नई दिल्ली: वित्त राज्य मंत्री श्री जयंत सिन्हा ने कहा कि वृहद आर्थिक संकेतक अब बेहतरी के लक्षण दर्शाने लगे हैं और विभिन्न ढांचागत सुधारों ने राज्यों की भागीदारी के जरिये सतत विकास में योगदान देना शुरू कर दिया है।
उन्होंने सामाजिक क्षेत्र में खर्च बढ़ाने के साथ-साथ पूंजीगत खर्च में बढ़ोतरी करने की जरूरत पर भी विशेष बल दिया। श्री सिन्हा ने कहा कि इसके साथ ही राजकोषीय मजबूती के मार्ग पर बने रहने का प्रयास करने की भी आवश्यकता है। श्री सिन्हा आज यहां राज्यों के प्रधान वित्त सचिवों/राज्यों के वित्त सचिवों की पहली बैठक को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने समावेशी विकास के लिए प्राथमिकताएं तय करने पर विशेष बल दिया, जिसके अंतर्गत गरीबों की सहायता को ध्यान में रखना आवश्यक है। श्री सिन्हा ने वित्तीय सेवाओं तक पहुंच सुनिश्चित करने, प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी), निवेश को बढ़ावा देकर एवं कर्ज से जुड़े मुद्दे सुलझा कर कृषि क्षेत्र में बाधाएं हटाने और गैर-नियोजित शहरीकरण की समस्या से निपटने पर भी विशेष जोर दिया।
वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग द्वारा आज यहां राज्यों के वित्त सचिवों का पहला सम्मेलन आयोजित किया गया। 29 राज्यों और 2 केन्द्र शासित प्रदेशों के प्रधान सचिवों/वित्त सचिवों ने इस सम्मेलन में भाग लिया। इस सम्मेलन का आयोजन ऐसे समय में किया गया जब 14वें वित्त आयोग की सिफारिशों को 1 अप्रैल, 2015 से लागू किया जा रहा है और इन पर अमल 31 मार्च, 2020 तक जारी रहेगा। वित्त मंत्रालय ने राजकोषीय मजबूती की जरूरत पर से नजरें हटाये बगैर पूंजीगत खर्च एवं सामाजिक क्षेत्र में होने वाले खर्च को बढ़ाने के उद्देश्य से इस सम्मेलन के आयोजन का विचार रखा था।