नई दिल्ली: देश में चिकित्सकों एवं अन्य पैरा डॉक्टरों की बढ़ती जरूरतों की पूर्ति के लिए और अधिक चिकित्सा महाविद्यालयों की आवश्यकता है जो वर्तमान में अपर्याप्त हैं।
देश चिकित्सा क्षेत्र में मानव संसाधनों की विशाल प्रतिभा को पैदा करने में सक्षम है और हमें देश में गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा संस्थानों एवं चिकित्सा महाविद्यालयों को विस्तारित करने की जरूरत है। यह जानकारी केंद्रीय वित्त, कंपनी मामले एवं सूचना तथा प्रसारण मंत्री श्री अरुण जेटली ने आज यहां नई दिल्ली में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के 43वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए दी। श्री जेटली ने यह भी कहा कि हमें अंग दान की नीति पर दुनिया भर के सर्वश्रेष्ठ प्रचालनों से सीखने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हमें इसका व्यावसायिकरण नहीं करना चाहिए तथा इसे भारतीय परिप्रेक्ष्य में देखना चाहिए।
वित्त मंत्री ने कहा कि देश में लोग अत्यंत आवश्यकता की स्थिति में अपनी स्वास्थ्य जरूरतों के लिए एम्स की तरफ देखते हैं। उन्होंने कहा कि एम्स पर बड़ी जनसंख्या की स्वास्थ्य जरूरतों की पूर्ति करने की चुनौती से निपटने के लिए सर्वश्रेष्ठ सेवा देने की बड़ी जिम्मेदारी का बोझ है। वित्त मंत्री ने कहा कि अपने ऊपर लगे ‘कुलीन संस्थान’ के खिताब के बावजूद एम्स लगातार आम लोगों की सेवा कर रहा है। उन्होंने कहा कि एम्स ने जिस क्षमता और साख का विकास किया है वह कोई छोटा कार्य नहीं है। यह संकाय, चिकित्सकों, अनुसंधानकर्ताओं एवं एम्स में काम करने वाले अन्य व्यक्तियों का मिशनरी उत्साह है, जिसने इसे संभव बनाया है। श्री जेटली यह भी कहा कि यह संस्थान चिकित्सीय क्षमता की पौधशाला है और देश में चिकित्सा मानव संसाधन के लिए बढ़ती जरूरत की पूर्ति के लिए इसे विस्तारित किए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने यह जानकारी भी दी कि इस संस्थान के लिए विस्तार योजनाएं बनाई जा चुकी है और कुछ पर काम शुरू भी हो चुका है।
दीक्षांत समारोह में अध्यक्षीय भाषण देते हुए संस्थान के अध्यक्ष और केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री जे.पी. नड्डा ने कहा कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय बड़े पैमाने पर देश में चिकित्सा महाविद्यालयों के नेटवर्क विस्तारित करने के लिए काम करने पर कृत संकल्प हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा प्रस्ताव है कि पहले चरण में 58 जिला अस्पतालों का उन्नयन कर इन्हें चिकित्सा महाविद्यालयों में रूपांतरित कर दिया जाए जबकि पीएमएसएसवाई योजना के विभिन्न चरणों के तहत सुपरस्पेशियलिटि ब्लॉक्स जोड़े जाने के जरिए 70 चिकित्सा महाविद्यालयों का उन्नयन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह सरकार द्वारा उच्च गुणवत्तापूर्ण तृतीयक देखभाल सेवाओं को बढ़ावा देने तथा देश में चिकित्सा शिक्षा के विस्तार को दिए जाने वाले महत्व को प्रदर्शित करता है।
स्नातक करने वाले छात्रों एवं अन्य पुरस्कार विजेतओं को बधाई देते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि संस्थान की उत्कृष्टता हजारों संकाय सदस्यों, सेवा सुश्रुषा करने वाले कर्मचारियों, वैज्ञानिकों, तकनीकविदों, स्वच्छता एवं स्वास्थ्य परिचालकों और सबसे बढ़कर छात्रों का प्रतिनिधित्व करने वाली युवा ऊर्जा के सामूहिक प्रयासों का परिणाम है। श्री नड्डा ने कहा कि मैं एम्स के संकाय से अपील करता हूं कि वे चिकित्सा, दंतचिकित्सा एवं नर्सिंग पाठ्यक्रमों में अन्वेषण करें जो आज और कल की जरूरतों की अनुरूप हों। इस विशिष्ट संस्थान के विस्तार की गणना करते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि यह संस्थान लगातार विस्तार के चरण से गुजर रहा है, जिसमें राष्ट्रीय कैंसर संस्थान, मातृ एवं शिशु खंड, एक नया ओपीडी खंड, एक नया शल्यचिकित्सा खंड, एक आपातकाल एवं डायग्नोस्टिक खंड और बर्न्स एवं प्लास्टिक सर्जरी यूनिट से निर्मित ट्रौमा सेंटर का बड़ा विस्तार, पाचन संबंधी बिमारियों के लिए एक केंद्र तथा डायबेटेलॉजी के लिए एक केंद्र निर्माण एवं मंजूरी के विभिन्न चरणों में है। श्री नड्डा ने कहा कि राष्ट्रीय कैंसर संस्थान 2,035 करोड़ रुपए की लागत से 710 बिस्तरों के साथ स्वास्थ्य क्षेत्र में सबसे बड़े सार्वजनिक निवेश का प्रतिनिधित्व करता है। इस प्रतिष्ठित परियोजना पर कार्य जल्द ही शुरू होगा।
स्वास्थ्य मंत्री ने उपभोक्ता अदालतों में चिकित्सकों के खिलाफ मुकदमों के मामलों तथा सार्वजनिक अस्पतालों में चिकित्सकों के निष्ठुर बर्ताव की बढ़ती घटनाओं का जिक्र करने से बचते हुए चिकित्सकों से आग्रह किया कि वे हिप्पोक्रेटिक शपथ को याद करें और अपने रोगियों का उपचार करने के दौरान उनके साथ प्रेम एवं दया का बर्ताव करें। उन्होंने वहां उपस्थित चिकित्सकों से स्वास्थ्य देखभाल एवं बीमार तथा जरूरतमंद लोगों के उपचार के उद्देश्य के प्रति अपने को फिर से समर्पित कर देने का स्मरण दिलाया।
वित्त मंत्री ने भी एम्स के पूर्व वरिष्ठ संकाय सदस्यों को उनकी सराहनीय सेवा के लिए लाईफटाइम एचीवमेंट पुरस्कार प्रदान किया। श्री जेटली ने एम्स को राष्ट्रीय ख्याति के एक संस्थान के रूप में मान्यता दिए जाने तथा एम्स को दिए जाने वाले किसी भी स्वैच्छिक दान के लिए शतप्रतिशत कर छूट की भी घोषणा की।
दीक्षांत समारोह में उपस्थित अन्य व्यक्तियों में एम्स के निदेशक प्रो. एम. सी. मिश्रा, एम्स के डीन प्रो. बलराम ऐरान, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी तथा एम्स के संकाय तथा छात्र भी शामिल थे। 43वां दीक्षांत समारोह नई दिल्ली के एम्स के स्वर्ण जयंती वर्ष को भी चिन्हित करता है।