लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि गंगा जी व सहायक नदियों को अविरल-निर्मल बनाने के संकल्प के साथ प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के मार्गदर्शन में संचालित ‘नमामि गंगे’ परियोजना के अत्यन्त संतोषप्रद परिणाम देखने को मिले हैं। गंगा व सहायक नदियों की स्वच्छता के इस अभियान में केन्द्र व राज्य सरकार के प्रयासों में जनसहयोग भी प्राप्त हो रहा है। आज गंगा नदी में डॉल्फिन की वापसी हुई है। तकनीक का प्रयोग कर नदियों को स्वच्छ बनाया जा रहा है।
मुख्यमंत्री जी आज यहां लोक भवन में आयोजित एक उच्चस्तरीय बैठक में ‘नमामि गंगे’ परियोजना के क्रियान्वयन की समीक्षा कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने आवश्यक दिशा-निर्देश देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री जी की अध्यक्षता में वर्ष 2019 में राष्ट्रीय गंगा परिषद की प्रथम बैठक कानपुर में सम्पन्न हुई थी। आगामी 30 दिसम्बर को राष्ट्रीय गंगा परिषद की द्वितीय बैठक प्रस्तावित है। इसके लिए आवश्यक तैयारी समय से पूरी कर ली जाए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि नमामि गंगे परियोजना, गंगा नदी के साथ-साथ सहायक नदियों के लिये भी है। प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में यहां अभूतपूर्व कार्य हुए हैं। जनपद कानपुर के जाजमऊ तथा सीसामऊ नाले से गिरने वाले गन्दे पानी को गंगा नदी में गिरने से रोकने के लिये प्रभावी प्रयास किये गये हैं। आज यह सेल्फी प्वाइंट बन गया है। गंगा सहित सभी नदियों की अविरलता तथा निर्मलता सुनिश्चित करने के लिए नगरीय ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन के लिए और प्रयास किए जाएं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि मां गंगा, उत्तर प्रदेश को प्रकृति प्रदत्त अनुपम उपहार हैं। गंगा नदी के बहाव का सर्वाधिक क्षेत्र उत्तर प्रदेश में है। यह हमारी आस्था का केन्द्र बिन्दु हैं एवं अर्थव्यवस्था का बड़ा आधार भी हैं। प्रयागराज महाकुम्भ 2025 के प्रारम्भ होने से पहले तक गंगा को अविरल-निर्मल बनाने का संकल्प पूर्ण करना होगा। नदियों को सीवरेज की गंदगी और पानी को विषाक्त होने से बचाने के लिए एस0टी0पी0 लगाए जाने की कार्यवाही में तेजी लायी जाए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि मां गंगा अनादिकाल से हमारी आस्था का केन्द्र रही हैं। प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में यह आस्था के साथ अर्थव्यवस्था का आधार भी बन रही हैं। ‘अर्थ गंगा अभियान’ का सर्वाधिक लाभ उन करोड़ों लोगों को होगा, जिनकी आजीविका गंगा नदी पर ही निर्भर है। अर्थ गंगा से सकल घरेलू उत्पाद में 03 प्रतिशत का योगदान होने के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए हमंे ठोस प्रयास करने होंगे। विशेषज्ञों की सहायता से इसे एक मॉडल के रूप में विकसित करने के लिए प्रयास किये जाएं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि किसानों की आय बढ़ाने और विषमुक्त खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से राज्य सरकार द्वारा गंगा नदी के दोनों तटों पर 05-05 किलोमीटर तक प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके अच्छे परिणाम देखने को मिले हैं। प्रदेश के 27 जनपद गंगा नदी से जुड़े हुए हैं। इसके अलावा बुन्देलखण्ड के 07 जनपदों में प्राकृतिक खेती के लिए विशेष अभियान शुरु किया गया है। वर्तमान में लगभग 85 हजार हेक्टेयर भूमि पर प्राकृतिक खेती हो रही है। इस बार यहां उत्पादन अच्छा हुआ है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि जीरो बजट वाली प्राकृतिक खेती के अच्छे परिणामों के तुलनात्मक रिपोर्ट के साथ किसानों को जागरुक किया जाए। राज्य स्तरीय प्राकृतिक खेती बोर्ड का गठन किया गया है। प्राकृतिक खेती के अभियान से अधिकाधिक किसानों को जोड़ा जाए। अब तक प्रदेश में 66,180 हेक्टेयर क्षेत्र को जैविक खेती तहत लाया गया है। एक लाख से अधिक किसान जैविक खेती से लाभान्वित हो रहे हैं। सभी किसानों को भारत सरकार के जैविक खेती पोर्टल से जोड़ा जाए। जैविक उत्पादों की पहचान करने और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए सभी मण्डल मुख्यालयों पर प्रयोगशाला की स्थापना की जाए। इसी प्रकार सभी कृषि मण्डियों में जैविक उत्पाद के आउटलेट भी स्थापित किए जाएं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि मां गंगा का हर घाट पवित्र है। इसके किनारे अनेक तीर्थ क्षेत्र, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के स्थल तथा असीम प्राकृतिक सुन्दरता है। इन क्षेत्रों में पर्यटन की नवीन सम्भावनाओं को बढ़ावा दिया जाए। यहां एडवेंचर टूरिज्म तथा वॉटर स्पोर्ट टूरिज्म की अपार सम्भावना है। प्रधानमंत्री जी के प्रयासों से इस दिशा में वाराणसी में प्रेरक प्रयास हुए हैं। रिवर क्रूज टूरिज्म, वॉटर स्पोर्ट/कैम्पिंग सुविधाओं के साथ वन्य जीव पर्यटन के मॉडल को विकसित किया जाए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने नदी शहरों के लिए नई सोच की आवश्यकता बताई है। नमामि गंगे के अनुभवों से सीख लेते हुए नदी किनारे बसे शहरों की योजना बनाने में नई नदी केन्द्रित सोच की जरूरत है। यह शहर के मास्टर प्लान का हिस्सा होना चाहिए। आई0आई0टी0 कानपुर के तकनीकी सहयोग से इस सम्बन्ध में आवश्यक कार्यवाही की जाए। महिला स्वयं सहायता समूहों, भूतपूर्व सैनिकों आदि के सहयोग से गंगा नर्सरी विकसित करने के प्रयास किये जायें। यहां नर्सरी से लेकर फलों के प्रसंस्करण की पूरी वैल्यू चेन बनायी जाए। यह ‘गंगा उत्पाद’ गंगा किनारे के लोगों के लिए आय के स्थायी साधन बन सकते हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि नदी संस्कृति के प्रति व्यापक जागरूकता बढ़ाए जाने की आवश्यकता है। जल संरक्षण, नदियों की स्वच्छता, नदी पुनर्जीवन तथा स्वच्छता के अभियान से बच्चों को भी जोड़ा जाए। माध्यमिक कक्षाओं के पाठ्यक्रम में इस विषय को शामिल किया जाए। युवक मंगल दल/महिला मंगल दल के माध्यम से समाज को जागरूक करने के प्रयास किये जाएं।
इस अवसर पर जल शक्ति मंत्री श्री स्वतंत्र देव सिंह, कृषि उत्पादन आयुक्त श्री मनोज कुमार सिंह, अपर मुख्य सचिव कृषि श्री देवेश चतुर्वेदी, अपर मुख्य सचिव दुग्ध विकास एवं पशुपालन डॉ0 रजनीश दुबे, अपर मुख्य सचिव खेल श्री नवनीत सहगल, अपर मुख्य सचिव मुख्यमंत्री श्री एस0पी0 गोयल, प्रमुख सचिव पर्यटन श्री मुकेश मेश्राम, प्रमुख सचिव नमामि गंगे श्री अनुराग श्रीवास्तव, प्रमुख सचिव राजस्व श्री सुधीर गर्ग, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री, सूचना एवं गृह श्री संजय प्रसाद सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।