा छह जनवरी को ही प्रधानमंत्री ने कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में गंगा से जुड़े विभागों के सचिवों की टास्क फोर्स गठित की है, ताकि अभियान में तेजी लाई जा सके। उन्होंने लोगों को भरोसा दिलाया कि वह गंगा को निर्मल बनाने के लिए हर संभव प्रयास करेंगी।
केंद्रीय मंत्री उमा ने कहा कि माघ मेला के समय संगम में पानी कैसे कम हो गया। नरौरा से कितना पानी छोड़ा गया, इस संबंध में वह राज्य सरकार से बात करेंगी। कार्यक्रम में जगद्गुरु स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती, काशी सुमेरु पीठ के स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती, स्वामी हरिचैतन्य ब्रह्मचारी आदि मौजूद थे।
अब नदियों को गोंद लेंगे सांसद-विधायक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छता अभियान का अगला चरण जल संरक्षण व नदियां होंगी। देश के चुनिंदा लोग और सांसद, विधायक जल की शुद्धता व नदियों की सफाई करते दिखेंगे। इसका खुलासा केंद्रीय जल संसाधन एवं गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती ने किया। उन्होंने कहा कि शहर, गली-कूचे की सफाई कर रहे लोग कुछ दिन बाद जल संरक्षण पर काम करते दिखेंगे। इसका खाका खींचा जा रहा है। सांसद व विधायक नदियों को गोद लेकर सफाई का काम कराएंगे। बोलीं, उनकी मंशा है कि भाजपा की जिला इकाइयां भी नदियों को गोद लें और समाज के लिए काम करें। वैसे अभी हाल में ही केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने इस दिशा में काम किया है। जल संरक्षण एवं पर्यावरण संरक्षण के लिए सरकार गंगा के किनारे तालाब खोदवाएगी। गंगा में पानी घटने पर वही जल फिर गंगा में छोड़ दिया जाएगा। इससे गंगा जल की उपलब्धता बनी रहेगी और वाटर रिचार्ज भी होगा।
हथिनी कुंड में न होगा पानी कम
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यमुना नदी की भी हालत बहुत खराब है। उसके लिए भी प्रयास शुरू हो गए हैं। उत्तराखंड में तीन बांध बन रहे हैं। इसका फायदा यह होगा कि हथिनी कुंड में पानी घटते ही तत्काल वहां से जल छोड़ दिया जाएगा। साथ ही दिल्ली में पीने के पानी का संकट भी खत्म हो जाएगा।
संत-पुरोहित तय करें पुष्प-शव का प्रवाह
केंद्र सरकार गंगा किनारे वर्षों से हो रहे कर्मकांड को रोककर ङ्क्षहदुओं की भावना को छेडऩे के मूड में नहीं है। इसी कारण गंगा को पावन बनाने के नाम पर शव प्रवाह, पुष्प एवं अन्य पूजन सामग्री प्रवाहित के सवाल को वह हल नहीं करना चाहती, बल्कि यह जिम्मेदारी ङ्क्षहदू समाज के अगुवा संतों एवं तीर्थ पुरोहितों को दी है। वही तय करेंगे कि आखिर गंगा में शव या पुष्पों का प्रवाह हो या नहीं। केंद्रीय जल संसाधन एवं गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती ने कहा कि वह गंगा को सुंदर एवं उसके तटों को हरा-भरा देखना चाहते हैं। गंगा तट पर कौन-कौन से पेड़ लगाए जाए यह भी अब संत ही तय करेंगे।
रिवर फ्रंट कुंभ में न डाले अड़चन
केंद्रीय मंत्री उमाभारती ने संगम किनारे बन रहे रिवर फ्रंट के बावत हुए सवाल पर कहा कि यह योजना राज्य सरकार की है इसमें संतों का उसे मार्गदर्शन लेना चाहिए। जो पक्के निर्माण होंगे वह बाकी दिनों के लिए तो ठीक है, लेकिन ऐसा न हो कि कुंभ आदि के मौके पर वह निर्माण अड़चन बन जाए। बोलीं, इतना ही नहीं यह निर्माण भीड़ में भगदड़ मचने का कारण हो सकते हैं। वैसे उन्होंने इसका प्रजेंटेशन देखा नहीं है।
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