नई दिल्ली: केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने आज यहां एशिया के प्रथम सूचना सुरक्षा सम्मेलन : ग्राउंड जीरो सम्मेलन 2015 का उद्घाटन किया। इस सम्मेलन का विषय डिजिटल इंडिया- ‘ सुरक्षित डिजिटल इंडिया’ है। चार दिन तक चलने वाले इस सम्मेलन का आयोजन अति आधुनिक तकनीक के विकास से पैदा हुए साइबर सुरक्षा की सुरक्षा से संबंधित कई मुद्दों ओर चुनौतियों पर विचार-विमर्श करना है।इस अवसर पर उन्होंने कहा कि इन दिनों ‘साइबर’ सुरक्षा हमारे लिए सबसे बड़ी चुनौती है और ‘साइबर बाधा’ की समस्या से निपटने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि यद्पि इस इंटरनेट युग में भी भौतिक सीमाएं प्रासांगिक हैं लेकिन इसका महत्व घटा है। केन्द्रीय गृहमंत्री ने कहा कि इंटरनेट के जरिये सूचना का स्वतंत्र रूप से आदान –प्रदान होता है और इस तरह की सूचना पर न तो सीमा प्रहरियों, कस्टम या अप्रावासी अधिकारियों का नियंत्रणहै। ऐसे में इंटरनेट के जरिये किएजा रहे अपराधों केअपराधियों की सही जगह और उनकी सही पहचान इसलिए नहीं हो पाती क्योंकि उनका असली चेहरा छिपा होता है। परस्पर रूप से जुड़े इस विश्व में , ये अपराधी अलग- अलग हो कते हें लेकिन उनका एक ही उद्देश्य होता है, देश और देशवासियों का नुकसान और खतरा पहुंचाना।
केन्द्रीय गृहमंत्री ने भूमि,वायु, जल और अंतरिक्ष के साथ साइबर विश्व को सुरक्षा का पांचवां आयाम बताया। उन्होंने कहा कि साइबर विश्व से संबंधित अपराधों और अपराधियों की खोज करना इसलिए मुश्किल हो ता है क्योंकि यह बहु स्तरीय, बहुस्थानिक, बहुभाषी, बहुसांस्कृतिक ओर बहुविधिक हो सकते हें। उन्होंने बताया कि 2013 की तुलना में साइबर अपारधों में 2014 में 70 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। 2012 की तुलना में इसमें 2013 में 64 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई थी।
श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि साइबर अपराध के साथ- साथ ‘साइबर आतंकवाद’ विश्व के समक्ष बड़ा खतरा है। इंटरनेट की तकनीक के जरिये दर- दराज इलाकों में रहने वाला व्यक्ति भी इस तरह की सूचना हासिल कर सकता है जिसके जरिये वह बिना किसी दल का साथ लिए बिना भी आतंकवाद की गतिविधिों में शामिल हो सकता है। इस तरह की शक्तियां युवकों को कट्टर बनाने की दिशा में साइबर दुनिया में सक्रिय हैं। उन्होंने कहा कि साइबर विशेषज्ञों को ऐसी ताकतों और ‘ऑनलाइन रैडिकलाइज़ेशन’ के प्रति सावधान रहने की जरूरत है।
केन्द्रीय गृहमंत्री ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा ‘डिजिटल इंडिया’, ‘’मेक इन इंडिया और ‘स्मार्ट सिटी’ जैसे की गई पहलों की सफलता सुनिश्चित करने के लिए साइबर सुरक्षा जरूरी है। उन्होंने कहा कि यह हमारा कर्तव्य है कि किसी भी हालत में हमारी प्रमुख बुनियादी ढांचा की व्यवस्था न ढहे। यह भी जरूरी है कि काम की निरंतरता बनी रहे ओर समय-समय पर आपादा बहाली योजना को नियमित रूप से जांच -पड़ताल हो और इसमें सुधार होता रहे।
सरकार द्वारा इस दिशा में की गई कुछ पहलों की चर्चा करते हुए श्री सिंह ने बतायाकि साइबर सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने साइबर स्पेस के लिए कानून बनाने की नीति बनाई है। सरकार ने राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा समन्वयक डा. गुलशन राय की अध्यक्षता में एक समिति का भी गठन किया है। समिति की सिफारिशों के आधार पर सरकार ने ‘’भारतीय साइबर अपराध समन्वय केन्द्र’’ (आई-4सी) के गठन करने के प्रयास भी शुरू कर दिए हैं। इससे साइबर आपराधों की निगरानी करने, क्षमता निर्माण करने तथा कानून लागू कराने वाली एजेंसियों को इस तरह के अपराधों को रोकने में मदद मिलेगी।
इस अवसर पर राष्ट्रीय तकनीकी शोध संगठन ( एनटीआरओ) के अध्यक्ष श्री आलोक जोशी ने लोगों को संबोधित करते हुए जोर दिया कि ’डिजिटल इंडिया’ और ‘मेक इन इंडिया’ की सफलता के लिए इस क्षेत्र के विशेषज्ञों को व्यक्तिगत जिम्मेदारी को समझना चाहिए और पब्लिक –प्राइवेट पार्टनरशिप मोड में डिजिटल सीमाओं को मजबूत करने में मदद देनी चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि आईटी पेशेवरों के लिए संग्रहालय की तरह प्रयुक्त होने वाले नेशनल साइबर रजिस्ट्री का भी गठन होना चाहिए।
इस सम्मेलन का आयोजन देश के साइबर सुरक्षा पेशेवरों की गठित गैर लाभकारी संगठन इंडियन इन्फोसेक कंजोरटियम( आईसीसी) द्वारा आयोजित किया गया है। आईसीसी देश में साइबर सुरक्षा के संसाधानों को सुगठित और साइबर स्पेस की सुरक्षा करना चाहता है। इस सम्मेलन में साइबर सुरक्षा के पेशेवर 30 से अधिक सत्रों में विभिन्न मुद्दों ओर चुनौतियों पर विचार-विमर्श करेंगे।