लखनऊ: उत्तर प्रदेश के कृषि विज्ञान केंद्रों की 27वीं कार्यशाला के शुभारंभ के अवसर पर केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री श्री कैलाश चैधरी ने कहा कि कृषि विज्ञान केंद्रों को मॉडल के रूप में स्थापित किया जाए। उन्होंने कहा कि किसानों की समस्याओं के निराकरण एवं समाधान के केंद्र के रूप में कृषि विज्ञान केंद्र को विकसित किया जाए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री, श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश लगातार कृषि उत्पादन क्षेत्र में किसानों के परिश्रम एवं वैज्ञानिकों की खोज से आगे की ओर बढ़ रहा है।
श्री चैधरी ने बताया भारत सरकार के आत्मनिर्भर पैकेज के अंतर्गत किसानों के हितार्थ महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं, जिसके अंतर्गत 10,000 एफपीओ बनाए जाने का प्रावधान किया गया है। उन्होंने एफपीओ बनाये जाने की दृष्टि से कहा की समस्त कृषि विज्ञान केंद्र 600 किसानों का समूह बनायेें और उनसे 2-2 हजार रुपये की शेयर होल्डिंग लेकर अपने-अपने क्षेत्रों में क्रियाशील करें। भारत सरकार द्वारा इसके लिए इक्विटी ग्रांट दी जाएगी और उन्हें प्रशिक्षण भी देगी। उन्होंने कहा कि अधिक से अधिक किसानों को कृषि विज्ञान केंद्र से जोड़ने के प्रयास किये जायें।
केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री ने कृषि विज्ञान केंद्रों की भूमिका के बारे में बताते हुए कहा कि किसानों की लागत कम करना, वैरायटी और फसल बीमारियों के बारे में जानकारी देना, किसानों को उन्नतशील बीज उपलब्ध कराना, मृदा स्वास्थ्य कार्ड के बारे में जानकारी उपलब्ध कराते हुए उचित मात्रा में उर्वरक के उपयोग के प्रति जागरूक करना, भंडारण की व्यवस्था, बीज से बाजार तक का प्रबंध करना और अपने आर्थिक स्रोतों का विकास करना कृषि विज्ञान केंद्रों का दायित्व होगा। उन्होंने कहा कि प्रवासी श्रमिकों से संवाद कर उन्हें खाद्य प्रसंस्करण का प्रशिक्षण देते हुए सक्षम बनाया जाए, जिससे वे अपने-अपने क्षेत्रों में खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को संचालित कर सकें।
प्रदेश के कृषि मंत्री, श्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि कोविड-19 की विषम परिस्थितियों में भी उत्तर प्रदेश ने देश में रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन किया है। देश की जीडीपी में योगदान देने की दिशा में प्रदेश की भूमिका सकारात्मक बनी है। उन्होंने कहा कि मा0 प्रधानमंत्री जी के 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज में सबसे अधिक धनराशि की व्यवस्था किसानों, मजदूरों एवं गांव के विकास की दृष्टि से की गई है। उन्होंने बताया कि मनरेगा के अंतर्गत धनराशि 60 हजार करोड़ रुपये से बढ़ाकर 1.01 लाख करोड़ रुपये कर दी गई है। इसके अतिरिक्त किसान क्रेडिट कार्ड योजना के अंतर्गत 2 लाख करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है, जिसके माध्यम से किसानों को कम ब्याज पर आर्थिक रूप से मजबूत कर स्वावलंबी बनाया जा सके।
कृषि मंत्री ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों के विकास एवं ग्रामीण लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने की चुनौतियों को साकार करने में कृषि विज्ञान केंद्र एवं कृषि विश्वविद्यालयों का योगदान महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में वर्तमान में 83 कृषि विज्ञान केंद्रों की स्थापना की जा चुकी है। उन्होंने बताया कि प्रदेश के 20 कृषि विज्ञान केंद्रों को अलग-अलग कृषि विश्वविद्यालयों के माध्यम से 2020-21 व 2021-22 में 52 करोड़ रुपए की धनराशि का योगदान देकर उनमें विभिन्न परियोजनाओं को संचालित किया जाएगा। इसके अंतर्गत इंटीग्रेटेड फार्मिंग, खेत तालाब, मछली पालन, मधुमक्खी पालन, जैविक खेती आदि कार्य किए जाएंगे। इसके अतिरिक्त 18 कृषि विज्ञान केंद्रों को एक्सिलेन्स सेंटर के रूप में विकसित किया जा रहा है। ये एक्सीलेंस सेंटर विभिन्न आयामों को दृष्टिगत रखते हुए ओडीओपी के आधार पर क्षेत्र की मांग के अनुसार उत्पाद तैयार करायेंगे। इसके साथ ही खेत से लेकर बाजार विकसित करने तक की समस्त व्यवस्था इन्हीं एक्सीलेंस सेंटर द्वारा सुनिश्चित की जाएगी।
प्रदेश के खाद्य एवं रसद मंत्री, श्री रणवेन्द्र प्रताप सिंह श्धुन्नी सिंहश् ने कहा कि किसानों को जीरो बजट एवं जैविक खेती पर विशेष ध्यान देना चाहिए। जैविक खेती से किसानों की लागत में कमी आएगी। उन्होंने बताया कि जैविक खेती से जहां एक ओर भूमि की उत्पादन क्षमता में बढोत्तरी होगी, वहीं दूसरी ओर जैविक उत्पादों की अधिक कीमत प्राप्त होने से किसानों की आय में भी वृद्धि होगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश के कई हिस्सों में किसान जैविक खेती कर रहे हैं और उनकी आमदनी में भी काफी वृद्धि हुई है। उन्होंने बताया कि वे स्वयं भी विगत काफी समय से जीरो बजट और जैविक खेती करते आ रहे हैं।