केंद्रीय वित्त और कॉरपोरेट मामलों की मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज नीति आयोग के सीईओ, इंफ्रास्ट्रक्चर मंत्रालयों / विभागों के 22 सचिवों के साथ बजट के बाद इंफ्रास्ट्रक्रचर रोडमैप और एनआईपी के कार्य बिंदुओं के क्रियान्वन के लिए वर्चुअल बैठक की। कोविड-19 के बाद अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन (एनआईपी) और इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र पर वित्त मंत्री की विभिन्न मंत्रालयों/विभगों के सचिवों के साथ यह तीसरी बैठक थी।
बैठक में इस बात की चर्चा हुई, जब दुनिया भर के देश कोविड -19 महामारी से उत्पन्न चुनौतियों से निपट रहे हैं। एनआईपी ने पर्याप्त प्रगति दिखाई है। एनआईपी को 6,835 परियोजनाओं के साथ लॉन्च किया गया था। अब एनआईपी का विस्तार लगभग 7,600 परियोजनाओं तक हो गया है। यह देखा गया है कि दूसरी और तीसरी तिमाही में खास तौर से मंत्रालयों ने इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं पर काफी तेजी से खर्च बढ़ाया है।
इसका फायदा यह हुआ है कि कई मंत्रालयों को वर्ष 2020 की तुलना में वर्ष 2021 में इंफ्रास्ट्रक्चर पर किए गए खर्च में बढ़ोतरी करने मदद मिली है। इंफ्रास्ट्रक्चर मंत्रालयों के तहत वर्ष 2021 की तीसरी तिमाही में 74,067 करोड़ रुपये के 216 प्रोजेक्ट पूरे किए जा चुके हैं। इसी तरह 6 लाख करोड़ रुपये की 678 परियोजनाएं भी तीसरी तिमाही में निर्माण के विभिन्न चरणों में पहुंच गई हैं। हालांकि एनआईपी के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए मंत्रालयों और विभागों को और मेहनत करने की जरूरत है।
बैठक में नीति आयोग के सीईओ ने संपत्तियों के मोनेटाइजेशन पर एक प्रस्तुति दी। और प्रमुख इंफ्रास्ट्रक्चर की संपत्तियों के मोनेटाइजेशन के लिए विभिन्न मॉडलों की जानकारी दी। इसके अलावा उन्होंने संपत्तियों के मोनेटाइजेशन के अंतिम लक्ष्यों को तय करने के विषय के बारे भी बताया।
एनआईपी पर विभिन्न मंत्रालयों / विभागों के प्रदर्शन की समीक्षा करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बात पर जोर दिया कि महामारी के बाद अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में एनआईपी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उन्होंने मंत्रालयों और विभागों से कहा कि कि वे एनआईपी के तहत लक्ष्य से अधिक हासिल करने का प्रयास करें।
वित्त मंत्री ने यह भी बताया कि एनआईपी इंफ्रास्ट्रक्चर पर केंद्र सरकार का केवल बजटीय खर्च नहीं शामिल है। इसमें राज्यों और निजी क्षेत्र द्वारा इन्फ्रास्ट्रक्चर पर किए गए खर्च भी शामिल किए गए है। इसमें अतिरिक्त बजटीय संसाधनों के माध्यम से सरकारी खर्च भी शामिल हैं। इसलिए मंत्रालयों/विभागों को नवीन संरचना और उनके वित्त पोषण के माध्यम से परियोजनाओं के लिए सक्रिय रूप से काम करना चाहिए। उन्हें निजी क्षेत्रों को उन्नत इन्फ्रा खर्च के लिए सभी जरूरी सहायता प्रदान करना चाहिए। मंत्रालयों/विभागों को इसके अलावा ऐसी परियोजनाओं के लिए पीपीपी मॉडल की संभावना का पता लगाना चाहिए। साथ ही ऐसे इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट जहां पर पीपीपी मॉडल संभव नहीं है, वहां पर सरकार के तरफ से वित्त पोषण की व्यवस्था करनी चाहिए।
चर्चा के दौरान वित्त मंत्री ने नीति आयोग को यह सलाह दी कि अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार एमसीए को न केवल आधुनिक किया जाय बल्कि विवाद समाधान के लिए बने तंत्र को भी मजबूत किया जाय।
अंत में वित्त मंत्री ने एनआईपी के क्रियान्वन में तेजी लाने के लिए विभिन्न मंत्रालय/विभागों के सचिवों से कहा कि वह एनआईपी पोर्टल पर अपडेशन और उन्हें लागू करने में तेजी लाएं। उन्होंने कहा कि इस संबंध में वह सभी मंत्रालयों/विभागों के साथ नियमित रुप से समीक्षा बैठकें करेंगी।