नई दिल्ली: केंद्रीय वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली ‘ब्रिक्स में बांड बाजार विकसित करने की राह में चुनौतियां’ विषय पर कल मुम्बई में आयोजित होने वाली एकदिवसीय ब्रिक्स संगोष्ठी में समापन भाषण देंगे। भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों का विभाग (डीईए) इस संगोष्ठी का आयोजन भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के सहयोग से कर रहा है। यह संगोष्ठी ब्रिक्स देशों में अपनाये जा रहे सर्वोत्तम तौर-तरीकों को साझा करने और विश्व स्तर पर अपनाये जा रहे उन सर्वोत्तम तौर-तरीकों को तलाशने का एक उपयुक्त प्लेटफॉर्म प्रदान करेगी, जिन्हें इस बाजार को विकसित करने के लिए अपनाया जा सकता है।
केंद्रीय वित्त मंत्री के अलावा कई अन्य प्रतिष्ठित हस्तियां भी इस संगोष्ठी को संबोधित करेंगी जिनमें आर्थिक मामलों के विभाग में सचिव श्री शक्तिकांत दास, सेबी के चेयरमैन श्री यू. के. सिन्हा, आरबीआई के डिप्टी गवर्नर श्री आर. गांधी और ब्रिक्स देशों, बहुपक्षीय संगठनों, वित्तीय संस्थानों और कॉरपोरेट क्षेत्र के विशेषज्ञ भी शामिल हैं।
भारत ने वर्ष 2016 में ब्रिक्स की अध्यक्षता संभाली है। ब्रिक्स की अध्यक्षता के लिए मुख्य थीम उत्तरदायी, समावेशी और सामूहिक समाधान (सोल्यूशन) विकसित करना है, जिसके तहत विशेष रूप से ध्यान संस्थान-निर्माण, पूर्व प्रतिबद्धताओं के क्रियान्वयन और एकीकरण एवं निरंतरता की भावना के साथ अभिनव समाधानों की खोज करने पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। इसके तहत वित्तीय बाजारों के विकास में ब्रिक्स के बीच सहयोग को बढ़ावा देना एक प्रमुख एजेंडा है।
प्राथमिकता के तौर पर जिस एक अहम क्षेत्र की पहचान की गई है वह बांड बाजारों का विकास है। वैश्विक स्तर पर वित्तीय संकट के गहराने के बाद विश्व भर में मजबूत घरेलू बांड बाजारों को विकसित करने की जरूरत बड़ी बेसब्री से महसूस की जा रही है। एक विस्तृत एवं मजबूत बांड बाजार सरकारों एवं कॉरपोरेट जगत को ऋणों के वित्त पोषण का एक वैकल्पिक एवं किफायती स्रोत उपलब्ध कराता है, जो आर्थिक विकास एवं स्थिरता के लिहाज से अत्यंत महत्वपूर्ण है।
इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए आर्थिक मामलों का विभाग ‘ब्रिक्स में बांड बाजार विकसित करने की राह में चुनौतियां’ विषय पर कल अर्थात 27 सितम्बर, 2016 को एकदिवसीय संगोष्ठी आयोजित कर रहा है।