नई दिल्ली: कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री राधा मोहन सिंह ने पूसा, नई दिल्ली में आयोजित राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद संस्थानों (आईसीएआर) के निदेशकों के सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा कि माननीय प्रधानमंत्री जी के मंत्र ‘’सबका साथ – सबका विकास’’ में किसान कल्याण की संकल्पना को नव भारत का अभिन्न अंग बनाया गया है। इसके तहत कृषि की विकास दर को तेज करने और कृषि क्षेत्र का रूपांतरण करने के लिए अनेक रणनीतिक पहलें की गई हैं। इस दिशा में कृषि विश्वविद्यालय और आईसीएआर प्रणाली द्वारा कई कदम उठाए गए हैं।
श्री सिंह ने बताया कि पिछले साढ़े चार सालों में आईसीएआर ने भारत सरकार की पहल पर ”सॉयल हैल्थ कार्ड” को सहयोग देने में मिट्टी की जांच के लिए एक लघु प्रयोगशाला ‘मृदा परीक्षक’ का विकास किया। साथ ही छोटे व सीमांत किसानों और जलवायु परिवर्तन से जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिए देश के सभी 15 कृषि जलवायु क्षेत्रों को शामिल करते हुए कुल 45 एकीकृत कृषि प्रणाली मॉडल (आईएफएस) तैयार किए गए हैं।
श्री सिंह ने कहा कि मोदी सरकार के प्रयासों से पहली बार कृषि अनुसंधान के अग्रणी संस्थान आईएआरआई-पूसा संस्थान की तर्ज पर दिल्ली से बाहर आईएआरआई- झारखंड की स्थापना की गई। इसके अलावा आईएआरआई- असम की स्थापना की जा रही है। आईएआरआई– झारखंड के कार्य को आगे बढ़ाते हुए वहां अभी हाल ही में प्रशासनिक ब्लॉक का उद्घाटन किया गया है। साथ ही सीएयू, इम्फाल के अंतर्गत 6 नए कॉलेज खोले गए, रांची, झारखण्ड में भारतीय कृषि जैव प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईएबी) स्थापित किया गयाI
श्री सिंह ने बताया कि पिछले साढ़े चार वर्षों में सरकार द्वारा उठाई गईं अनेक नीतिगत पहलों के परिणामस्वरूप वर्तमान वर्ष में देश में खाद्यान्न और बागवानी फसलों का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है। वर्ष 2017-18 के लिए देश में कुल 284.83 मिलियन टन खाद्यान्न उत्पादन हुआ है जो कि वर्ष 2013-14 में हासिल 265.04 मिलियन टन खाद्यान्न उत्पादन की तुलना में लगभग 20 मिलियन टन (लगभग 7.5 प्रतिशत) ज्यादा है। इस वर्ष 2017-18 में दालों का लगभग 25.23 मिलियन टन रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है जो कि आत्मनिर्भरता के काफी नजदीक है। इससे दलहन का आयात जो कि वर्ष 2016-17 में 10 लाख टन था, वह 2017-18 में घटकर 5.65 लाख टन रह गया जिससे 9775 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा की बचत हुई है। वर्ष 2018-19 के प्रथम अग्रिम अनुमान के अनुसार बागवानी उत्पादन 314.67 मिलियन टन होने का अनुमान है, जोकि वर्ष 2017-18 में 311.71 मिलियन टन था।
कृषि मंत्री ने बताया कि कृषि विज्ञान में तीव्र गति से विकास करने के उद्देश्य से अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का प्रयोग करने की दिशा में आईसीएआर द्वारा पहल की गई है। साथ ही विश्व स्तर पर डिजिटल और कृत्रिम बौद्धिकता द्वारा कृषि अनुसंधान और मूल्य श्रृंखला में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जा रही है। देश और कृषि के विकास के लिए कृषि विश्वविद्यालयों और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद में तेजी से वित्तीय लेन-देन के संबंध में ई-भुगतान को अपनाया जा रहा है। किसानों की पहुंच अब ‘’किसान पोर्टल’’, मोबाइल आधारित किसान परामर्श -केएमए एसएमएस पोर्टल, टोलफ्री हेल्प लाइन, विभिन्न जिंसों पर आईसीएआर डाटा सेंटर एवं मोबाइल ऐप तक है। पूसा कृषि – प्रौद्योगिकी मोबाइल ऐप, दलहनी फसलों के लिए विशेषज्ञ प्रणाली ‘पल्स-एक्सपर्ट’ मोबाइल ऐप जारी किया गया।
श्री सिंह ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि वर्ष 2018 से प्रारम्भ भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की झांकी गणतंत्र दिवस परेड में शामिल करने की परम्परा को आगे बढ़ाते हुए दूसरी बार भी आईसीएआर की विविध रंगों से सजी झांकी “किसान गांधी – 2019” को गणतंत्र दिवस परेड में शामिल किया गया, जिसे रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रथम पुरस्कार प्रदान किया गया।
कृषि मंत्री ने कहा कि सब मिलकर अनुसंधान व शिक्षा का बेहतर तालमेल बनाते हुए राष्ट्र निर्माण के भागीदार बनें। सम्मिलित प्रयासों से ही देश में कृषि की बेहतरी द्वारा किसानों की खुशहाली का मार्ग प्रशस्त होगा और उनकी आय दोगुनी हो जाएगी।