नई दिल्ली: 15वें वित्त आयोग ने अपने विचारार्थ विषयों को ध्यान में रखते हुए, अर्थात राज्यों के लिए मापे जा सकने वाले प्रदर्शन संबंधी प्रोत्साहनों की सिफारिश करने के लिए कृषि निर्यात पर एक उच्च स्तरीय विशेषज्ञ समूह का गठन करने का निर्णय लिया है, ताकि निर्यात को बढ़ावा दिया जा सके और इसके साथ ही अधिक आयात का प्रतिस्थापन सुनिश्चित करने के लिए संबंधित फसलों को प्रोत्साहित किया जा सके। इस विशेषज्ञ समूह में निम्नलिखित शामिल हैं:
- श्री संजीव पुरी, चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक, आईटीसी – अध्यक्ष
- सुश्री राधा सिंह, पूर्व कृषि सचिव – सदस्य
- खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय का प्रतिनिधि – सदस्य
- अध्यक्ष, कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा), वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय – सदस्य
- श्री सुरेश नारायण, सीएमडी, नेस्ले इंडिया – सदस्य
- श्री जय श्रॉफ, सीईओ, यूपीएल लिमिटेड – सदस्य
- श्री संजय सचेती, कंट्री हेड भारत-ओलाम एग्रो इंडिया लिमिटेड – सदस्य
- डॉ. सचिन चतुर्वेदी, महानिदेशक, आरआईएस – सदस्य
समूह के विचारार्थ विषय निम्नलिखित हैं:
· अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के बदलते परिदृश्य में भारतीय कृषि उत्पादों (जिंस, अर्द्ध-प्रसंस्कृत एवं प्रसंस्कृत) के लिए निर्यात एवं आयात प्रतिस्थापन अवसरों का आकलन करना और निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि करने तथा आयात पर निर्भरता घटाने के तरीके सुझाना।
· कृषि उत्पादकता बढ़ाने, अपेक्षाकृत अधिक मूल्यवर्द्धन में समर्थ बनाने, बर्बादी में कमी सुनिश्चित करने, भारतीय कृषि से संबंधित लॉजिस्टिक्स संबंधी बुनियादी ढांचागत सुविधाओं इत्यादि को मजबूत करने और विश्व स्तर पर इस सेक्टर की प्रतिस्पर्धी क्षमता बढ़ाने के लिए विभिन्न रणनीतियों एवं उपायों की अनुशंसा करना।
· कृषि संबंधी मूल्य श्रृंखला (वैल्यू चेन) में निजी क्षेत्र के निवेश के मार्ग में मौजूद बाधाओं की पहचान करना और ऐसे नीतिगत उपाय एवं सुधार सुझाना, जिससे आवश्यक निवेश आकर्षित करने में मदद मिलेगी।
· कृषि क्षेत्र में सुधारों में तेजी लाने के साथ-साथ इस संबंध में अन्य नीतिगत उपायों को लागू करने के लिए वर्ष 2021-22 से लेकर वर्ष 2025-26 तक की अवधि के लिए राज्य सरकारों को प्रदर्शन आधारित उपयुक्त प्रोत्साहन सुझाना।
उपर्युक्त विशेषज्ञ समूह या समिति अपने निर्दिष्ट कार्य को पूरा करने के लिए आवश्यकता पड़ने पर किसी भी अन्य संस्थान या निकाय की सहायता ले सकती है। यह विशेषज्ञ समूह तीन महीनों के भीतर अपनी सिफारिशें पेश कर देगा, ताकि वित्त आयोग इन पर आगे विचार कर सके।