नई दिल्ली: सरकार में व्यय, विशेषकर पूंजीगत खर्च की स्थिति का आकलन करने के उद्देश्य से केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज नई दिल्ली में उन चुनिंदा मंत्रालयों के पूंजीगत खर्च (कैपेक्स) की स्थिति की समीक्षा की, जिनका परिव्यय भारी-भरकम है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और मानव संसाधन विकास मंत्रालय सहित कुछ मंत्रालयों को बजट से अनुदान सहायता प्राप्त होती है, लेकिन खर्च का बड़ा हिस्सा आईआईटी और एम्स जैसी पूंजीगत परिसम्पत्तियों के सृजन में लग जाता है। इस बैठक में सभी प्रमुख मंत्रालयों के सचिवों और वित्तीय सलाहकारों ने हिस्सा लिया।
आर्थिक विकास की गति तेज करने की चुनौती से निपटने के लिए सरकार हितधारकों के साथ व्यापक चर्चाएं करती रही है। यही नहीं, सरकार ने आर्थिक विकास की रफ्तार बढ़ाने के लिए अनेक कदम उठाये हैं। पूंजीगत खर्च की स्थिति की समीक्षा करने के साथ-साथ ठेकेदारों, गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (जेम) से जुड़े बकायों और एमएसएमई के बकायों की अदायगी सुनिश्चित करने के लिए व्यय सचिव के साथ कई बैठकें आयोजित की जा चुकी हैं। आज की बैठक भी इसी श्रृंखला का एक हिस्सा है। एक और बैठक कल ‘महारत्न‘ एवं ‘नवरत्न‘ उपक्रमों के साथ होगी।
केन्द्र सरकार द्वारा किये जाने वाले राजस्व एवं पूंजीगत खर्चों से कुल मांग को काफी बढ़ावा मिलता है। बजट के जरिये वित्त वर्ष 2019-20 के लिए केन्द्र सरकार का कुल खर्च 27.86 लाख करोड़ रुपये है। इनमें से पूंजीगत खर्च वित्त वर्ष 2019-20 के बजट अनुमान (बीई) में 3.38 लाख करोड़ रुपये (12.2 प्रतिशत) है, जबकि राजस्व खर्च 24.27 लाख करोड़ रुपये (87.8 प्रतिशत) है।
समीक्षा के दौरान वित्त मंत्री ने मंत्रालयों/विभागों से कहा कि नियमित भुगतान निश्चित तौर पर तेजी से किया जाना चाहिए, क्योंकि इससे निवेश चक्र को नई गति मिलती है। उन्होंने इस बात पर विशेष जोर दिया कि त्योहारी सीजन से पहले ही बकाया भुगतान अवश्य करने के लिए हरसंभव प्रयास किये जाने चाहिए।
वित्त वर्ष 2019-20 के लिए पूंजीगत मद के तहत 3.38 लाख करोड़ रुपये के बजटीय आवंटन के अलावा पूंजीगत परिसम्पत्तियों के सृजन के लिए अनुदान सहायता के रूप में मंत्रालयों/विभागों को कुल मिलाकर 2.07 लाख करोड़ रुपये दिये गये। अत: वित्त वर्ष 2019-20 में पूंजीगत खर्च के लिए कुल मिलाकर 5.45 लाख करोड़ रुपये उपलब्ध है। पूंजीगत मद के तहत अगस्त तक कुल पूंजीगत खर्च 1.36 लाख करोड़ रुपये (40.28 प्रतिशत) और अनुदान सहायता के तहत कुल पूंजीगत खर्च 0.82 लाख करोड़ रुपये (39.7 प्रतिशत) आंका गया है, जो कुल मिलाकर 2.18 लाख करोड़ रुपये (40 प्रतिशत) बैठता है।
सकल बजट सहायता (जीबीएस) के अलावा मंत्रालयों के लिए 0.57 लाख करोड़ रुपये के बजटेतर संसाधन (ईबीआर) आवंटित किये गये हैं, जिनमें से 0.46 लाख करोड़ रुपये की स्वीकृति दी गई है। ईबीआर खर्च को भी सरकार के कुल पूंजीगत खर्च में जोड़ा जाता है।
अगस्त, 2019 तक जीबीएस से लगभग 40 प्रतिशत अथवा 2.18 लाख करोड़ रुपये का पूंजीगत खर्च किया गया। वित्त मंत्री ने इसके साथ ही अगली दो तिमाहियों के लिए भी खर्च योजनाओं का जायजा लिया और यह निर्देश दिया कि सचिवों और वित्तीय सलाहकारों को पूंजीगत कार्यों के कार्यान्वयन पर करीबी नजर रखनी चाहिए तथा 5.45 लाख करोड़ रुपये का लक्षित पूंजीगत खर्च सुनिश्चित करने के लिए समय पर भुगतान जारी करने को कहा। उन्होंने कहा कि हर महीने पूंजीगत खर्च पर करीबी नजर रखी जानी चाहिए, ताकि इस मोर्चे पर कोई भी कमी न रहे।
जेम प्लेटफॉर्म पर की गई समस्त खरीदारी की भी समीक्षा की गई। केन्द्र सरकार के विभागों द्वारा की गई खरीदारी के लिए 6533.61 करोड़ रुपये का कुल भुगतान जारी किया गया है, जबकि राज्य सरकारों ने 4851 करोड़ रुपये का भुगतान जारी किया है। मंत्रालयों/विभागों को त्वरित भुगतान करने का निर्देश दिया गया है, क्योंकि जेम पर ज्यादातर वेंडर सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) हैं।
व्यय सचिव श्री जी.सी.मुर्मू ने बताया कि केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (सीपीएसई) ने पिछले तीन महीनों में 20,157 करोड़ रुपये जारी किये थे। उन्होंने कहा कि व्यय विभाग मंत्रालयों के साथ-साथ सीपीएसई के लिए बड़ी बुनियादी ढांचागत परियोजनाओं की प्रगति की निरंतर निगरानी करेगा और इससे संबंधित बैठकें आयोजित की जाएगी। उन्होंने बताया कि वर्ष 2019-20 के लिए संशोधित अनुमान और वित्त वर्ष 2020-21 के लिए बजट अनुमान का आकलन करने के लिए मंत्रालयों/विभागों के साथ बैठकों की शुरूआत अक्टूबर 2019 के मध्य से होगी। मंत्रालयों/विभागों से संसाधनों की आवश्यकता का सटीक आकलन करने और अनुमान व्यक्त करने को कहा गया है। इससे आवंटन करने की दक्षता बढ़ेगी।