बेंगलुरु: इंडियन नेवी ने विद्रोह से जूझ रहे यमन में फंसे भारतीयों को निकालना शुरू कर दिया है । नेवी ने बीती रात अंधेरे में ऑपरेशन चलाते हुए 344 भारतीय और 40 विदेशी नागरिकों को अदन से रेस्क्यु कर लिया है। अब इन्हें यमन के पड़ोसी देश जिबूती ले जाया जा रहा है, जहां से फ्लाइट के जरिए भारत भेजा जाएगा।
रक्षा सूत्रों के मुताबिक क्लियरेंस मिलने पर आईएनएस सुमित्रा अदन पोर्ट से करीब 350 भारतीयों को लेकर जिबूती के लिए रवाना हो गया। शिप पर कुल कितने लोग हैं, इसकी सटीक जानकारी अभी नहीं दी गई है। आईएनएस सुमित्रा के अलावा नेवी के दो युद्धपोत आईएनएस मुंबई और आईएनएस तर्कश शनिवार तक यमन पहुंचेंगे। इनके अलावा दो मर्चेंट शिप्स भी रवाना किए गए हैं। चारों जहाज 2 अप्रैल को अरब सागर में मिलेंगे और एक साथ जिबूती की तरफ बढ़ेंगे।
यमन के इकनॉमिक सेंटर और अहम पोर्ट अदन में फंसे करीब 550 भारतीय अपने सामान को पैक करके तैयार बैठे थे। मंगलवार को वे दिन भर वहां से निकाले जाने का इंतजार करते रहे। खबर दी गई थी कि उन्हें निकालने के लिए भारतीय नेवल शिप्स आने वाली हैं। लेकिन क्लियरेंस न मिलने की वजह से दिन में शिप्स किनारे पर नहीं आ पाईं। क्लियरेंस रात को मिली, ऐसे में रेस्क्यु ऑपरेशन को अंधेरे में ही अंजाम दिया गया।
भारत सरकार ने संघर्ष प्रभावित यमन में फंसे 4000 से ज्यादा भारतीयों को निकालने के लिए बड़े पैमाने पर हवाई और समुद्री अभियान चलाया हुआ है। नेवी के साथ-साथ एयर फोर्स ने भी मोर्चा संभाला हुआ है। एयर फोर्स ने दो सी-17 ग्लोबमास्टर प्लेन्स को किसी भी स्थिति के लिए तैयार रखा है। इस पूरे ऑपरेशन पर नजर रखने के लिए विदेश राज्यमंत्री वीके सिंह यमन के पड़ोसी देश जिबूती पहुंच गए हैं।
एयर इंडिया ने भी यमन की राजधानी सना से भारतीयों को जिबूती पहुंचाने के लिए मस्कट में 180 सीट वाले दो एयरबस A-320 विमान तैयार रखे हैं। क्यिलरेंस मिलते ही ये सना पहुंचेंगे। सना में फंसे भारतीय अभी तक ऐंबेसी से कॉल का इंतजार कर रहे हैं। कुछ लोगों का ग्रुप सोमवार को एयरपोर्ट गया था, लेकिन वहां पर कोई फ्लाइट न होने पर वापस आ गया। उनका इंतजार मंगलवार को भी जारी रहा।
गौरतलब है कि हूती विद्रोहियों से साथ लड़ाई चरम पर पहुंच चुकी है। हिंसा धीरेे-धीरे बड़े इलाके में फैलती हुई दिख रही है। सऊदी अरब और उसके सहयोगी देशों ने यमन सरकार के पक्ष में हवाई हमले भी शुरू किए हुए हैं। ऐसे में भारत समेत दुनिया के अन्य देश अपने नागरिकों को जल्दी से जल्दी यहां से निकालने में जुटे हैं।