केंद्रीय वित्त और कारपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज नई दिल्ली से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक (एआईआईबी) के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की छठी वार्षिक बैठक में भाग लिया।
वार्षिक बैठक में हर साल, बोर्ड ऑफ गवर्नर्स एआईआईबी से संबंधित महत्वपूर्ण मामलों और उसके भविष्य के विजन पर प्रमुख फैसले लेने के लिए मुलाकात करते हैं। भारत एआईआईबी का संस्थापक सदस्य और दूसरा सबसे बड़ा शेयरधारक है। भारत के पास एआईआईबी के भीतर सबसे बड़े परियोजना पोर्टफोलियो में से एक है। इस साल की वार्षिक बैठक “इन्वेस्टिंग टुडे एंड ट्रांसफॉर्मिंग टुमारो” की विषयवस्तु पर एआईआईबी और संयुक्त अरब अमीरात द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित की गई है।
वित्त मंत्री ने “कोविड-19 संकट और कोविड के बाद समर्थन” विषयवस्तु पर गवर्नर्स की गोलमेज चर्चा में अपने विचार साझा किए। इस दौरान श्रीमती सीतारमण ने भारत सहित सदस्य देशों को उनके कोविड-19 की रोकथाम और उसका सामना करने के प्रयासों में वित्तीय समर्थन उपलब्ध कराने में एआईआईबी द्वारा त्वरित कदम उठाने की सराहना की। वित्त मंत्री ने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों में समयबद्ध संरचनागत सुधारों के साथ, भारत सरकार द्वारा लाए गए सामाजिक सुरक्षा और आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज भारत की आर्थिक सुधार की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण रहे हैं। सूक्ष्म वित्त संस्थानों के लिए कर्ज गारंटी योजना सहित राहत पैकेज, राष्ट्रीय निर्यात बीमा खाता के माध्यम से परियोजना निर्यात को प्रोत्साहन, उर्वरकों के लिए अतिरिक्त सब्सिडी, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत 80 करोड़ लोगों को मुफ्त खाद्यान्न और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर जोर के साथ कई कल्याणकारी योजनाओं से अर्थव्यवस्था को प्रभावी रूप से और दक्षता के साथ गति देने व जिंदगियों और विशेष रूप से गरीब व वंचित तबकों की आजीविकाओं की रक्षा करने में मदद मिली है।
श्रीमती सीतारमण ने अपने नागरिकों के तेजी से टीकाकरण के भारत के सफल अभियान पर जोर देते हुए कहा, 1 अरब टीके लगाना भारत में मजबूत वैज्ञानिक और तकनीकी इकोसिस्टम की मदद से हासिल किया गया मील का पत्थर है। वित्त मंत्री ने भारत की एक वैश्विक स्वास्थ्य पहुंच पहल “वैक्सीन मैत्री” को भी रेखांकित किया जिसके तहत 7 करोड़ ‘मेड इन इंडिया’ कोविड-19 टीके 95 देशों और यूएन की संस्थाओं को दिए गए, जिसमें से 2 करोड़ खुराक कोवैक्स सुविधा के तहत 47 देशों को और 1.2 करोड़ टीके 47 देशों और यूएन शांतिदूतों को अनुदान के रूप में दिए गए।
श्रीमती सीतारमण ने मौजूदा संकट और आसन्न जलवायु संकट ने मल्टीलेटरल डेवलपमेंट बैंक्स (एमडीबी) के महत्व और बहुपक्षीय विकास वित्त के साथ ही देशों के प्रयासों को पूरा करने की तात्कालिक जरूरत को रेखांकित किया। इस संदर्भ में, उन्होंने बैंक से कुछ उम्मीदों पर प्रकाश डाला, जिसमें सामाजिक इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में संपदाओं निर्माण एवं विकास में निवेश अवसरों को खोजने की जरूरत, समावेशी और हरित विकास के लिए निजी क्षेत्र से पूंजी जुटाने पर जोर देना और विश्वसनीयता, पारदर्शिता व गुणवत्तापूर्ण संचालन व निवेश सुनिश्चित करने के लिए एक रेजिडेंट बोर्ड और क्षेत्रीय कार्यालयों की स्थापना शामिल है।
श्रीमती सीतारमण ने एक अग्रणी वित्तीय संस्थान के रूप में भविष्य में एआईआईबी के प्रयासों को भारत के सहयोग और समर्थन का भरोसा दिलाया।