नई दिल्ली: कृषि उत्पादों के एक बाजार से दूसरे बाजार तक मुक्त प्रवाह, मंडी के अनेकों शुल्कों से उत्पादकों को बचाने और उचित मूल्य पर उपभोक्ता के लिए कृषि वस्तुओं को मुहैया कराने के लिए सरकार ने राष्ट्रीय कृषि बाजार को
विकसित करने के लिए एक समयबद्ध कार्यक्रम तैयार किया है।
इन उद्देश्यों के लिए बनाया गया ई-प्लेटफार्म सितंबर 2016 तक 250 से ज्यादा कृषि मंडियों को कवर करेगा और मार्च 2018 तक कुल 585 मंडियों में ऐसी प्रणाली विकसित की जाएगी जो किसानों के लिए अपनी पैदावार को बाजार तक पहुंचाने को आसान बनाएगी। संसदीय सलाहकार समिति के सदस्यों को केन्द्र सरकार की इस पहल के बारे में जानकारी देते हुए केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री राधा मोहन सिंह ने बताया कि सरकार सक्रिय रूप से किसानों और उपभोक्ताओं के हित में कृषि विपणन प्रणाली में सुधार लाने के लिए काम कर रही है।
केंद्र ने राज्य की मंडियों को आपस में जोड़ने के लिए राज्य में ई-बाजार प्लेटफार्म शुरू करने के लिए राज्य सरकारों से आग्रह किया है, ताकि किसान किसी भी मंडी में अपनी पैदावार बेच सकें। इसके लिए कृषि विभाग राज्यों को मुफ्त सॉफ्टवेयर उपलब्ध कराने और हरसंभव मदद करेगा।
श्री सिंह ने बताया कि केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय स्तर पर एक ऑनलाइन मंच के माध्यम से एकीकृत बाजार बनाने के विचार से इसकी शुरुआत की है। राष्ट्रीय कृषि बाजार (एनएएम) कृषि उत्पाद की पारिस्थितिकी-तंत्र के प्रतिभागियों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर मौजूदा कीमते उपलब्ध कराने के लिए एक साझा बाजारों की पेशकश करेगा। इससे कृषि-पैदावारों के लिए कुशल व्यापार प्रणाली बनेगी, जो क्रेता और विक्रेता के मौजूदा स्थानों से लेन-देन में सक्षम होगी। इससे मौजूदा बाजार का विस्तार होगा और भविष्य में उन स्थानों से भी लेन-देन किया जा सकेगा जहां बाजार मौजूद नहीं है। खरीद और बिक्री के लिए एक नया वितरण चैनल अस्तितव में आएगा, जो कृषि पैदावार के बेहतर मूल्य हासिल करने के नतीजे के रूप में सामने आएगा, और बड़े पैमाने पर किसान को लाभ मिलेगा।
उन्होंने कहा कि केंद्र सॉफ्टवेयर के लिए प्रति मंडी 30 लाख रुपये के हिसाब 175 करोड़ रुपये सहायता देगा और गुजरात, महाराष्ट्र, तेलंगाना, झारखंड और छत्तीसगढ़ के लिए वित्तीय सहायता को पहले ही मंजूरी दी जा चुकी है।
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