नई दिल्ली: केन्द्रीय वित्त, कंपनी मामले और सूचना तथा प्रसारण मंत्री श्री अरुण जेटली ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान और गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में 6000 एमटी क्षमता के न्यू बैंक नोट पेपर लाइन का उद्घाटन किया और पिछले शनिवार, 30 मई 2015 को होशंगाबाद के नासिक में करेंसी नोट प्रेस को 1000 रुपये के बैंक नोट पेपर की पहली खेप को हरी झंडी दिखाई।
इस अवसर पर वित्त मंत्री श्री जेटली ने कहा कि होशंगाबाद स्थित न्यू सिक्युरिटी पेपर मिल भारत को स्वदेशी तरीके से निर्मित करेंसी नोट पेपर देगा और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के ”मेक इन इंडिया” अभियान की दिशा में एक अहम कदम साबित होगा। उन्होंने यह भी कहा कि यह मिल 6000 एमटी पेपर का उत्पादन करेगा जिस पर रुपये 10/-, रुपये 20/-,रुपये 50/-, रुपये 100/-, रुपये 500/-और रुपये 1000/- मूल्य वर्ग के करेंसी नोट छापे जाएंगे। इससे पहले उच्च अंकित मूल्य करेंसी के पेपर आयात किए जाते थे। वित्त मंत्री ने घोषणा की कि होशंगाबाद के सिक्युरिटी पेपर मिल में कुल 12000 एमटी क्षमता के दो और पेपर लाइन स्थापित किए जाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि कर्नाटक के मैसूर में एक संयुक्त उद्यम कंपनी के जरिए एक न्यू सिक्युरिटी पेपर मिल की स्थापना की गई है जिससे विदेशी मुद्रा में भारी बचत सुनिश्चित होगी। वित्त मंत्री श्री जेटली ने प्रसन्नता जताई कि सरकार की अहम योजना ”मेक इन इंडिया” की शुरूआत मध्य प्रदेश में हो रही है जो प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा हाल में उठाए गए विभिन्न अभिनव कदमों के बाद अब बीमारु राज्य नहीं रह गया है। उन्होंने कहा कि करेंसी नोट छापने के लिए पेपर उत्पादन केन्द्र के रूप में होशंगाबाद का चयन कई दशक पहले तत्कालीन वित्त मंत्री श्री मोरारजी देसाई द्वारा किया गया था। बहरहाल, इसने केवल छोटे मूल्य के करेंसी नोट छापने के लिए ही पेपर का उत्पादन किया। होशंगाबाद तथा मैसूर में भी नई सुविधाओं के विकास के साथ अब देश की जरूरतों की पूर्ति के लिए पर्याप्त मात्रा में करेंसी प्रिंटिंग पेपर का उत्पादन किया जाना संभव हो जाएगा। वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि बैंक नोट की छपाई में इस्तेमाल होने वाले इंक का उत्पादन ज्यादातर भारत के भीतर ही किया जाता है।
इस न्यू बैंक नोट पेपर लाइन का शिलान्यास 17-12-2011को तत्कालीन वित्त मंत्री श्री प्रणब मुखर्जी ने किया था। यह परियोजना बजट के भीतर और निर्धारित समय पर 495 करोड़ रुपये की लागत से पूरी कर दी गई है। यह संयंत्र पर्यावरण के अनुकूल है तथा इसमें बिजली और पानी का न्यूनतम उपयोग किया गया है। इस संयंत्र के लिए नर्मदा नदी से कोई अतिरिक्त जल नहीं लिया गया है।