नई दिल्ली: ‘वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली ने आज कहा कि सरकार ने बैंक पूंजीकरण के लिए एक दीर्घकालिक चार वर्षीय योजना बनाई है। उन्होंने कहा कि इस कदम का लंबे समय से इंतजार था। इससे पहले सरकार ने इस बारे में काफी चर्चायें तो की थीं, लेकिन इस बार सरकार वास्तव में इसे क्रियान्वित कर रही है। उन्होंने कहा कि इससे भारत में निवेश और विकास को बढ़ावा मिलेगा।
वित्त मंत्री आज संसद में 2015-16 के लिए अनुपूरक अनुदान मांगें पेश करने के संबंध में बोल रहे थे, जिसके तहत 12,000 करोड़ रुपये की राशि बैंक पूंजीकरण के लिए रखी गई है। सरकार ने चार वर्षों के दौरान बजटीय आवंटन से 70,000 करोड़ रुपये उपलब्ध कराने का भी प्रस्ताव रखा है।
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक (पीएसबी) भारत की अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका निभाते हैं। हाल ही में अनेक कारणों से अनेक बड़ी परियोजनायें अटक गई हैं। विभिन्न मंजूरियां पाने में विलम्ब, भूमि अधिग्रहण में देरी, वैश्विक एवं घरेलू मांग घट जाना इत्यादि इन कारणों में शामिल हैं। बुनियादी ढांचागत परियोजनाओं के वित्त पोषण में अहम हिस्सा पाने वाले सार्वजनिक बैंक इस घटनाक्रम से प्रभावित हुए हैं। इस वजह से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की लाभप्रदता में कमी देखने को मिली है। विशेषकर पुनर्गठित परियोजनाओं के लिए प्रावधान करने और सकल एनपीए (फंसे कर्ज) के चलते ही यह नौबत आई है।
भारत सरकार ने चार वर्षों के दौरान बजटीय आवंटन से 70,000 करोड़ रुपये उपलब्ध कराने का प्रस्ताव रखा है, जिसका ब्यौरा नीचे दिया गया है :
(i) | वित्त वर्ष 2015 -16 | – | 25,000 करोड़ रुपये
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(ii) | वित्त वर्ष 2016-17 | – | 25,000 करोड़ रुपये
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(iii) | वित्त वर्ष 2017-18 | – | 10,000 करोड़ रुपये
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(iv) | वित्त वर्ष 2018-19 | – | 10,000 करोड़ रुपये
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कुल | 70,000 करोड़ रुपये |