नई दिल्ली: 21 दिनों तक चलने वाले लॉकडाउन के पहले दिन सेना ने ईरान से 277 लोगों को सुरक्षित निकाला। रेस्क्यू किए गए सभी लोगों को जोधपुर में ठहराया गया है जिनमें 273 तीर्थयात्री हैं। इनमें भी 149 महिलाएं और 6 बच्चे हैं। रेस्क्यू किए गए लोगों को दिल्ली से एयर इंडिया के विमान के जरिये जोधपुर एयरपोर्ट पहुंचाया गया, जहां इनकी थर्मल स्क्रीनिंग की गई। इसके बाद इन्हें मेडिकल कैम्प में ले जाया गया जिसे न सिर्फ आइसोलेशन के लिहाज से डिजाइन किया गया है बल्कि वहां मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य का ख्याल रखा जाता है, जिसमें खेल सहित तमाम तरह की गतिविधियां शामिल हैं।
सेना ने मुख्यालय में अपने सभी कार्यालय बंद कर दिए हैं। वैश्विक लॉकडाउन ने कार्यालय के काम को प्रभावित किया है और काम को काफी कम कर दिया है जिसमें अंतरराष्ट्रीय सहयोग, प्रशिक्षण कार्यक्रम, पोस्टिंग, पाठ्यक्रम, ड्यूटी हाउस आदि गतिविधियां शामिल हैं। महत्वपूर्ण नियुक्तियां और दफ्तर के 40 फीसदी काम को घर से ही निपटाया जा रहा है। इमरजेंसी स्टॉफ जिनमें अधिकारी, चिकित्सा सेवा से जुड़े कर्मी, ड्राइवर, रसोइए और अन्य सहायक कर्मचारी शामिल हैं, वे अपने नियमित काम को निपटा रहे हैं।
फिलहाल, सेना ने ईरान, इटली और मलेशिया से रेस्क्यू करके लाए गए लोगों के लिए मानेसर, जैसलमेर और जोधपुर में मेडिकल ढांचा स्थापित किया है। सभी प्रोटोकॉल को पूरा किए जाने के बाद चीन के वुहान और जापान से रेस्क्यू करके लाए गए लोगों को डिस्चार्ज कर दिया गया है। रेस्क्यू किए गए 1,200 से ज्यादा लोगों के अलावा मेडिकल स्टॉफ और विमान चालक दल को भी अभी तक निगरानी में रखा गया है। इनमें अभी तक कोविड-19 पॉजिटिव का सिर्फ एक केस पाया गया था। इसमें भारतीय वायु सेना के हिंडन में मिलने वाला अन्य केस शामिल नहीं है।
उपरोक्त के अलावा, झांसी, बिन्नागुड़ी और गया में भी मेडिकल सुविधाएं तैयार स्थिति में हैं, जहां 1600 लोगों के इलाज का इंतजाम है। इसमें तैयार की गई और तैयार की गई अतिरिक्त क्षमता शामिल नहीं है।
कर्नल अमन आनंद