मुरादाबाद: घटती कृषि भूमि की वजह कहें या फिर खेती से मोहभंग, किसान का बेटा पुश्तैनी काम खेती छोड़कर नगर की सड़कों पर नींबू चाय बेचकर परिवार का गुजर बसर कर रहा है। गर्मियों में धंधा बदलकर मलाई बर्फ बेचने लग जाता है। हालांकि, वह अपने धंधे से संतुष्ट है।
तहसील के ग्राम ईलर में किसान नरसिंह किसान थे। करीब पंद्रह बीघा अपनी कृषि भूमि थी, बाकी बंटाई पर लेकर खेती करते थे। खेती से अच्छी आमदनी होती थी। नरसिंग के तीन बेटे हुकुम सिंह, अशोक कुमार और गजेंद्र सिंह हैं। नरसिंग की 1996 में मृत्यु के बाद खेती की भूमि तीन हिस्सों में बंटकर पांच-पांच बीघा रह गई। पांच बीघा भूमि पर कृषि कर परिवार का पालन करना तीनों बेटों के बस की बात नहीं रही तो तीनों ने खेती छोड़ दी। सबसे बड़ा बेटा हुकुम सिंह रोजगार की तलाश में ठाकुरद्वारा के चक्कर लगाने लगा।
जहां तीन वर्ष पूर्व कुरेशियान मस्जिद पर उनकी मुलाकात बनारस के नींबू चाय बेचने वालों से हुई। बस यहीं से पकड़ ली रोजगार की राह, उस दिन से हुकुम सिंह सर्दियों में दफतरों से लेकर दुकानों पर घुुमकर नींबू चाय बेच रहे हैं, गर्मियों में चाय की मांग घट जाती है तो गांव से दूध खरीदकर मलाई बर्फ बनाकर बेचना प्रारंभ कर दिया। दोनों सीजन के धंधों ने हुकुम सिंह को मशहूर कर दिया है। तहसील में वकीलों के चैंबर, कोतवाली, सरकारी अस्पताल, प्रथमा बैंक, पीएनबी, खंड विकास कार्यालय से लेकर एसडीएम कोर्ट पर अखबारों के दफतरों में लोग चाय की चाह में हुुकुम सिंह का इंतजार करते हैं।
UPUKLive से बातचीत में हुकुम सिंह बताते हैं दूध-चीनी की चाय से गैस बनाती है, जबकि नींबू की चाय सेहत के लिए फायदेमंद होने के साथ मोटापा भी कम करती है, लिहाजा लोग खूब पसंद करते हैं। प्रति दिन 100-150 तक चाय बेचकर शाम को घर चला जाता हूं। जबकि छोटे भाई अशोक कुमार और गजेंद्र सिंह भी खेती छोड़कर काशीपुर में वाहन चालक बन गए हैं।