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FIAPO और स्थानीय कार्यकर्ताओं ने “अवैध वध बंद करो” मुहीम के तहत हाथ मिलाये

उत्तराखंड

देहरादून: मांस की दुकानों, बूचड़खानों व पिंजरों में कैद हजारो जानवर जो अपनी अंतिम सांसे गिन रहे हैं उनके लिए ये खबर एक जीवन दान सिद्ध होती है। देहरादून के नागरिक जानवरों के अवैध वध के खिलाफ एक जुट होकर उनके रक्षा के लिए हर संभव प्रयासरत है। नागरिक व कार्यकर्ताओं ने अवैध बूचड़खानों की गतिविधिओ पर अंकुश लगाने हेतु शासन द्वारा बनाये गए कानून व प्रशिक्षण पर चर्चा का आयोजन भी किया। यह कार्यशाला एफआईएपीओ भारतीय पशु संरक्षण संगठन संघ द्वारा “अवैध वध बंद” करो अभियान के अंतर्गत आयोजित की गयी।

कार्यशाला का आयोजन सोमवार को देहरादून के होटल सौरभ में पशु संरक्षण संगठन संघ व पांच व्यक्तिगत स्वयं सेवकों द्वारा की गयी। संगोष्ठी में अवैध दुकानों पर वध की स्थितियों को नियंत्रित करने के प्रयास को कैसे सफल बनाया जाए विषय पर चर्चा की गयी।

एफआईएपीओ की निदेशक वर्धा मेहरोत्रा ने कहा, ‘कार्यशाला नागरिकों को इकट्ठा करने में सक्षम थी और शहर में अवैध वध के मुद्दों को हल करने की बुनियादी शुरुआत हो चुकी है। अवैध मांस की दुकानों के खिलाफ मिली शिकायत को दूर करने में स्थानीय नगर निगम और खाद्य व सुरक्षा विभाग की भागीदारी से देहरादून में इस मुहीम को सहायता मिलेगी।’

एफआईएपीओ की निदेशक वर्धा मेहरोत्रा ने कहा, कि देश में सैकड़ों हजारों जानवरों को कत्ल कर दिया जाता है। वर्तमान कानूनी ढांचे में, ऐसी हत्या की अनुमति है। जानवरों के उपचार को सुनिश्चित करने के लिए विशिष्ट नियमों और कानूनों के तहत नियमित रूप से जाँच भी की जाती है किन्तु फिर भी जानवरों को एक-दूसरे के सामने कत्ल किया जाता है, भोजन और पानी तथा अपशिष्ट कचरे को निपटाने का कोई उचित प्रावधान नहीं है।

वर्तमान नियमों के तहत, मान्यता प्राप्त या लाइसेंस प्राप्त बूचड़खानों को छोड़कर जानवरों को कत्ल नहीं किया जा सकता है। कोई मादा जानवर यदि गर्भवती है या उसकी छह महीने से कम उम्र की संतान है या किसी पशु चिकित्सक द्वारा प्रमाणित नहीं किया गया है कि यह एक उचित स्थिति में है जिसे कत्ल किया जा सकता है और यदि उसका कत्ल किया जाता है तो भी गैर कानूनी माना जायेगा। बूचड़ खानों के नियम 2001 के तहत पशुधन अधिनियम 1960, खाद्य सुरक्षा और मानक विनियमन 2010, बीआईएस मानकों, प्रदूषण नियंत्रण मानदंडों और पंजीकरण के लिए नगरपालिका नियमों को स्थानीय दुकानों द्वारा उल्लंघन किया जाना पाया गया है। उदाहरण के लिए, खाद्य सुरक्षा पंजीकरण के बिना मांस की दुकान चलाने पर छह महीने की सजा व पांच लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है।

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